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Ayushman Yojana: आयुष्मान योजना के नियमों में बड़ा बदलाव, अब इन मरीजों की बढ़ने वाली है परेशानी…

Ayushman Yojanaरू भाजपा शासनकाल में हर साल 1000 से 1200 करोड़ रुपए का औसतन फ्री इलाज होता रहा है। ‘पत्रिका’ ने रेकॉर्ड इलाज का मुद्दा प्रमुखता से उठाया था।

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Ayushman Yojana

Ayushman Yojana: केंद्र सरकार ने आयुष्मान भारत योजना से इलाज के नियमों में बड़ा बदलाव किया है। इसके तहत अब भर्ती मरीजों का पांच नहीं, तीन दिन बैक डेट से योजना के तहत इलाज हो सकेगा। इससे जरूरतमंद मरीजों की परेशानी बढ़ जाएगी। दरअसल, कई बार दूरदराज से आने वाले कई मरीज जल्दबाजी में आयुष्मान कार्ड घर से नहीं ला पाते। ऐसे में अस्पताल प्रबंधन भी कार्ड जाने की प्रत्याशा में मरीजों का फ्री इलाज शुरू कर देता है। अब इसके लिए केवल 72 घंटे मिलने से समस्या बढ़ जाएगी।

Ayushman Yojana: 90 फीसदी कार्डधारी अस्पतालों में फ्री इलाज

प्रदेश के 1026 सरकारी व 553 निजी अस्पतालों में आयुष्मान यानी शहीद वीर नारायण सिंह स्वास्थ्य योजना के तहत बीपीएल परिवारों का 5 लाख तक व एपीएल परिवार का सालाना 50 हजार रुपए तक फ्री इलाज किया जा रहा है। यानी लगभग 90 फीसदी कार्डधारी अस्पतालों में फ्री इलाज करवा रहे हैं। यही कारण है कि नियमों में जरा से बदलाव से अच्छे खासे मरीज प्रभावित होते हैं।

सरकारी व निजी अस्पतालों का योजना के तहत मरीजों के फ्री इलाज का करीब 1500 करोड़ रुपए बकाया है। इसमें आंबेडकर अस्पताल का 80 करोड़, डीकेएस का 57 करोड़, बड़े कुछ निजी अस्पतालों का 15 से 20 करोड़ रुपए बकाया है।

इलाज बंद करने संबंधी अभी नहीं लिया कोई निर्णय

अप्रैल में पहले आओ, पहले पाओ के आधार पर रोजाना भुगतान का निर्णय स्वास्थ्य विभाग ने लिया था, लेकिन इसकी हवा निकल गई है। इसके तहत जिन अस्पतालों ने पहले इलाज, उनका पहले भुगतान होगा और जिन्होंने बाद में किया है, उसका बाद में किया जाता। ये सिस्टम कुछ दिन चला। बकाया भुगतान नहीं होने से कुछ निजी अस्पताल योजना के तहत मरीजों का फ्री इलाज से बच रहे हैं। हालांकि स्टेट आईएमए ने इलाज बंद करने संबंधी कोई निर्णय अभी नहीं लिया है।

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जो सुविधा नहीं, उसका भी भुगतान का प्रयास

राजधानी व कस्बाई इलाकों के कुछ निजी अस्पताल योजना के तहत इलाज में मनमानी कर रहे हैं। निजी अस्पतालों की ऐसी मनमानी सामने आ रही है, जो सोच से परे है। जैसे अस्पताल में सुविधा न होते हुए भी बड़े पैकेज ब्लॉक करना, गैरजरूरी तरीके से अधिक राशि वाले पैकेज क्लेम करना, ओपीडी के मरीज को भर्ती दिखाकर पैकेज ब्लॉक करना।

ये तो केवल उदाहरण है। पैसे कमाने के लिए ये कुछ निजी अस्पताल ऐसे हथकंडे अपना रहे हैं, जिससे स्टेट नोडल एजेंसी (एसएनए) के अधिकारी भी भौंचक है। यानी अस्पताल ऐसे भी कर सकते हैं, ऐसा अधिकारी सोच भी नहीं सकते। एसएनए से कुछ माह पहले ऐसे अस्पतालों के खिलाफ कार्रवाई भी की थी।

मरीजों के साथ किया जा रहा धोखा भी

Ayushman Yojana: पिछले वित्तीय वर्ष 2023-24 में 2153 करोड़ रुपए का फ्री इलाज किया गया। यह सर्वाधिक इलाज है। इस दौरान अस्पतालों के 15.65 लाख क्लेम मिले हैं। भाजपा शासनकाल में हर साल 1000 से 1200 करोड़ रुपए का औसतन फ्री इलाज होता रहा है। ‘पत्रिका’ ने रेकॉर्ड इलाज का मुद्दा प्रमुखता से उठाया था। इसमें कुछ अस्पतालों को काफी बड़ा भुगतान किया गया है।

जानकार ये भी कहने लगे हैं कि नियम कायदों को तोड़कर मरीजों का इलाज कुछ अस्पतालों ने किया है इसलिए सरकार भी ऐसे इलाज के भुगतान से बच रही है। हालांकि ऐसे अस्पतालों की संया गिनती में है। नाम के सुपर स्पेशलिटी या मल्टी स्पेशलिटी के नाम पर मरीजों के साथ धोखा भी किया जा रहा है।