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उत्तराखंड में सियासी संकट गहराया, सीएम तीरथ सिंह ने की इस्तीफे की पेशकश, राज्यपाल से मांगा मिलने का वक्त

उत्तराखंड के सीएम तीरथ सिंह रावत ने भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा को एक पत्र लिखा है, जिसमें उन्होंने अपने पद से इस्तीफे की पेशकश की है।

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Political Crisis In Uttarakhand, CM Tirath Singh Rawat Offers To Resign

देहरादून। उत्तराखंड में अगले साल होने वाले विधानसभा चुनाव से पहले सियासी संकट गहराता दिखाई दे रहा है। दरअसल, मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत ने शुक्रवार को इस्तीफे की पेशकश की है। सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक, सीएम तीरथ सिंह रावत ने भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा को एक पत्र लिखा है, जिसमें उन्होंने अपने पद से इस्तीफे की पेशकश की है।

सूत्रों के अनुसार, पत्र में रावत ने अपने इस्तीफे की पेशकश को लेकर राज्य में संवैधानिक संकट पैदा होना मुख्य वजह बताया है। इसके साथ ही एक बार फिर से उत्तराखंड में सियासी हलचल तेज हो गई है। इस सियासी हलचल के बीच तीन दिनों से दिल्ली में डेरा जमाए तीरथ सिंह रावत ने शुक्रवार को पिछले चौबीस घंटों के भीतर दूसरी बार बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा से मुलाकात की। दिल्ली से वापस देहरादून पहुंचे सीएम रावत रात 9:30 बजे प्रेस कॉन्फ्रेंस करेंगे।

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अपने पत्र में तीरथ सिंह ने कहा है कि आर्टिकल 164-ए के तहत मुख्यमंत्री बनने के बाद छ महीने में विधानसभा का सदस्य बनना था, लेकिन दूसरी तरफ आर्टिकल 151 के मुताबिक, यदि विधानसभा चुनाव में एक वर्ष से कम का समय बचता है तो वहां पर उप-चुनाव नहीं कराए जा सकते हैं। लिहाजा, उतराखंड में संवैधानिक संकट न खड़ा हो, इसलिए मैं मुख्यमंत्री के पद से इस्तीफा देना चाहता हूं।

गवर्नर से मांगा मिलने का वक्त

मुख्यमंत्री तीरथ रावत ने इस्तीफे की औपचारिकता पूरी करने के लिए उत्तराखंड के राज्यपाल बेबी रानी मौर्य से मिलने के लिए समय मांगा है। बताया जा रहा है कि वक्त मिलते ही तीरथ सिंह रावत गवर्नर हाउस पहुंचकर आधिकारिक तौर पर गवर्नर को अपना इस्तीफा सौंप देंगे।

मालूम हो कि तीरथ सिंह रावत उत्तराखंड के पौड़ी से लोकसभा सांसद हैं। उन्होंने इस साल 10 मार्च को मुख्यमंत्री का पद संभाला था। 10 सितंबर तक विधानसभा सदस्य निर्वाचित होना रावत के लिए एक संवैधानिक बाध्यता है। उत्तराखंड में फिलहाल विधानसभा की दो सीटें, गंगोत्री और हल्द्वानी रिक्त हैं जहां उपचुनाव कराया जाना है।

चूंकि राज्य में अगले ही साल फरवरी-मार्च में विधानसभा चुनाव होने वाले हैं ऐसे में अब ये संभावना कम है कि इन दोनों सीटों पर उपचुनाव होंगे। हालांकि उपचुनाव कराए जाने का फैसला चुनाव आयोग के विवेक पर निर्भर करता है। यदि वे चाहें तो करा सकते हैं।

सीएम रावत ने जेपी नड्डा और अमित शाह से की थी मुलाकात

बता दें कि उत्तराखंड में अगले साल विधानसभा चुनाव होने वाले हैं। उससे पहले सियासी तैयारियों के मद्देनजर मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत को दिल्ली तलब किया गया था। सीएम रावत के अलावा सतपाल महाजन और धन सिंह रावत को भी दिल्ली दरबार में बुलाया गया था। तीरथ सिंह ने बीजेपी अध्यक्ष जेपी नड्डा और केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह से मुलाकात की थी। इस दौरान अटकलें लगाई जा रही थी कि विधानसभा चुनाव से पहले कुछ फेरबदल हो सकते हैं।

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मालूम हो कि इसी साल मार्च में उत्तराखंड में मचे सियासी घमासान के बीच तीरथ सिंह रावत ने बतौर मुख्यमंत्री शपथ ली थी। उन्होंने पूर्व मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत की जगह ली थी। चूंकि त्रिवेंद्र रावत के खिलाफ प्रदेश भाजपा के अंदर बगावत शुरू हो गई थी और कई विधायकों ने विरोध में आवाज भी उठाई थी। इसके बाद केंद्रीय नेतृत्व ने दखल देते हुए मामले को निपटाया और तीरथ सिंह को नए मुख्यमंत्री के तौर पर आगे बढ़ाया। हालांकि, अब एक बार फिर से उत्तराखंड की सियासी रंग को देखना दिलचस्प होगा।