11 दिसंबर 2025,

गुरुवार

Patrika LogoSwitch to English
home_icon

मेरी खबर

icon

प्लस

video_icon

शॉर्ट्स

epaper_icon

ई-पेपर

हिंदी पर झुकी सरकार, विरोध के बाद नई शिक्षा नीति के मसौदे से हटी हिंदी की अनिवार्यता

नई शिक्षा नीति के मसौदे से हिंदी की अनिवार्यता हटी राज्य ग्रेड-6 और 7 में बदल सकेंगे भाषा दक्षिण के राज्यों ने किया है हिंदी की अनिवार्यता का विरोध

2 min read
Google source verification
Education Policy Draft

हिंदी पर झुकी सरकार, विरोध के बाद नई शिक्षा नीति के मसौदे से हटी हिंदी की अनिवार्यता

नई दिल्ली। राष्ट्रीय शिक्षा नीति (एनईपी) के मसौदे में हिंदी भाषा को अनिवार्य करने की खबर से मची सरकार झुक गई है। दक्षिण भारत के राज्यों की नाराजगी के बाद मानव संसाधन विकास (एचआरडी) मंत्रालय ने सोमवार को नई शिक्षा नीति से हिंदी की अनिवार्यता को खत्म कर दिया है। तमिलनाडु में द्रमुक और अन्य दलों का कहना था कि नई शिक्षा नीति के मसौदे में हिंदी भाषा थोपने जैसा है।

ममता बनर्जी बोलीं- EVM पर नहीं है भरोसा, लोकतंत्र बचाने के लिए TMC करेगी आंदोलन

अब मनचाही भाषा का कर सेकेंग चयन

नई शिक्षा नीति के संशोधित मसौदे में भाषाओं को अनिवार्य नहीं किया गया है। अब छात्र माध्यमिक स्कूल स्तर पर अध्ययन के लिए विकल्प के रूप में चुन सकते हैं। मसौदा नीति के खंड 4.5.9 में संशोधनों को किया गया है। इससे पहले के जिस मसौदे पर विवाद हो रहा था उसमें गैर हिंदी राज्यों में हिंदी भाषा की शिक्षा को अनिवार्य बनाने का सुझाव था।

माफिया अतीक अहमद की चौंकाने वाली तस्वीर, नोट की गड्डी लेकर पहुंचा साबरमती सेंट्रल जेल

विवाद हुआ तो बदला फॉर्मूला

तीन भाषाओं के अध्ययन की वकालत करते हुए संशोधित संस्करण का अब शीर्षक 'त्रिभाषा फार्मूला में लचीलापन' है और इसमें छात्र के अध्ययन वाली भाषा को सटीक तौर पर नहीं बताया गया है। यह सामान्य रूप से बताता है कि छात्र के पास तीन भाषा पढ़ने का विकल्प होगा, जिसमें से एक भाषा साहित्यिक स्तर पर होगी। इससे पहले इसे 'भाषाओं के पसंद में लचीलापन' शीर्षक दिया गया था।

अरुणाचल जा रहा है वायुसेना का विमान AN-32 लापता, तलाश जारी

नए और पुराने मसौदे में अंतर

एचआरडी मंत्रालय की वेबसाइट पर अब उपलब्ध मसौदा नीति के संशोधित संस्करण में कहा गया है कि लचीलेपन के सिद्धांत को ध्यान में रखते हुए, जो छात्र तीन भाषाओं में से एक या दो में बदलाव करना चाहते हैं, वे ऐसा कक्षा 6 या 7 में कर सकते हैं। वहीं पहले के मसौदे की सिफारिशों में कहा गया था कि छात्र तीसरी भाषा का विकल्प चुन सकते हैं, जिसे वे कक्षा 6 में पढ़ना चाहते हैं। इन दो भाषाओं में गैर हिंदी भाषी राज्यों में हिंदी व अंग्रेजी शामिल होगी।

कश्मीर घाटी में आतंक का काम तमाम: पांच महीने में मारे गए 100 से अधिक कुख्यात आतंकी

नया मसौदा आते ही हुआ विवाद

एनईपी का मसौदा शुक्रवार को मंत्रालय की वेबसाइट पर अपलोड किए जाने के साथ ही विवाद शुरु हो गया था। द्रमुक, एमडीएमके, कांग्रेस व कमल हासन की अगुवाई वाली मक्कल निधि मैय्यम सहित तमिलनाडु की सभी विपक्षी पार्टियों ने सिफारिशों की निंदा की। यूपीए के सहयोगी और सत्तारूढ़ अन्नाद्रमुक ने कहा कि वह द्वि-भाषा फार्मूले को जारी रखेंगी, जो हिंदी शिक्षण को अनिवार्य नहीं बनाता। कर्नाटक के पूर्व मुख्यमंत्री सिद्धारमैया ने सोमवार को हिंदी के अनिवार्य शिक्षण को गैर हिंदी भाषी राज्यों पर 'क्रूर हमला' बताया।