
असदुद्दीन ओवैसी की पार्टी ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन ( AIMIM ) ने जामिया में चल रहे सीएए विरोधी प्रदर्शन को अपना समर्थन दिया। एआईएमआईएम के प्रवक्ता आसिम वकार यहां जामिया विश्वविद्यालय के बाहर चल रहे प्रदर्शन में शरीक हुए। वकार ने कहा कि यहां अपने नेता की ओर से आप को समर्थन देने आया हूं। आसिम वकार ने जामिया मिल्लिया इस्लामिया पर चल रहे सीएए, एनआरसी व एनपीआर के खिलाफ प्रदर्शन के 29वें दिन छात्र-छात्राओं और स्थानीय लोगों को संबोधित किया। उन्होंने अपने संबोधन में कहा कि- "मैं यहां राजनीति करने नहीं आया हूं बल्कि ये हमारी नैतिक जि़म्मेदारी है कि हम अपने अधिकार और संविधान की रक्षा के लिए लड़ें। जिससे भारत की आत्मा बची रहे।"
यह केवल मुसलमानों की लड़ाई नहीं
उन्होनें कहा कि- "मैं यहां अपने नेता के शब्द आप सभी तक पहुंचाने आया हूं।" उन्होंने प्रदर्शनकारियों का हौसला बढ़ाते हुए कहा कि आप सब अकेले नहीं हैं, हमारी पार्टी आपके साथ है। ये लड़ाई केवल मुस्लिम और सरकार के बीच नहीं है, बल्कि ये भारत और सरकार के बीच की लड़ाई है।
जामिया में जो भी हुआ, वीसी और दिल्ली पुलिस की मिलीभगत
सुप्रीम कोर्ट के वकील जेड के फैजान भी प्रदर्शनकारी छात्रों के बीच पहुंचे। फैजान ने कहा कि ये काला कानून पूर्णतया संविधान के विरूद्ध है। उन्होंने प्रदर्शनकारियों से कहा कि सरकार आप सब के विरोध से बुरी तरह घबराई हुई है। जामिया कैम्पस में घुसकर दिल्ली पुलिस द्वारा की गई हिंसा पर उन्होंने कहा कि जो भी जामिया में हुआ वह कुलपति और दिल्ली पुलिस की मिलीभगत से हुआ।
हम सड़कों पर सत्याग्रह करते रहेंगे
उन्होंने छात्रों से कहा कि आपको सड़कों पर प्रदर्शन करने से पहले सुप्रीम कोर्ट जाना आवश्यक था। क्योंकि सुप्रीम कोर्ट इस कानून को रोक सकता था। उन्होंने सुप्रीम कोर्ट को निशाने पर लेते हुए बोला कि उनका कहना है कि पहले सड़कों से हट जाओ तब आपके मामले में सुनवाई होगी। इसका मतलब ये है कि हमें पहले से दोषी करार दे दिया गया। हम सड़कों पर सत्याग्रह करते रहेंगे।
देशव्यापी है ये आंदोलन
जामिया के पूर्व कुलपति दिवंगत मुशीरूल हसन की पत्नी और प्रख्यात शिक्षाविद जोया हसन भी शुक्रवार को जामिया मिल्लिया इस्लामिया में प्रदर्शनकारियों के बीच पहुंची। उन्होंने कहा कि आजादी के बाद से मैंने इतना बड़ा आंदोलन नहीं देखा है। निर्भया और अन्ना आंदोलन भी केवल दिल्ली तक ही सीमित थे, किंतु ये आंदोलन देशव्यापी है।
धार्मिक आधार पर विभक्त करता है सीएए
उन्होंने कहा कि सीएए नागरिकता को धार्मिक आधार पर विभक्त करता है। उन्होंने कहा कि सरकार ऐसा माहौल बना रही है जिससे लगे कि तीनों देशों के शरणार्थी मुस्लिमों पर कोई आंच नहीं आएगी। उन्होंने कहा कि मेरा शोध बताता है कि ज्यादातर स्थानांतरण आर्थिक आधार पर ना होकर धार्मिक आधार पर हुए हैं।
Updated on:
11 Jan 2020 11:00 am
Published on:
11 Jan 2020 08:59 am
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