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एक नजर में जानिए अरुण जेटली का राजनीतिक सफर

locationनई दिल्लीPublished: Aug 24, 2019 01:01:13 pm

Submitted by:

Anil Kumar

अरुण जेटली 1977 में राजनीति में कदम रखते हुए जनसंघ में शामिल हुए थे
जेटली आपातकाल (1975-1977) के दौरान 19 महीनों के लिए नजरबंद रहे थे

Arun Jaitley

नई दिल्ली। भारतीय जनता पार्टी ( BJP ) के वरिष्ठ नेता और पूर्व वित्त मंत्री अरुण जेटली ( Former FM Arun Jaitley ) की तबियत अचानक खराब होने के बाद दिल्ली के सबसे बड़े अस्पताल एम्स ( AIIMS ) में भर्ती कराया गया था। शनिवार को लंबे संघर्ष के बाद जेटली का निधन हो गया।

बताया जा रहा है कि जेटली को सांस में तकलीफ ( Breathing Problem ) होने के तुरंत बाद अस्पताल में भर्ती कराया गया। गृहमंत्री अमित शाह समेत भाजापा के कई दिग्गत नेता जेटली का हाल जानने के लिए एम्स पहुंचे थे।

Arun Jaitley leader

व्यक्तिगत जीवन परिचय

पूर्व वित्त मंत्री अरुण जेटली का जन्म महाराज किशन जेटली और रतन प्रभा जेटली के घर 28 दिसंबर 1952 को नई दिल्ली में हुआ था। उनके पिता पेश से एक वकील थे।

जेटली ने अपनी प्रारंभिक शिक्षा सेंट जेवियर्स स्कूल नई दिल्ली से 1957-69 में पूरी की। इसके बाद 1973 में श्री राम कॉलेज ऑफ कॉमर्स, नई दिल्ली से कॉमर्स में स्नातक और1977 में दिल्ली विश्‍वविद्यालय के विधि संकाय से विधि की डिग्री हासिल की।

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अरुण जेटली ने 24 मई 1982 को संगीता जेटली से विवाह किया। उनके दो बच्चे हैं। बेटे का नाम रोहन और बेटी का नाम सोनाली है।

जेटली अभिनेता अक्षय डोगरा और अभिनेत्री रिधि डोगरा के चाचा हैं। वह भारत के प्रधानमंत्री पद के लिए नरेंद्र मोदी के नाम का सुझाव देने वाले पहले व्यक्ति थे। आपातकाल (1975-1977) के दौरान 19 महीनों के लिए नजरबंद रहे।

कानूनी करियर

1980-1990 – अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल, भारत सरकार

– अरुण जेटली बतौर कानून के छात्र के रूप में सुप्रीम कोर्ट से लेकर 1977 से अबतक देश की अलग-अलग अदालतों में अभ्यास किया।

– जनवरी 1990 में दिल्ली उच्च न्यायालय ने उन्हें वरिष्ठ अधिवक्ता के रूप में नामित किया।

– 1989 में वी.पी. सिंह सरकार ने उन्हें अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल नियुक्त किया था और बोफोर्स घोटाले में जांच के लिए कागजी कार्रवाई की थी।

– भारत सरकार की ओर से जून 1998 में संयुक्त राष्ट्र महासभा में शामिल हुए थे जहां ड्रग्स एंड मनी लॉन्ड्रिंग से संबंधित कानूनों की घोषणा को मंजूरी दे दी गई थी

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– जेटली ने विशाल बहुराष्ट्रीय निगमों की ओर से पेप्सिको और कोका कोला के लिए भी वकालत की है

– जून 2009 से वकालत करना बंद कर दिया

– 2002 के गुजरात विधानसभा चुनाव में नरेंद्र मोदी की जीत में महत्वपूर्ण भूमिका अदा की थी

Arun Jaitley Young

राजनीतिक करियर

अरुण जेटली भाजपा के कद्दावर नेताओं में से एक हैं। जेटली भाजपा के उन नेताओं में शुमार हैं जो पार्टी के उदय से लेकर शिखर तक पहुंचने के साथ जुड़े रहे हैं। इस दौरान पार्टी ने जेटली को कई ऐसी जिम्मेदारियां सौंपी, जिसका निर्वहन उन्होंने बहुत ही शानदार तरीके से किया।

जेटली के राजनीति करियर की शुरूआत उनके छात्र जीवन में ही हो गया था। दिल्ली विश्वविद्यालय में अध्ययन के दौरान अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (एबीवीपी) के विद्यार्थी नेता के रूप में जेटली ने छात्र संघ चुनाव में सक्रिय रूप से भाग लिया और फिर 1974 में दिल्ली विश्वविद्यालय के छात्र संघ के अध्यक्ष भी बने। 1977 में पहली बार राजनीति में कदम रखते हुए जनसंघ में शामिल हुए, उसके बाद पीछे मुड़कर कभी नहीं देखा और हमेशा सत्ता की बुलंदियों को छूते चले गए।

– 1977 में जनसंघ में शामिल हुए

– 1977 में दिल्ली एबीवीपी के अध्यक्ष और एबीवीपी के अखिल भारतीय सचिव बने

– 1980 में भाजपा के युवा मोर्चा के अध्यक्ष बने

– 1991 में भाजपा के राष्ट्रीय कार्यकारिणी के सदस्य बने

1999 में भाजपा के प्रवक्ता बने

– 13 अक्टूबर 1999 को अटल बिहारी वाजपेयी सरकार में सूचना और प्रसारण राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) बने

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– इस बीच जब राम जेठमलानी ने इस्तीफा दे दिया था तब जेटली को एक कानून, न्याय, जहाजरानी (Shipping) और कम्पनी मामलों का अतिरिक्त प्रभार सौंपा गया था

– नवंबर, 2000 में वह विधि, न्याय और कम्पनी मामलों एवं जहाजरानी मंत्रालय के केंद्रीय मंत्री बने

– 1 जुलाई 2002 को भाजपा के राष्ट्रीय सचिव बने

– 29 जनवरी 2003 को कानून और न्याय मंत्री और उद्योग मंत्री बने

– 3 जून 2009 को राज्यसभा में विपक्ष के नेता चुने गए

– 2014 में पहली बार अमृतसर से लोकसभा चुनाव लड़े, लेकिन कांग्रेस पार्टी के उम्मीदवार अमरिंदर सिंह से हार गए

– 26 मई 2014 को मोदी सरकार की कैबिनेट में वित्त मंत्री (जिसमें कॉर्पोरेट मामलों के मंत्रालय भी शामिल थे) बने और बाद में रक्षा मंत्री का अतिरिक्त प्रभार भी सौंपा गया था।

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