
करेले में इतनी ताकत कि बिना पानी रहेंगी तीजहारिनें (Photo source- Patrika)
गौरव शर्मा/Teej Festival 2025: छत्तीसगढ़ का लोकपर्व तीजा मंगलवार को मनाया जाएगा। पति की दीर्घायु के लिए रखा जाने वाला यह वो कठिन व्रत है जिसमें महिलाएं लगातार 30 घंटे तक कुछ खाना तो दूर, पानी तक नहीं पीतीं। वैसे कोई आम आदमी इतने लंबे वक्त तक पानी न पिए तो उसकी त्वचा सूखने लगती है।
चक्कर आना और कमजोरी आम बात है। व्रत तोड़ने वक्त गला छीलना भी आम है, लेकिन तीजहारिनों को ऐसी किसी समस्या का सामना नहीं करना पड़ता। इसके पीछे छत्तीसगढ़ की लोकरीति में पिरोए गए वो वैज्ञानिक तथ्य हैं, जो तीजहारिनों को इतना कठिन व्रत रखने की शक्ति देते हैं।
इस रहस्य को डिकोड कर रहीं हैं रायपुर के डॉ. भीमराव आंबेडकर अस्पताल की डायटिशियन डॉ. नेहा जैन… करेले में विटामिन-सी, बीटा कैरोटीन और फ्लेवोनाइड्स होते हैं। उपवास के दौरान शरीर ऑटोफैगी करता है। मतलब पुरानी खराब कोशिकाओं को तोड़कर नई कोशिकाएं बनाता है। व्रत से पहले करेला लेने पर शरीर को एंटी ऑक्सीडेंट सपोर्ट मिलता है।
इससे कोशिकाओं की पुरानी खराब कोशिकाओं की मरम्मत की प्रक्रिया तेज और साफ-सुथरी हो जाती है। वहीं करेले का कड़वा रस पाचन ग्रंथियों को सक्रिय करता है। इससे अम्ल, पित्त और एंजामइम्स रिलीज होते हैं। ये वो तमाम वजहें है जिसके चलते शरीर उपवास के लिए पूरी तरह तैयार हो जाता है। बाद में खाना खाने पर गैस, कब्ज या अपच की समस्या भी नहीं होती।
पानी से हमारा शरीर बना है। तीजा में महिलाएं 28 से 30 घंटे बिना पानी पिए रहती हैं। जाहिर है कि शरीर में इसके बहुत गंभीर प्रभाव पड़ते हैं। हृदय को शरीर में रक्त प्रवाहित करने के लिए अधिक मेहनत करनी पड़ती है। ब्लड प्रेशर कम हो सकता है।
तीजहारिनों के मामले में ऐसा नहीं होता क्योंकि छत्तीसगढ़ में तीजा व्रत से एक दिन पहले करू भात खाने की परंपरा है। इसमें महिलाएं चावल के साथ मुख्य रूप से करेले की सब्जी खाती हैं। इस सब्जी में चरंटीन होता है, जो ग्लूकोज को खून से कोशिकाओं तक पहुंचाने में मदद करता है। इसमें मौजूद पॉलिपेप्टाइड-पी इंसुलिन की तरह काम करता है।
वहीं, विजिन नामक यौगिक हमारे शरीर में खून का स्तर बनाए रखता है। करेला हमारे लीवर में एंजाइम को सक्रिय करता है, जो फैट और शुगर को तोड़ते हैं। कैलोरी बर्न होती है और शरीर के लिए ऊर्जा पैदा करती है। इस तरह करेला उपवास से पहले फैट बर्निंग और डिटॉक्सिफिकेशन को आसान बनाता है।
Teej Festival 2025: 28-30 घंटे बाद फटे दूध में गुड़ मिलाकर बनाया हुआ भीमसा पीकर व्रत तोड़ने की परंपरा है। इस भीमसा में लैक्टिक एसिड बैक्टीरिया होते हैं, जो पाचन को सुधारते हैं। यह पेय हल्का अम्लीय होता है, जो उपवास के बाद भारी भोजन के मुकाबले ज्यादा बेहतर होता है।
इससे गले और पेट को ठंडक मिलती है। यह पेय म्यूकस को नरम करता है, जिससे गले में खुरदुरापन और सूखापन कम होता है। गुड़ मिलाने की वजह से यह आयरन और मिनरल्स से भरपूर होता है। ऐसे में लंबा व्रत रखने के बाद भीमसा पीने से शरीर को भरपूर मात्रा में ऊर्जा मिलती है और व्रतियों को कमजोरी जैसी समस्या का सामना नहीं करना पड़ता।
Updated on:
26 Aug 2025 02:33 pm
Published on:
26 Aug 2025 02:32 pm
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