
एक करोड़ रुपए में सीट बुक (Photo source- Patrika)
CG Medical College: छत्तीसगढ़ के निजी मेडिकल कॉलेजों के स्टेट व मैनेजमेंट कोटे में फीस एक समान है, लेकिन एजेंट पहली बार मैनेजमेंट कोटे के लिए एक करोड़ रुपए में सीट बुक करने का दावा कर रहे हैं। छात्रों व पैरेंट्स को झांसा देने के लिए यह पैंतरा अपनाया गया है। दरअसल, एजेंट एनआरआई कोटे में 5 लाख रुपए एडवांस लेने के बाद एक से सवा करोड़ रुपए में सीट पक्की करने का झांसा दे रहे हैं।
उनका दावा है कि एनआरआई कोटे में एडमिशन चाहिए तो एजेंट से सीटें बुक करानी ही होंगी। ऐसा नहीं करने पर सीट मिलने की कोई गारंटी नहीं है। ‘पत्रिका’ ने 8 जुलाई के अंक में 5 लाख दें, सीट पक्की, मेडिकल कॉलेजों में प्रवेश कराने का दावा शीर्षक से समाचार प्रकाशित किया है। पत्रिका रिपोर्टर ने जिस एजेंट के साथ बातचीत की है, उन्होंने न केवल छत्तीसगढ़, बल्कि मध्यप्रदेश व राजस्थान के निजी मेडिकल कॉलेजों में एडमिशन का दावा कर रहा है। नई बात ये कि छत्तीसगढ़ में मैनेजमेंट कोटे में भी एडमिशन का झांसा दे रहे हैं।
यहां एनआरआई हो या मैनेजमेंट कोटा, नीट यूजी क्वालिफाइड व मेरिट सूची में नाम आना अनिवार्य है। इसके बिना एडमिशन नहीं हो सकता। मैनेजमेंट कोटे के लिए यहां अलग से कोई फीस नहीं है। ये अलग बात है कि कॉलेज प्रबंधन ट्यूशन फीस के अलावा हॉस्टल, मेस, ट्रांसपोर्टिंग समेत 65 लाख रुपए वसूलते हैं। ये फीस स्टेट व मैनेजमेंट कोटे की फीस है।
मेडिकल एजुकेशन से जुड़े अधिकारियों के अनुसार, मैनेजमेंट व एनआरआई कोटे की सीटों में प्रवेश के लिए एजेंट की कोई भूमिका नहीं है। पिछले साल पंजाब-हरियाणा मामले के एनआरआई संबंधी केस में सुप्रीम कोर्ट ने कमेंट किया था कि दूर के रिश्तेदारों को प्रवेश देना गलत है। यह सीटें बेचने जैसा है।
CG Medical College: छत्तीसगढ़ के एमबीबीएस प्रवेश नियम-2018 में दो पीढ़ी तक यानी माता-पिता पक्ष से रक्त संबंध के प्रवेश देने का उल्लेख है। जैसे माता, पिता, भाई, बहन, भाई-बहन की संतान, चाचा, चाचा की संतान, मामा, मामा की संतान, मौसी, मौसी की संतान, बुआ, बुआ की संतान, नाना-नानी, दादा-दादी आदि शामिल है। इसके लिए वंशावली प्रमाणपत्र जरूरी है, जो तहसीलदार या उच्च अधिकारी द्वारा जारी किया गया हो। प्रदेश के 5 निजी मेडिकल कॉलेजों में एनआरआई कोटे में कुल 103 सीटें हैं।
डॉ. एके चंद्राकर, रिटायर्ड डीएमई व कुलपति हैल्थ साइंस विवि: मेडिकल कॉलेजों में संचालित एमबीबीएस कोर्स में एजेंटों का झांसा देना कोई नई बात नहीं है। पैरेंट्स दलालों के झांसे में आकर अपनी गाढ़ी कमाई के लाखों रुपए गंवा देते हैं। यही नहीं, प्रवेश की गारंटी भी नहीं होती। ऐसे में उनका साल भी बर्बाद होता है। प्रदेश में मेडिकल काउंसलिंग में पूरी पारदर्शिता बरती जाती है।
Updated on:
09 Jul 2025 09:49 am
Published on:
09 Jul 2025 09:48 am
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