
CG Doctors Resignation: शासन के नए नियम से नाराज पेंड्री स्थित मेडिकल कॉलेज अस्पताल में कार्यरत 20 डॉक्टरों ने सामूहिक इस्तीफा सौंप दिया है। एकमुश्त इतने सारे डॉक्टरों के इस्तीफे से चिकित्सा विभाग में हड़कंप मच गया है। इन 20 डॉक्टरों में सभी सीनियर, जूनियर व संविदा के अलावा नियमित डॉक्टर भी शामिल हैं। इन सब डॉक्टरों के नौकरी छोड़ने से मेडिकल कॉलेज अस्पताल में चिकित्सा व्यवस्था पूरी तरह चरमरा जाएगी। कॉलेज में पढ़ाई भी प्रभावित होगा, क्योंकि इनमें से कई डॉक्टर प्रोफेसर भी हैं।
बता दें कि पहले भी वेतन विसंगति व शासकीय डॉक्टरों को लेकर लाए गए नए नियम को लेकर तकरीबन दर्जनभर से अधिक डॉक्टरों ने नौकरी छोड़ दी है। जिला अस्पताल के भी दो डॉक्टरों ने हाल में त्यागपत्र दिया है। मेडिकल कॉलेज अस्पताल पहले ही डॉक्टरों की कमी से जूझ रहा है। ऐसे में यदि इन डॉक्टराें का इस्तीफा मंजूर कर लिया जाता है, तो एमसीएच को बंद करने की नौबत आ जाएगी।
विधानसभा अध्यक्ष डॉ. रमन सिंह राजनांदगांव से ही विधायक हैं, उन्होंने कांग्रेस कार्यकाल में चिकित्सा सुविधा को लेकर कांग्रेस के भूपेश सरकार पर भेदभाव व बदले की राजनीति करने का आरोप लगाया था। यहां चिकित्सा सुविधा में सुधार लाने का दावा करते हुए डॉक्टर रमन सिंह ने एमसीएच में 45 दिनों के भीतर सीटी स्कैन और छह महीने में एमआरआई मशीन लगवाने की बात कही थी, लेकिन पूरे पांच महीने बीतने के बाद भी कोई पहल नहीं किया गया। उपकरणों की कमी के चलते भी यहां चिकित्सा सुविधा चरमराई हुई है।
मेडिकल कॉलेज अस्पताल के 20 डॉक्टरों के सामूहिक इस्तीफे से हड़कंप मच गया है। इस्तीफा देने वालों में डॉ. प्रकाश खुंटे, डॉ. सीएस इंदौरिया, डॉ. धनंजय सिंह ठाकुर, डॉ. आशीष डुलानी, डॉ. चेतन साहू, डॉ. एएस, डॉ. सिद्धार्थ, डॉ. प्रज्ञा, डॉ. अनिरूद्ध, डॉ. निकिता सुराना, डॉ. रूबी साहू, डॉ. ज्योति चौधरी, डॉ. मिंज, डॉ. अनिल कुमार सहित अन्य शामिल हैं।
शासकीय अस्पतालों में कसावट लाने के उद्देश्य से शासन द्वारा नया नियम लागू किया गया है। इसके तहत शासकीय अस्पतालों में कार्यरत डॉक्टर निजी अस्पताल या क्लीनिक में सेवा नहीं दे सकते।
इस्तीफा देने वाले ज्यादातर डॉक्टर अपना खुद का अस्पताल चला रहे हैं या उनसे जुड़े हुए हैं। शासकीय अस्पताल में सेवा देने के बाद वे यहां मोटी रकम कमा रहे हैं। शासकीय अस्पताल के मरीजों को भी यहां रेफर कर इलाज कर रहे हैं। शासन जनता के हित को ध्यान में रखते हुए ही यह फैसला ली है, ताकि लोगों को निजी अस्पताल में जाने की मजबूरी न हो। डॉक्टर निजी प्रैक्टिस करें, यदि उन्हें लगता है, कि किसी मरीज को भर्ती करने की जरूरत है, तो उन्हें शासकीय अस्पताल में दाखिला कराए।
मेडिकल कॉलेज अस्पताल के 20 डॉक्टरों ने शासन नियमों का उल्लेख करते हुए अपनी समस्याएं व मांग पत्र दिया है। पूरी नहीं होने पर त्यागपत्र देने बाध्य होने की बात कही गई है।
Updated on:
06 Nov 2024 03:35 pm
Published on:
06 Nov 2024 03:34 pm
बड़ी खबरें
View Allराजनंदगांव
छत्तीसगढ़
ट्रेंडिंग
