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Corona effect : नहीं भर रहे कोरोना के जख्म, स्कूल खुलने के बाद भी खाली

Corona effect : कोराना का सबसे अधिक असर बच्चों की पढ़ाई पर हो रहा है। विद्यालयों में 25 प्रतिशत बच्चे भी नहीं पहुंच पा रहे हैं। जबकि विद्यालयों को 50 फिसदी बच्चों की उपस्थिति के साथ खोलना तय हुआ था।

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Corona effect

Corona effect

ब्यावरा. भले ही जिले में कोरोना के केस काफी कम आ रहे हैं। लेकिन पिछले दिनों बने हालातों के कारण लोग अब भी डरे सहमे नजर आ रहे हैं। यह सच्चाई विद्यालयों में साफ नजर आ रही है। जहां स्कूल खुलने के बाद भी 25 प्रतिशत बच्चे भी नहीं पहुंच रहे है। जिसका सीधा असर बच्चों की पढ़ाई पर पड़ रहा है। ऐसे में बच्चे भी कोर्स में काफी पिछड़ रहे हैं।

दरअसल, कोराना का सबसे अधिक असर बच्चों की पढ़ाई पर हो रहा है। भले ही बच्चों को ऑनलाइन क्लास के माध्यम से पढ़ाया जाता है। लेकिन उसमें वह बात नहीं होती है। जो बच्चों को स्कूल में पढ़ाने में होती है। राज्य शिक्षा विभाग ने पिछले माह हाईस्कूल ओर हायरसेकेंडरी स्कूल खोलने की योजना बनाई। इसके बाद सितंबर माह से मीडिल स्कूल भी खोलने की योजना बनाई। लेकिन बच्चों के परिजनों में बैठे कोरोना के डर के कारण विद्यालयों में 25 प्रतिशत बच्चे भी नहीं पहुंच पा रहे हैं। जबकि विद्यालयों को 50 फिसदी बच्चों की उपस्थिति के साथ खोलना तय हुआ था। इसमें निजी विद्यालयों में तो बच्चे कुछ हद तक पहुंच भी रहे हैं। लेकिन सरकारी विद्यालयों की स्थितियां बदतर ही नजर आती है।

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निजी में 40, शासकीय में 15 प्रतिशत हुआ कोर्स

बच्चों का साल खराब नहीं हो, इस कारण शासन ने ऑनलाइन सहित विभिन्न माध्यमों से बच्चों को पढ़ाने के निर्देश दिए। ऐसे में निजी विद्यालयों द्वारा तो जैसे तैसे करीब 40 प्रतिशत कोर्स करवाया है। लेकिन शासकीय विद्यालयों में 15 से 20 प्रतिशत भी कोर्स पूरा नहीं हुआ है। ऐसे में बच्चों की बौद्धिक क्षमता पर भी प्रभाव पड़ रहा है। बच्चों को भले ही अगली कक्षा में पदोन्नत कर दिया जाएगा। लेकिन उनका ज्ञान अपेक्षाकृत कम ही रहेगा।

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घर पर ध्यान देना जरूरी

बच्चों पर माता पिता को ध्यान देने की जरूरत है। उन्हें बेहतर माहौल देने के साथ ही अच्छे संस्कार और पढ़ाई के प्रति अपडेट रखें। अभी पस्थितियां ठीक नहीं है। इस कारण ऑनलाइन पढ़ाई के साथ ही बच्चों के परिजनों को अतिरिक्त मेहनत करना होगी।

प्रो प्रमोद खरे, पीजी कॉलेज, ब्यावरा

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वैसे तो बच्चे आ रहे हैं, लेकिन मीडिल क्लास के बच्चों को लेकर परिजन डरे हुए हैं।हम सभी प्रोटोकॉल फालो करते हुए आगे बढ रहे हैं। जो बच्चे नहीं आ रहे हैं। शिक्षकों द्वारा उन्हें कॉल कर फीडबैक लिया जा रहा है।
बीएस बिसारिया, डीईओ