
सिस्टम की खामियों से छूट जाते हैं 60% चाकूबाज, किशोरों में जागरुकता जरूरी
Raipur news राजधानी में चाकू मारने वाले आसानी से छूट जाते हैं, इसकी वजह सिस्टम की खामियां हैं। थाने से लेकर न्यायालयीन प्रक्रिया में कई तरह की कमियां हैं, जिसके चलते चाकूबाजी करने वाले 60 फीसदी अपराधी आसानी से जेल से छूट जाते हैं। पत्रिका नवसंवाद में शामिल हुए शहर के वकील और कानून के छात्रों ने यह जानकारी साझा की।
उनका मानना है कि कानून के कई प्रावधानों को स्कूली पाठ्यक्रम में शामिल करना चाहिए और किशोरों को अपराध से दूर रखने के लिए उन्हें जागरूक करना जरूरी है। इसके लिए समय-समय पर उनकी काउंसलिंग होते रहना चाहिए। कानून में कई (raipur news) प्रावधान ऐसे हैं, जिसकी जानकारी होने पर जरूरतमंद लोगों को मदद मिल सकती है। पुलिसकर्मियों को भी जांच के लिए उपयोगी टेक्नोलॉजी की जानकारी होना चाहिए। थानास्तर पर पुलिसकर्मियों का व्यवहार भी सहज और सरल होना चाहिए।
लोक अदालत की संख्या बढ़ेगी, तब मिलेगी राहत
अदालतों में विचाराधीन मामलों की संख्या इतनी ज्यादा बढ़ती जा रही है कि लोगों को न्याय मिलने में देरी होती है। ज्यादा से ज्यादा लोक अदालत लगना चाहिए, जिससे मामलों का समाधान शीघ्र हो। पत्रिका नवसंवाद में लॉ स्टूडेंट नंदन झा, चंचल साहू, पुलकीत सोनकर, अजय कुमार साहू, अजय तिवारी, हिमांशु अधिकारी, बी तनुश्री व अन्य लोगों ने हिस्सा लिया।
राजनीतिक दबाव में काम रकती है पुलिस
पुलिस राजनीतिक दबाव में काम करती है। कानूनी धाराओं का अपने मन मुताबिक इस्तेमाल करती है। कई बार थाना जाने वालों को पुलिसकर्मियों के दुर्व्यहार का सामना करना पड़ता है। पुलिसकर्मियों को वर्तमान में सीसीटीवी, साइबर क्राइम, फॉरेसिंक (cg news) आदि के लिए प्रशिक्षित होने जरूरत है। किसी भी मामले में साक्ष्य और विवेचना सही होती है, कोर्ट में आरोपी को सजा जरूर मिलती है।
-विवेक तनवानी, एडवोकेट
फर्जी शिकायतों पर न हो एफआईआर
कई बार थानों में फर्जी शिकायतों के आधार पर एफआईआर दर्ज कर लिया जाता है। मामला न्यायालय में आता है। कई सालों तक निर्दोष व्यक्ति भी बेवजह जेल और न्यायालयीन प्रक्रिया से गुजरता है। ऐसी स्थिति से बचने के लिए शिकायत करने वालों का नारकोटिक टेस्ट होना चाहिए। जमानत मुचलका जमा नहीं कर पाने के कारण कई आरोपियों को जेल में रहना पड़ता है, ऐसे लोगों को मदद मिलनी चाहिए।
आशुतोष तिवारी, विधिक सलाहकार
पाठ्यक्रम में शामिल करें
अपराध करने से नाबालिगों और किशोरों को रोकने के लिए समय-समय पर उनकी काउंसलिंग होते रहना चाहिए। उन्हें नशा करने से दूर रखते हुए जागरूक करना चाहिए। कानून के कई ऐसे प्रावधान हैं, जिनकी जानकारी लोगों को नहीं है। इन प्रावधानों की जानकारी स्कूली पाठ्यक्रम में शामिल करना चाहिए। अपराध करने वालों को पैदल घुमाना पुलिस का सराहनीय कदम है। इससे दूसरों को सबक मिलेगा।
-डॉ. प्रीति सतपथी, असिस्टेंट प्रोफेसर, कुसुमताई दाबके लॉ कॉलेज
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Published on:
25 May 2023 02:38 pm
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