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आपको बता दें कि भारतीय कानून के अनुसार चुनाव लड़ने वाले उम्मीदवार चुनाव आयोग में अपने आपराधिक रिकॉर्ड और संपत्ति के ब्यौरे के साथ अपना आमदनी का स्रोत भी बताना होता है। आनी आर्थिक स्थिति की जानकारी देने के लिए उम्मीदवार को चुनाव आयोग में इन्कम टैक्स विभाग द्वारा जारी पैन कार्ड की डिटेल्स देनी होती है। कानून में प्रावधान है कि अगर चुनाव आयोग को उम्मीदवार द्वारा दी गई जानकारी गलत पाई जाती है तो पीपल्स एक्ट, 1951 के अनुसार नेता को मौजूदा पद से हाथ धोना पड़ सकता है। रिपोर्ट में खुलासा हुआ है कि आयोग को दिए गए अपने चुनावी हलफनामे में पैन कार्ड संबंधी गलत जानकारी देने वाले नेताओं में 29 छोटे-बड़े राजनीतिक दलों से संबंध रखते हैं। यहां तक देश की सबसे बड़ी पार्टी कही जाने वाले दल से ही सबसे अधिक 72 नेताओं ने अपने हलफनामे में पैन कार्ड की गलत डिटेल्स दी हैंं।
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इसके अलावा एक और अन्य राष्ट्रीय दल से ऐसे नेताओं की संख्या 41 है। रिपोर्ट में सामने आया है कि उत्तर प्रदेश से ऐसे 26 मामले मिले हैं, जबकि मध्य प्रदेश, बिहार और असम से क्रमशः 17, 15, 13 मामलों में गलत जानकारी दी गई। इसके अलावा उत्तराखंड, हिमाचल प्रदेश और राजस्थान का नाम भी शामिल हैं। इन राज्यों में क्रमशः 14, 12 और 11 मामले मिले हैं। रिपोर्ट में खुलासा हुआ है कि ऐसे नेताओं में 13 मौजूदा और 14 पूर्व विधायकों का नाम शामिल हैं। इनके अलावा 9 मंत्री, एक उप सभापति, एक पूर्व मंत्री, एक पूर्व सीएम और एक राज्यपाल तक का नाम है।