
CG Bypoll 2024:विधायक बृजमोहन अग्रवाल के सांसद बनाने के बाद रायपुर दक्षिण विधानसभा में उप चुनाव होगा। इसे लेकर अभी से दावेदारों के नामों पर चर्चा शुरू हो गई है। कांग्रेस और भाजपा दोनों के नेता टिकट के लिए जुगत में लगे हैं।
इस बार पूर्व मंत्री शिव कुमार डहरिया ने प्रत्याशी चयन को लेकर बड़ा बयान दिया है। उन्होंने कहा, हम ही अच्छा उम्मीदवार रायपुर दक्षिण से उतारेंगे। इसके लिए बृजमोहन अग्रवाल से भी सलाह लेंगे। वो खुद भी दुखी हैं। मंत्री पद से भी इस्तीफा नहीं देना चाह रहे थे, भाजपा ने जबरदस्ती उनसे इस्तीफा दिलवाया। इसका फायदा हमें होगा। डहरिया ने कहा, सारे नेता अपना-अपना राग अलाप रहे हैं। हर कोई अलग-अलग बात कर रहा है। 15 साल सरकार चलाने वाले पूर्व मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह की भी पूछपरख नहीं हो रही है। अब भाजपा में समन्वय खत्म हो गया है।
सांसद बनाने के बाद रायपुर दक्षिण विधानसभा के विधायक बृजमोहन अग्रवाल का इस्तीफा मंजूर हो गया है। इसके साथ राजधानी में विधानसभा उप चुनाव की चर्चा भी तेज हो गई है। यह सीट वर्ष 1990 से भाजपा के खाते में हैं। यहां से लगातार बृजमोहन अग्रवाल चुनाव जीतते आ रहे हैं। वे रणनीति बनाने में काफी माहिर माने जाते हैं। अब उनके इस्तीफे के बाद भाजपा के गढ़ में कांग्रेस सेंध लगाने की तैयारी कर रही है। कांग्रेस का सारा जोर उप चुनाव में रहेगा। संकेत मिल रहे हैं चुनाव में कांग्रेस किसी चर्चित चेहरा पर अपना दांव खेल सकती है। यदि ऐसा होता है तो चुनाव की रेस में लगे पार्षदों को निराशा हाथ लगेगी। बृजमोहन के हटने के बाद कांग्रेस इस सीट पर जीत की उम्मीद लगा रही है।
रायपुर दक्षिण विधानसभा की सीट सामान्य वर्ग के हिस्से में आती है। भाजपा ने 1990 के बाद से यहां अपना प्रत्याशी नहीं बदला। वहीं कांग्रेस क्षेत्रीय और जातिगत समीकरण के आधार पर प्रत्याशी बदलते रही। इस बार बृजमोहन के जाने के बाद एक बार फिर जातिगण समीकरण को आधार बनाकर टिकट दी जा सकती है। कांग्रेस-भाजपा दोनों में इसकी संभावना बनी हुई है।
यह उप चुनाव कांग्रेस-भाजपा दोनों के लिए चुनौतीपूर्ण होगा। दरअसल, बृजमोहन को केंद्रीय मंत्रिमंडल में जगह नहीं मिली है। इस वजह से उनके समर्थकों में मायूसी है। कांग्रेस को इसका कुछ फायदा भी मिल सकता है। हालांकि उप चुनाव में सत्ता पक्ष के प्रत्याशी हमेशा मजबूत स्थिति में रहता है। यही वजह है कि कांग्रेस-भाजपा दोनों प्रत्याशी चयन में काफी सतर्कता बरतेंगे। दोनों दलों का टारगेट रहेगा कि स्वच्छ छवि वाले नेता को ही मौका दिया जाए, ताकि पिछले विवादों को लेकर कोई मुद्दा खड़ा न हो। इससे बचने के लिए कांग्रेस-भाजपा दोनों अपने-अपने स्तर पर सर्वे करवाएंगे। सर्वे में पार्टी में पैमाने में खड़ा उतरने वालों को ही मौका दिया जाएगा।
वर्ष - कांग्रेस प्रत्याशी
1990 - स्वरूप चंद जैन
1993 - राजकमल सिंघानिया
1998 - पारस चोपड़ा
2003 - गजराज पगरिया
2008 - योगेश तिवारी
2013 - किरणमयी नायक
2018 - कन्हैया अग्रवाल
2023 - महंत रामसुंदर दास
Updated on:
26 Jun 2024 07:52 am
Published on:
25 Jun 2024 12:00 pm
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