scriptसब तरफ केसरियाः भारत ने चुना मोदी को अपना’शाह’, भाजपा की नए राज्यों में भी एंट्री | Saffron everywhere, BJP enters in new states of India: Lok Sabha Election 2019 Results | Patrika News

सब तरफ केसरियाः भारत ने चुना मोदी को अपना’शाह’, भाजपा की नए राज्यों में भी एंट्री

locationनई दिल्लीPublished: May 24, 2019 11:10:13 am

भाजपा ने मजबूत किया अपना कुनबा और बनाई कई राज्यों में बढ़त
चार दशकों में 2 से 300 पार पहुंच गई भारतीय जनता पार्टी
पीएम मोदी का नेतृत्व मिलने के बाद पार्टी ने की जबर्दस्त बढ़त

modi
नई दिल्ली। बीते दो माह से निर्वाचन आयोग और पिछले करीब चार दशक से चल रही भारतीय जनता पार्टी की कवायद बृहस्पतिवार को लोकसभा चुनाव 2019 के नतीजों के साथ थम गई है। पांच साल पहले अबकी बार मोदी सरकार के नारे से केंद्र में सत्ता पर काबिज होने वाली भाजपा अब ‘एक बार फिर मोदी सरकार’ के नारे के साथ प्रचंड बहुमत लेकर वापस आ गई है। मोदी मैजिक के चलते देश में हर तरफ केसरिया रंग फहरा रहा है और भाजपा ने नए राज्यों में भी प्रवेश कर लिया है।

पहली बार भाजपा ने जीती थीं दो सीटें

सन 1980 में स्थापना के बाद 1984 में हिंदुत्व और राष्ट्रवाद के नाम पर पहला लोकसभा चुनाव लड़ने वाली भाजपा उस वक्त केवल दो ही सीटें जीत सकी थी। इस चुनाव ने पार्टी को हार से परेशान होने के बजाय सत्ताधारी कांग्रेस से लड़ने के लिए और मजबूती दी। भाजपा ने इसके बाद जातिगत-धार्मिक आधार पर पार्टी को मजबूती देने के साथ ही 1989 के लोकसभा चुनाव में कांग्रेस के खिलाफ बोफोर्स कांड का जिन्न बाहर निकाला। पार्टी ने जनता दल से सीटों का बंटवारा करके 89 सीटें जीतीं और महज पांच साल में अपनी सफलता को कई गुणा कर लिया।
यह भी पढ़ेंः वो 7 खास बातें जिसने इस लोकसभा चुनाव को बनाया ऐतिहासिक

राम मंदिर मुद्दे ने दी प्रसिद्धि

उस वक्त सत्ताधारी कांग्रेस ने शायद ही यह सोचा हो कि भाजपा कुछ ही दशकों में उसे देेश से तकरीबन हटा ही देगी। लोकसभा चुनाव 1989 की इस जीत के बाद ही पार्टी ने अगले चुनाव की तैयारी शुरू कर दी और राम मंदिर का मुद्दा हवा में उछाल दिया। सितंबर 1990 में आडवाणी ने ‘रथ यात्रा’ चालू कर राम मंदिर के लिए जनता का समर्थन जुटाना शुरू किया। इस दौरान बिहार सरकार ने आडवाणी को गिरफ्तार कर लिया तो भाजपा ने वीपी सिंह सरकार से नाता तोड़कर सरकार गिरा दी। 1991 चुनाव में भाजपा ने 120 सीटें हासिल कीं, जबकि जनता दल 59 और कांग्रेस 232 सीटें पाकर त्रिशंकु संसद वाली स्थिति में आ गईं।
Atal Bihari Vajpayee (File Photo)

वाजपेयी की 13 दिन की सरकार

इस बीच अयोध्या के विवादित ढांचे को कारसेवकों द्वारा ढहाने के बाद 1996 चुनाव में भाजपा काफी फायदे में रही। 161 सीटें पाकर भाजपा ने अटल बिहारी वाजपेयी की अगुवाई में सरकार बनाई। इस चुनाव में कांग्रेस को 140 जबकि जनता दल को 46 सीटें मिली थीं। हालांकि 16 मई को वाजपेयी के पीएम बनने के बाद महज 13 दिन बाद सरकार गिर गई क्योंकि वो समर्थन नहीं जुटा पाई थी। बीच में देवेगौड़ा और गुजराल पीएम बने और फिर 1998 में लोकसभा चुनाव हुए। वाजपेयी के नेतृत्व में भाजपा (182 सीटें) के गठबंधन की सरकार बनी लेकिन 13 माह बाद ही जयललिता की पार्टी एआईएडीएमके द्वारा समर्थन वापसी से फिर गिर गई।

[typography_font:12pt;” >यह भी पढ़ेंः कहीं मुलायम सिंह का आशीर्वाद तो नहीं बना PM मोदी की जीत की वजह?

पार्टी सत्ता से बाहर

1999 में फिर चुनाव हुए और भाजपा ने इसके लिए कई दलों के साथ मिलकर नेशनल डेमोक्रैटिक अलायंस (एनडीए) का गठन कर सियासी मुकाबला किया। एनडीए ने 298 सीटें हासिल की और फिर तीसरी बार अटल बिहारी वाजपेयी ने तीसरी प्रधानमंत्री पद की शपथ ली। इसके बाद 2004 और फिर 2009 के लोकसभा चुनाव मेें भाजपा का प्रदर्शन अच्छा नहीं रहा और पार्टी केंद्र से बाहर चली गई।
PM Modi (File Photo)

मोदी फैक्टर ने दिया पार्टी को नया जीवन

सत्ता से दूर रहने के एक दशक बाद 2014 में भाजपा ने गुजरात के मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में लोकसभा चुनाव लड़ा और ऐतिहासिक जीत दर्ज की। अबकी बार-मोदी सरकार का नारा बच्चे-बच्चे की जुबान पर गूंजा और पार्टी हर हर मोदी-घर घर मोदी हो गई। भाजपा नीत एनडीए की इस जीत ने देश में विपक्ष को तकरीबन खत्म ही कर दिया और फिर पार्टी ने इस चुनाव के साथ ही मिशन 2019 की तैयारी शुरू कर दी। 2014 में देश के कई नए राज्यों में भाजपा ने खुद की मौजूदगी दर्ज कराई और आज बृहस्पतिवार को पहाड़ से रेगिस्तान और तटीय राज्यों तक खुद को मजबूत कर लिया।

यह भी पढ़ेंः भाजपा की आंधी थी, कांग्रेस समझ नहीं पाई, उड़ गई

मोदी 2.0 का असर

अगर बात करें बृहस्पतिवार शाम तक मिले नतीजों-रुझानों की तो भाजपा ने कई राज्यों में अपनी एंट्री कर ली है। इनमें कुछ राज्यों में तो पार्टी ने खुद को इतना मजबूत जनाधार दे दिया है, जिसकी सियासी पंडितों को उम्मीद तक नहीं थी। ताजा परिणामों पर नजर डालें तो पश्चिम बंगाल में भाजपा ने इस बार 16 सीटों पर अब तक बढ़त बनाई हुई है और तकरीबन जीत पक्की कर चुकी है। जबकि 2014 में भाजपा ममता के गढ़ में महज 2 सीटें ही जीत सकी थी। तृणमूल कांग्रेस के गढ़ माने जाने वाले पश्चिम बंगाल में भाजपा की यह एंट्री सियासत का एक नया अध्याय लिखने वाली है।
PM Modi

केसरिया देश और नए राज्यों में प्रवेश

पूर्वोत्तर में भाजपा ने अपनी पकड़ मजबूत की है और पश्चिम बंगाल के अलावा त्रिपुरा में 2014 के शून्य से बढ़कर 2, नागालैंड में 0 से 1 और अरुणाचल प्रदेश में 1 से 2 सीटें जीतने की दहलीज पर है। एनआरसी के मुद्दे पर फैले असंतोष के बावजूद असम में भाजपा पिछली 10 सीटों में से इस बार 7 सीटें हासिल करने में कामयाब रही है।
यह भी पढ़ेंः लोकसभा में अकेले पड़े राहुल गांधी, निपट गए धुरंधर

केसरिया होते देश में पीएम मोदी की अगुवाई में अब पार्टी तेलंगाना में 2 से बढ़कर 4 पर, कर्नाटक में 17 से बढ़कर 24 पर, हरियाणा में 7 से बढ़कर 9 पर तो ओडिशा में झूमते हुए 1 से छलांग लगाकर सीधे 9 सीटों पर भाजपा ने कब्जा जमाया है। बिहार में भी एनडीए ने अपने प्रदर्शन को बेहतरीन करते हुए पिछली 31 सीटों से बढ़ाकर 39 पर पहुंचा दिया है।
loksabha entry point

ट्रेंडिंग वीडियो