
पूर्ण बहुमत न मिला, तो मोदी को मिल सकता है किन-किन दलों का सहारा?
नई दिल्ली। लोकसभा चुनाव 2019 ( Lok Sabha Election ) का मतदान कुल सात चरणों में हुआ और उसके बाद से ही पोस्ट पोल सर्वे में नरेंद्र मोदी के दोबारा पीएम बनने के दावे किए जा रहे हैं। कुछ पोस्ट पोल सर्वे तो भाजपानीत गठबंंधन के 2014 के लोकसभा चुनावोंं से भी ज्यादा सीटें जीतने की भविष्यवाणी कर रहे हैं। लेकिन ऐसे सर्वे कई बार गलत भी साबित होते रहे हैं। अगर इस बार भी यह सर्वे गलत साबित हुआ औऱ मोदी बहुमत के जादुई आंकड़े से दूर रह गए, तो कौन-कौन से दल हैं, जो मोदी का समर्थन कर सकते हैं।
पोस्ट पोल सर्वे गलत साबित हुए, तो किसका हाथ थामेगी भाजपा
लोकसभा चुनावों के लिए मतदान शुरू होने से पहले और मतदान के विभिन्न चरणों के दौरान भी भाजपा हो या कांग्रेस, दोनों ही दलों के कुछ नेता यह मानकर चल रहे थे कि उन्हें संसद में पूर्ण बहुमत नहीं मिलेगा। ऐसे नेताओं में कपिल सिब्बल और सुब्रमण्यम स्वामी जैसे बड़े नाम भी शामिल थे। मतदान के सातों चरण खत्म होने के बाद खुद अमित शाह ने प्रेस कॉन्फ्रेस में कहा कि भाजपा गैर-एनडीए दलों का भी स्वागत करेगी। ऐसे में अब यह सवाल उठ खड़ा होता है कि पोस्ट पोल सर्वे के तमाम दावों को गलत साबित करते हुए अगर मतगणना के बाद वास्तविक चुनाव परिणामों में भाजपा और एनडीए को संसद में पूर्ण बहुमत नहीं मिला, तो कौन-कौन से दल नरेंद्र मोदी को दोबारा पीएम बनाने के लिए हाथ बढ़ा सकते हैं?
भाजपा सबसे बड़ा दल बनकर उभरेगी, इस पर सब एकमत
पोस्ट पोल सर्वे कुछ भी कहें, लेकिन अब तक लोकसभा चुनावों में किसी एक दल को पूर्ण बहुमत न मिलने की बात पर ज्यादातर नेता एकमत थे। ठीक इसी तरह ज्यादातर नेता और राजनीतिक विशेषज्ञ यह भी स्वीकार करते रहे हैं कि चुनाव परिणाम के बाद मोदी के नेतृत्व में भाजपा संसद में सबसे बड़ा दल बनकर उभर सकती है। उस स्थिति में उसे सरकार बनाने के लिए एनडीए के घटक दलों के साथ-साथ गैर-एनडीए दलों के समर्थन की भी जरूरत पड़ सकती है।
कौन-कौन से दल हैं भाजपा के साथ
एडीए के प्रमुख बड़े दल, जो भाजपा के साथ गठबंधन में शामिल हैं –शिवसेना, जनता दल यूनाइटेड, लोक जनशक्ति पार्टी, अकाली दल, अपना दल (एस), सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी और एआईएडीएमके। ये दल एनडीए के बैनर तले लोकसभा चुनाव लड़ रहे हैं, इसलिए इनका समर्थन तो भाजपा नेता को मिलना तय ही है।
कुछ पार्टियां भाजपा और कांग्रेस दोनों से दूर
इनके अलावा कुछ ऐसे भी राजनीतिक दल हैं, जिन्होंने मोदी को समर्थन देने की बात नहीं कही, लेकिन जो कांग्रेस के साथ भी नहीं हैं। इनमें सबसे बड़ा दल है बीजू जनता दल। असदुद्दीन ओवैसी की पार्टी ऑल इंडिया मजलिस ए इत्तेहादुल मुस्लिमीन ने भी अभी तक कांग्रेस और भाजपा से बराबर की दूरी बनाई हुई है। जरूरत पड़ने पर मोदी की टीम इन दोनों दलों को भी संपर्क कर सकती है।
मोदी की नजर वाईएसआर कांग्रेस पर भी
इनके अलावा आंध्र प्रदेश में जगन मोहन रेड्डी भी भाजपा के लिए आशा की किरण बनकर उभरे हैं। दरअसल उम्मीद जताई जा रही है कि रेड्डी की वाईएसआर कांग्रेस को 2019 के लोकसभा चुनावों में काफी सीटें मिल सकती हैं। कांग्रेस के साथ रेड्डी के संबंध बहुत मधुर नहीं है। ऐसे में अगर मोदी आंध्र प्रदेश को विशेष राज्य का दर्जा देने की रेड्डी की मांग को स्वीकार कर लें, तो वाईएसआर कांग्रेस भी मोदी को प्रधानमंत्री बनाने के लिए एनडीए के साथ हाथ मिला सकती है।
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Updated on:
20 May 2019 09:18 am
Published on:
09 May 2019 08:03 am
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