
19 के बाद ही आ पाएगी आवंटन सूची (Image: Freepik)
Reservation in Medical PG: एमडी-एमएस कोर्स यानी मेडिकल पीजी में 75 फीसदी सीटों के बाहरी आरक्षण मामले में सुप्रीम व हाईकोर्ट में एक साथ सुनवाई चल रही है। मंगलवार को दोनों कोर्ट में सुनवाई हुई। सुप्रीम कोर्ट में 18 दिसंबर व हाईकोर्ट में 19 दिसंबर को सुनवाई होगी। दरअसल सुप्रीम कोर्ट में सरकारी वकील ने जज से अपना पक्ष रखने के लिए अतिरिक्त समय मांगा है। सुनवाई को देखते हुए लग रहा है कि पीजी की आवंटन सूची 19 दिसंबर के बाद ही जारी हो सकती है। तब तक नीट पीजी क्वालिफाइड छात्रों को इंतजार करना होगा।
दूसरी ओर, चिकित्सा शिक्षा विभाग ने हाईकोर्ट में अपना पक्ष रखते हुए कहा है कि विद्यार्थियों की याचिका खारिज कर दी जाए। डीएमई के इस रूख से नीट पीजी क्वालिफाइड छात्र भी भौंचक है। प्रदेश में पीजी कोर्स में ऑल इंडिया कोटे के लिए 50 व ओपन कैटेगरी के लिए 25 फीसदी सीटें देने से प्रदेश में बड़ा विवाद चल रहा है। इस कारण आवंटन सूची भी जारी नहीं की जा सकी है, जो 10 दिसंबर को होने वाली थी। ‘पत्रिका’ को अभ्यर्थियों ने बताया कि डीएमई का कोर्ट में जवाब आश्चर्य करने वाला है। अपना पक्ष रखते हुए चिकित्सा शिक्षा विभाग ने ये भी कहा है कि याचिकाकर्ताओं की धारणा गलत है कि उनके लिए केवल 25 फीसदी सीटें ही शेष है।
दरअसल प्रदेश में लंबे समय से इंस्टीट्यूशनल डोमिसाइल का नियम लागू है। इसका विरोध होने पर राज्य शासन ने 1 नवंबर को नया गजट नोटिफिकेशन कर दिया। इसमें हैल्थ साइंस विवि से संबद्ध मेडिकल कॉलेजों में पढ़े एमबीबीएस छात्रों को पीजी में प्रवेश की बात कही गई है। इस पर भी विवाद होने के बाद दिसंबर में गजट नोटिफिकेशन कर 50 फीसदी ऑल इंडिया पहले से निर्धारित व 25 फीसदी ओपन कैटेगरी के लिए सीटें रिजर्व कर दी हैं।
दरअसल हाईकोर्ट ने एक छात्रा की याचिका पर 100 फीसदी स्थानीय डोमिसाइल को रद्द कर दिया था। इसे राज्य शासन ने अलग ही प्रचारित कर नया नियम बना दिया है, जो मेडिकल एक्सपर्ट के अनुसार स्थानीय छात्रों के हित में नहीं है।
राज्य शासन कोर्ट-कचहरी व एनएमसी से जुड़े मामलों में डीएमई को आगे कर देता है। जबकि असल पॉवर कमिश्नर मेडिकल एजुकेशन के पास है। डीएमई के पास तो कोई अधिकार ही नहीं है कि वे ऐसे महत्वपूर्ण मामलों में आगे आए। यही नहीं काउंसङ्क्षलग जैसे महत्वपूर्ण कार्य से भी डीएमई को अलग रखा गया है। डीएमई के हस्ताक्षर से कभी-कभार कुछ आदेश जारी हो रहे हैं, जिसमें कमिश्नर द्वारा अनुमोदित लिखा रहता है। कई जानकारों का कहना है कि शासन ने डीएमई को एक शाखा प्रभारी जैसा पॉवर देकर रखा है, जो सोचनीय है।
Published on:
17 Dec 2025 09:10 am
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