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पिछली सरकारों ने किया रेलवे का राजनीतिकरण, 50 साल में बुलेट ट्रेन नहीं आ पाई: रेलमंत्री

रेलमंत्री पीयूष गोयल ने कहा कि प्रधानमंत्री का सपना है कि भारत प्रौद्योगिकी की शक्ति बने ताकि लोगों को विश्व स्तरीय सुविधाएं प्राप्त हों। भारत में 50 साल के बाद बुलेट ट्रेन परियोजना तब आई, जब देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी बने।

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Chandra Prakash Chourasia

Jul 25, 2018

Piyush Goyal

पिछली सरकारों ने किया रेलवे का राजनीतिक, 50 साल में बुलेट ट्रेन नहीं आ पाई: रेलमंत्री

नई दिल्ली: रेलमंत्री पीयूष गोयल ने बुधवार को कहा कि पूर्व की सरकारें बुलेट ट्रेन लाने में अक्षम साबित हुईं और रेलवे का इस्तेमाल राजनीतिक कारणों के लिए किया गया। लोकसभा में एक प्रश्न के जवाब में गोयल ने कहा पिछली सरकारें अनेक परियोजनाओं की घोषणा नहीं कर पाई और सभी परियोजनओं पर कार्य के लिए बजट का अभाव बना रहा। हम यह सुनिश्चित करते हैं कि जहां कहीं भी जमीन उपलब्ध है और कार्य महत्वपूर्ण है वहां उसे प्राथमिकता के आधार पर पूरा किया जा रहा है।

ट्रेन में होंगी विश्व स्तरीय सुविधाएं

गोयल ने कहा कि प्रधानमंत्री का सपना है कि भारत प्रौद्योगिकी की शक्ति बने ताकि लोगों को विश्व स्तरीय सुविधाएं प्राप्त हों। भारत में 50 साल के बाद बुलेट ट्रेन परियोजना तब आई, जब देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी बने। उन्होंने कहा, "हमने 0.1 फीसदी की ब्याज दर पर जापान से 50 साल के लिए 1.08 लाख करोड़ रुपये का कर्ज लिया है। हम देश में द्रुतगामी रेल नेटवर्क विकसित करना चाहते हैं।

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कांग्रेस 50 साल में बुलेट ट्रेन तक नहीं ला पाई

कांग्रेस पर तंज कसते हुए गोयल ने कहा कि उनको खुश होना चाहिए कि जिस बुलेट ट्रेन की परियोजना वह नहीं ला सके उसे लाने में यह सरकार कामयाब रही है। जो पैसा लाने में वे विफल रहे वह हमें मामूली ब्याज दर पर मिला है। वह कांग्रेस नेता मल्लिकार्जुन खड़गे द्वारा बुलेट ट्रेन परियोजना, पटरियों के दोहरीकरण व विद्युतीकरण और नई पटरी बिछाने के मसले को लेकर पूछे गए सवाल का जवाब दे रहे थे।

एक साल में बिछाई 45 हजार किमी पटरी

गोयल ने बताया कि पटरियों के रखरखाव का कार्य जिस गति से आज हो रही है उस गति से संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन (यूपीए) सरकार में संभव नहीं हो पाया। उन्होंने कहा कि 2012-13 में महज 800 किलोमीटर विद्युतीकरण का कार्य हुआ जबकि पिछले साल 41,00 किलोमीटर विद्युतीकरण कार्य संपन्न हुआ। हमने एक साल में 4,500 किलोमीटर में नई पटरी बिछाई।