
सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम ने फिर सुझाया जस्टिस जोसेफ का नाम, केंद्र को मजबूरन लेना पड़ेगा ये फैसला
नई दिल्ली। उत्तराखंड हाईकोर्ट के जस्टिस केएम जोसेफ को सुप्रीम कोर्ट का जज बनाने की मांग को लेकर यह मसला एक बार फिर गर्मा गया है। दरअसल, चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा की अध्यक्षता वाले पांच वरिष्ठ जजों के कॉलेजियम ने दोबारा जस्टिस जोसेफ की नियुक्ति की सिफारिश की है। ऐसे में अब उनका सुप्रीम कोर्ट आना लगभग तय हो गया है।
सरकार को माननी पड़ेगी बात, यह है नियम
कानून के जानकारों के मुताबिक यदि किसी जज का नाम कॉलेजियम की तरफ से पुनर्विचार के लिए भेजा जाए तो सरकार के लिए उनकी नियुक्ति करना बाध्यकारी हो जाता है। सरकार ऐसे में जस्टिस जोसेफ का सुप्रीम कोर्ट में आना लगभग तय हो गया है। शीर्ष अदालतों में जजों की नियुक्ति को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने 1993 और 1998 में दिशानिर्देश दिए थे, जिनका पालन करना जरूरी है।
पिछली बार केंद्र ने दिए थे ये तर्क
- यह प्रस्ताव शीर्ष कोर्ट के मानदंडों के तहत नहीं है।
- सुप्रीम कोर्ट में केरल से पर्याप्त प्रतिनिधित्व है। गौरतलब है कि जस्टिस जोसेफ भी केरल से ही आते हैं।
- बतौर सुप्रीम कोर्ट जज उन्हें प्रमोशन देने के लिए वरिष्ठता पर सवाल भी उठे थे।
इन नामों की भी हुई सिफारिश
- इंदिरा बनर्जी, चीफ जस्टिस, मद्रास हाईकोर्ट (सुप्रीम कोर्ट जज के लिए)
- विनीत सरन, चीफ जस्टिस, उड़ीसा हाईकोर्ट (सुप्रीम कोर्ट जज के लिए)
- गीता मित्तल, कार्यकारी चीफ जस्टिस, दिल्ली हाईकोर्ट (जम्मू-कश्मीर हाईकोर्ट में चीफ जस्टिस के लिए)
- अनिरूद्ध बोस, सीनियर जज, कलकत्ता हाईकोर्ट (झारखंड हाईकोर्ट में चीफ जस्टिस के लिए)
- वीके तहिलरमानी, जज, बॉम्बे हाईकोर्ट (मद्रास हाईकोर्ट में चीफ जस्टिस के लिए)
- एमआर शाह, जज, गुजरात हाईकोर्ट (पटना हाईकोर्ट में चीफ जस्टिस के लिए)
Published on:
20 Jul 2018 07:58 pm
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