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प्रकृति पर निर्भर होकर जिले में 400 हेक्टेयर में की जाएगी खेती, होंगे कई फायदे..

National Mission of Natural Farming: राजनांदगांव जिले में केन्द्र सरकार की ओर से जैविक खेती के बाद अब प्राकृतिक खेती पर जोर दिया जा रहा है।

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प्रकृति पर निर्भर होकर जिले में 400 हेक्टेयर में की जाएगी खेती, होंगे कई फायदे..

National Mission of Natural Farming: मोहन दस कुलदीप. छत्तीसगढ़ के राजनांदगांव जिले में केन्द्र सरकार की ओर से जैविक खेती के बाद अब प्राकृतिक खेती पर जोर दिया जा रहा है। नेशनल मिशन ऑफ नेचुरल फार्मिंग के तहत राजनांदगांव जिले में भी 400 हेक्टेयर पर प्राकृतिक खेती की तैयारी है। जिले के चारों ब्लॉक में पूरी तरह से प्रकृति पर निर्भर रहते हुए खेती करने किसानों का चयन किया जाएगा।

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National Mission of Natural Farming: यह फायदा होगा...

विशेष रूप से नदी किनारे बसे गांवों के किसानों को ऐसी खेती करने प्रेरित किया जा रहा है। इस खेती में कीटों से बचने कीटनाशक व खाद का जरा भी इस्तेमाल नहीं होगा। लोकल स्तर पर मौजूद संसाधन से जीरो बजट पर फसलों को कीटों से बचाव किया जाएगा। इस अभियान के तहत परंपरागत खेती को बढ़ावा देना है। पहले के किसान खेती को लेकर पूरी तरह से प्रकृति पर ही निर्भर थे। प्रकृति में जो चीजें मौजूद हैं, उसे ही इस्तेमाल कर फसलों की सुरक्षा करते थे।

गाय के गोबर, गोमूत्र, गाय के जीवाश्म, नीम की पत्ती सहित अन्य औैषधि गुण वाले पेड़, पौधों की पत्तियों का इस्तेमाल कीटनाशक के रूप में करते हुए फसलों का बचाव करते थे। कृषि विभाग की ओर से सोमवार को कृषि सखी व किसान संगवारी को प्रशिक्षण दिया गया। इन्हें 400 हेक्टेयर का टारगेट भी दिया गया है।

नेशनल मिशन ऑफ नेचुरल फार्मिंग

विशेष रूप से नदी किनारे में बसे गांव के किसानों को इस खेती के लिए चयनित किया जाएगा। दरअसल नदी किनारे खेती, बाड़ी करने वाले किसान कीटनाशक और खाद का इस्तेमाल ज्यादा करते हैं। यही कीटनाशक नदी तक पहुंचकर पेयजल को दूषित करते हैं।

कृषि विभाग के उपसंचालक नागेश्वर पांडे ने बताया कि ग्रामीण परंपरागत खेती को भूला दिए हैं। इसलिए पुरानी पद्धति से खेती करने प्रेरित करेंगे। पूरी तरह प्रकृति पर निर्भर रहते हुए खेती होगी। पांडे ने बताया कि सीजन हिसाब से दलहन, तिलहन सभी प्रकार की फसल ली जाएगी।

कृषि शखी को प्रशिक्षण दिया गया।

प्राकृतिक रूप से पैदावारी होगी तो ग्रामीणों को शुद्ध अनाज मिलेगा

इससे खेती के बजट में कमी आएगी, लागत राशि कम होगी

केमिकलयुक्त अनाज के उपयोग से बचेंगे, रोग मुक्त होंगे

कीटनाशक का इस्तेमाल नहीं होगा तो जलस्रोत भी प्रभावित नहीं होंगे