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मंगलवार को हंगामे पर बोलते समय भावुक हुए नायडू, कहा- सदन में जो हुआ उसकी निंदा करने के लिए मेरे पास शब्द नहीं

Published: Aug 11, 2021 02:14:28 pm

Submitted by:

Ashutosh Pathak

नायडू ने सदन में हुई शर्मनाक घटना का जिक्र करते हुए कहा कि जब कृषि कानूनों का विरोध करते हुए कुछ सांसद मेज पर बैठ गए और कई दूसरे सदस्य मेज पर चढ़ गए, तब राज्यसभा की पवित्रता खत्म हो गई।

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नई दिल्ली।

इस मानसून सत्र में कृषि कानूनों और पेगासस जासूसी विवाद समेत कई अन्य मुद्दों पर विपक्षी दलों के सांसदों के हंगामे के कारण राज्यसभा की कार्यवाही लगातार बाधित हो रही है। वहीं, बुधवार को भी राज्यसभा में सदन की कार्यवाही शुरू होते ही सभापति वेंकैया नायडू भावुक हो गए।
नायडू ने एक दिन पहले मंगलवार को सदन में हुई शर्मनाक घटना का जिक्र करते हुए कहा कि जब कृषि कानूनों का विरोध करते हुए कुछ सांसद मेज पर बैठ गए और कई दूसरे सदस्य मेज पर चढ़ गए, तब राज्यसभा की पवित्रता खत्म हो गई। नायडू ने यह भी कहा कि सदन में हंगामा करने वाले विपक्षी सांसदों को कार्रवाई का सामना करना पड़ेगा।
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गौरतलब है कि गत मंगलवार को राज्यसभा में हंगामा कर रहे कांग्रेस के एक सांसद ने मेज पर चढक़र आसन की ओर रुल बुक फेंक दी। राज्यसभा की कार्यवाही इस तरह पांच बार बाधित हुई और अंत में सदन को स्थगित करना पड़ा। बुधवार को नायडू ने हंगामे की घटना पर बोलते हुए कहा कि लोकतंत्र के मंदिर में हुई बेअदबी के कारण वह रातभर सो नहीं पाए। मंगलवार को जो सदन में हुआ, वह लोकतंत्र के खिलाफ है। संसद लोकतंत्र का सर्वोच्च मंदिर होता है। इसकी पवित्रता पर आंच नहीं आने देना चाहिए।
सभापति वेंकैया नायडू ने कहा कि विपक्ष सरकार को मजबूर नहीं कर सकता है। सदस्य विरोध कर सकते हैं, लेकिन सभापति को क्या करना है, क्या नहीं करना है, इस बारे में नहीं बता सकते। नायडू ने भावुक होते हुए कहा, लोकतंत्र की पवित्रता जिस तरह नष्ट हुई, उससे मैं आहत हूं। अपनी पीड़ा बताने या निंदा करने के लिए मेरे पास शब्द नहीं हैं।
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अब आगे क्या
राज्यसभा में हंगामा करने वाले सांसदों पर कार्रवाई हो सकती है। गत मंगलवार को कांग्रेस के सांसद प्रताप सिंह बाजवा और आम आदमी पार्टी के संजय सिंह मेज पर खड़े गए थे। बाजवा ने रुल बुक आसन की ओर फेंक दी थी। हालांकि, यह सब सदन की कार्यवाही खत्म होने के बाद हुआ था।
बिरला ने भी जताया दुख
दूसरी ओर, लोकसभा के सभापति ओम बिरला ने कहा कि मानसून सत्र के दौरान सदन में उम्मीद के मुताबिक काम नहीं हुआ। उन्होंने कहा कि इस सत्र में कम काम होने से दुखी हूं। सांसदों को उच्च मर्यादा बनाए रखनी चाहिए। सदन सबकी सहमति से चलता है। उन्होंने बताया कि लोकसभा में सिर्फ 22 प्रतिशत ही काम हुआ। सदन सिर्फ 21 घंटे ही चली, जिसमें 20 बिल पास हुए। इसके साथ ही लोकसभा को तय समय से दो दिन पहले ही अनिश्चित काल के लिए स्थगित कर दिया गया।
चौधरी ने कहा- सरकार ने चर्चा नहीं की
दूसरी ओर, लोकसभा में कांग्रेस के नेता अधीर रंजन चौधरी ने कहा कि सरकार ने सदन में पेगासस पर चर्चा का मौका नहीं दिया। अंतिम दिन तक चर्चा नहीं हुई। सरकार राज्यसभा और लोकसभा में अलग-अलग बयान देती रही।
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