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गजब का जज्बा…पोलियो और गंभीर चोट से भी नहीं डिगे, देश का ऐसे बढ़ा रहे मान

Rajnandgaon News: संस्कारधानी राजनांदगांव में दिव्यांगजनों का नेशनल व्हीलचेयर बास्केटबॉल स्पर्धा जारी है।

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National wheelchair basketball competition for disabled continues

गजब का जज्बा...पोलियो और गंभीर चोट से भी नहीं डिगे, देश का ऐसे बढ़ा रहे मान

राजनांदगांव। Chhattisgarh News: संस्कारधानी राजनांदगांव में दिव्यांगजनों का नेशनल व्हीलचेयर बास्केटबॉल स्पर्धा जारी है। स्पर्धा में देशभर से दिव्यांग खिलाड़ी भाग ले रहे हैं। ये खिलाड़ी अपनी क्षमता के बल पर प्रदेश और देश के लिए खिताब जीत कर मान बढ़ा रहे हैं। खिलाड़ियों ने अपने बुरे दौर की कहानी शेयर की। कहा कि किसी भी आदमी के लिए कोई भी कठिनाई उनके हौसले के आगे हरा नहीं सकती। राजनांदगांव पहुंचे दिव्यांग खिलाड़ियों ने बताया कि दिव्यांगता से वे लोग डरे नहीं और हौसले के साथ खेल में दमखम दिखा कर आगे बढ़ रहे हैं।

पोलियो के बाद भी हौसले में नहीं आई कमी

स्पर्धा में भाग लेने पहुंची उत्तर प्रदेश टीम की जौनपुर निवासी रेणु गुप्ता ने कहा कि वह बचपन से ही पोलियो बीमारी से ग्रसित है। पोलियो होने के बाद भी वह पढ़ाई के दौरान बास्केटबॉल स्पर्धा में काफी रुचि रखती थी। पुणे में उसने पहली बार व्हीलचेयर बास्केटबॉल खेलना शुरू किया। इस दौरान उसे खेल में काफी कठिनाइयों का सामना करना पड़ा। कठिनाइयों से लड़ते हुए उसने अपने हौसले के दम पर खेल में प्रतिभा दिखाई और नेशनल बास्केटबाल स्पर्धा के लिए राज्य का प्रतिनिधित्व करने का मौका मिला। रेणु ने कहा कि खेल व पढ़ाई में उसने अपने हौसले के बल पर सभी कठिनाइयों को हावी नहीं होने दिया।

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दिव्यांग होने के बाद भी नहीं मानी हार

तमिलनाडू टीम के इमरान आर ने कहा कि पांच साल पहले एक दुर्घटना में गंभीर चोटें आने से वह विकलांग हो गया। दुर्घटना से विकलांगता आई, लेकिन हौसले में किसी प्रकार की कमी नहीं आने दिया। हौसले से बल पर वह बास्केटबॉल खेल शुरू किया और कोच के मार्गदर्शन में उसने खेल शुरू किया। चोट वाली पैर में काफी दिक्कतें आती रहीं, लेकिन उसने खेल में आगे बढ़ने का हौसला रखा। आज प्रदेश के लिए नेशनल टीम का प्रतिनिधित्व कर रहे हैं।

खेल के दम पर ही राज्य सरकार से मिला पुरस्कार

स्पर्धा में महाराष्ट्र की महिला टीम ने शानदार प्रदर्शन करते हुए गोल्ड मेडल जीता है। टीम की होनहार खिलाड़ी भाग्यश्री रमेश मांजिरे ने कहा कि विकलांगता से वह कभी भयभीत नहीं हुई। बचपन से ही बास्केटबॉल खेल के प्रति रुचि थी। अपने कोच के मार्ग दर्शन में वह महाराष्ट्र की टीम के लिए बेहतर खेल का प्रदर्शन करती आ रही है। उन्होंने कहा कि हौसला व लक्ष्य साथ हो तो सफलता जरूर मिलती है। भाग्यश्री ने कहा कि खेल प्रतिभा की वजह से उसे महाराष्ट्र सरकार ने श्रीछत्रपति क्रीड़ा पुरस्कार से पुरस्कृत किया है।

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