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CG Medical: MBBS प्रवेश के दौरान बढ़ रहा विवाद, तीन साल का आय प्रमाणपत्र एक साथ मांगने पर भड़के छात्र..

CG Medical: रायपुर के मेडिकल कॉलेजों में एमबीबीएस कोर्स में प्रवेश चल रहा है। इस दौरान दस्तावेजों के सत्यापन के दौरान विवाद हो रहा है। दरअसल तहसीलदार एक साथ तीन साल का प्रमाणपत्र बनाकर नहीं देता। शासन ने ऐसा नियम बनाया है, जो प्रेक्टिकल नहीं है।

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medical students big relief given by Yogi Adityanath government

CG Medical: छत्तीसगएढ़ के राजधानी रायपुर के मेडिकल कॉलेजों में एमबीबीएस (MBBS) कोर्स में प्रवेश चल रहा है। इस दौरान दस्तावेजों के सत्यापन के दौरान एक साथ तीन साल का आय प्रमाणपत्र मांगे जाने पर विवाद हो रहा है। छात्रों व पालकों का कहना है कि कोई भी तहसीलदार एक साथ तीन साल का प्रमाणपत्र बनाकर नहीं देता।

CG Medical: शासन ने ऐसा नियम बनाया है, जो प्रेक्टिकल नहीं है। वहीं जानकारों का कहना है कि जब छात्र के पास ओबीसी नॉन क्रीमिलेयर का सर्टिफिकेट हो तो आय प्रमाणपत्र लेने का क्या तुक है? 8 लाख रुपए से कम आय वालों को यह प्रमाणपत्र जारी होता है।

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CG Medical:तीन साल का आय प्रमाणपत्र एक साथ मांगने पर विवाद

CG Medical College Admission 2024: तीन साल का आय प्रमाणपत्र एक साथ मांगने से इसलिए विवाद हो रहा है, क्योंकि इसे बनाने में छात्रों को परेशानी हो रही है। हालांकि राहत वाली बात ये है कि किसी छात्र को तीन साल का प्रमाणपत्र न होने पर प्रवेश से रोका नहीं जा रहा है। पं. जवाहरलाल नेहरू मेडिकल कॉलेज में 31 अगस्त से प्रवेश प्रक्रिया चल रही है। यहां राजधानी स्थित तीन निजी कॉलेजों की प्रवेश प्रक्रिया भी जारी है। छात्र संबंधित कॉलेजों में 5 सितंबर तक प्रवेश ले सकेंगे। इसके बाद खाली सीटों को भरने के लिए तीन और राउंड में काउंसलिंग कराई जाएगी।

नेहरू मेडिकल कॉलेज में 83 छात्रों ने लिया एडमिशन

एडमिशन के तीन दिनों में नेहरू मेडिकल कॉलेज में 83 छात्रों ने एडमिशन ले लिया है। 31 अगस्त को 11, 1 सितंबर को 32 व 2 सितंबर 40 समेत 83 छात्रों ने प्रवेश लिया है। वहीं बालाजी व रावतपुरा में 5-5 तथा रिम्स में 9 छात्रों ने प्रवेश लिया है। निजी कॉलेजों में धीमा प्रवेश इसलिए है, क्योंकि उनके पास प्रवेश नहीं लेने का विकल्प है। वे दूसरे राउंड में प्रवेश लेंगे। यही कारण है कि छात्र दस्तावेजों का सत्यापन करवाकर लौट रहे हैं।

वही12 सालों का ट्रेंड रहा है कि दूसरे राउंड में निजी कॉलेजों में अच्छा खासा एडमिशन होता है। इसके बाद मापअप व स्ट्रे राउंड में कुछ ही सीटें बचती हैं। प्रदेश में एमबीबीएस (MBBS)की सीटें खाली रहने का फिलहाल ट्रेंड नहीं है। हालांकि तीन साल पहले सरकारी कॉलेजाें की 22 सीटें लैप्स हो गई थीं। देरी से मान्यता मिलने के कारण दुर्ग, कोरबा व महासमुंद में सेंट्रल पुल व आल इंडिया कोटे की सीटें नहीं भर पाईं थीं।


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