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प्रोफेसर और रिटायर्ड शिक्षक से 1 करोड़ से अधिक की ठगी… डिजिटल अरेस्ट के नाम पर कंबोडिया गिरोह ने रची साजिश, 4 राज्यों से 5 आरोपी पकड़ाए

Online Fraud: कभी क्राइम ब्रांच तो कभी सीबीआई वाले बनकर डिजिटल अरेस्ट करने के नाम पर ऑनलाइन ठगी के पीछे कंबोडिया गिरोह का हाथ है। इससे जुड़े 5 आरोपियों को रेंज साइबर थाना की टीम ने 4 राज्यों में छापे मारकर पकड़ लिया है।

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Online Fraud: कभी क्राइम ब्रांच तो कभी सीबीआई वाले बनकर डिजिटल अरेस्ट करने के नाम पर ऑनलाइन ठगी के पीछे कंबोडिया गिरोह का हाथ है। इससे जुड़े 5 आरोपियों को रेंज साइबर थाना की टीम ने 4 राज्यों में छापे मारकर पकड़ लिया है। आरोपियों ने डिजिटल अरेस्ट का झांसा देकर पुरानी बस्ती इलाके में रहने वाले इंजीनियरिंग कॉलेज के प्रोफेसर से 88 लाख और एक रिटायर्ड शिक्षक से 14 लाख की ऑनलाइन ठगी की थी। सभी आरोपियों को जेल भेज दिया गया है। पकड़े गए आरोपी एक शहर से दूसरे शहर के लिए कैब में सफर करते थे और उसी दौरान पीडि़तों को डिजिटल अरेस्ट बताते हुए ठगते थे।

पुलिस के मुताबिक, पीडि़तों की शिकायत पर पुरानी बस्ती थाने में अपराध दर्ज किया गया था। इसके बाद रेंज साइबर थाना की टीम ने जांच शुरू की। जांच के दौरान आरोपियों के मोबाइल नंबर, बैंक खाता आदि की जांच की। इनका लोकेशन दिल्ली, उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश और महाराष्ट्र में मिला। इसके बाद पुलिस की अलग-अलग टीम ने छापे मारे। उत्तर प्रदेश के हाथरस से मनीष पाराशर और अर्जुन सिंह को गिरफ्तार किया। इसी तरह मुंबई के उल्हास नगर से आकाश तुशरानी, अहमदनगर से राहुल मरकड़ और मध्य प्रदेश के उज्जैन से लखन जाटव को पकड़ा गया।

Online Fraud: मास्टरमाइंड करते थे फोन

इस गिरोह के मास्टरमाइंड मनीष और अर्जुन हैं। दोनों अलग-अलग नंबर से कॉल करते थे। लोकल नंबर के अलावा कंबोडिया के वर्चुअल नंबर से भी कॉल करते थे। दोनों पीडि़तों को क्राइम ब्रांच, सीबीआई आदि के नाम पर डराकर अपने बैंक खातों में पैसे जमा करवाते थे। आकाश, राहुल और लखन ठगी की राशि को ठिकाने लगाते थे। ठगी के पैसों को कंबोडिया में बैठे अपने दूसरे साथियों के बैंक खातों में ट्रांसफर करते थे। फिर उस रकम को दूसरे माध्यम से वापस ले लेते थे और अलग-अलग शहरों से निकालकर बांट लेते थे।

कैब चलाते हुए करते थे ठगी

मनीष और अर्जुन खुद को कैब वाला बताते थे और ठगी के दौरान पीडि़तों से अलग-अलग शहर जाते हुए बातचीत करते थे। आगरा से मथुरा, दिल्ली-वृंदावन आदि जाते थे। इसके अलावा कोलकाता भी जाया करते थे। पुलिस ने जब दोनों आरोपियों को पकड़ा, तो खुद को कैब संचालक बता रहे थे।

केस- 1. रिटायर्ड कर्मचारी रामेश्वर प्रसाद देवांगन को सीबीआई, आरबीआई का अधिकारी बनकर आरोपियों ने उनके मोबाइल नंबर का इस्तेमाल मनी लॉन्ड्रिंग में होना बताया। फिर उन्हें डरा-धमकाकर 24 घंटे डिजिटल अरेस्ट रखा। छोडऩे के एवज में उनसे 14 लाख रुपए वसूल लिए।

केस- 2. प्रोफेसर संतोष को दूरसंचार विभाग बेंगलूरू और मुंबई पुलिस के नाम पर ठगों ने फोन किया। उन्हें उनके खिलाफ मनी लॉन्ड्रिंग का मामला दर्ज होने के नाम पर डराया। उन्हें वीडियो कॉल के जरिए कई दिनों तक डिजिटल अरेस्ट बताकर 88 लाख रुपए ठग लिए।

साइबर ठगों के खिलाफ पुलिस लगातार एक्शन ले रही है। डिजिटल अरेस्ट जैसी कोई प्रक्रिया नहीं होती है। इसके झांसे में बिलकुल न आएं। सीबीआई, ईडी, दिल्ली क्राइम ब्रांच या अन्य जांच एजेंसी के नाम पर कॉल करके कोई डिजिटल अरेस्ट करने का दावा करें, तो उनसे डरने की जरूरत नहीं है। उनके बहकावे में न आएं और तत्काल पुलिस में शिकायत करें। -अमरेश मिश्रा, आईजी, रायपुर