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Rajsamand: मानसून में ‘मेवाड़ का कश्मीर’ बना गोरमघाट, झरनों पर उमड़े पर्यटक

मेवाड़ का कश्मीर कहे जाने वाला गोरमघाट मानसून में एक बार फिर सैलानियों से गुलजार हो गया है। हाल ही में हुई बारिश ने मगरा क्षेत्र को हरियाली की चादर ओढ़ा दी है।

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गोरमघाट बना‘मेवाड़ का कश्मीर’ पत्रिका फोटो

गोरमघाट बना‘मेवाड़ का कश्मीर’ पत्रिका फोटो

मेवाड़ का कश्मीर कहे जाने वाला गोरमघाट मानसून में एक बार फिर सैलानियों से गुलजार हो गया है। हाल ही में हुई बारिश ने मगरा क्षेत्र को हरियाली की चादर ओढ़ा दी है। छुट्टी का दिन होने से रविवार को बड़ी संख्या में पर्यटक मारवाड़-कामलीघाट रेल में बैठकर गोरमघाट की सैर को निकले। सुबह से ही मारवाड़ और फुलाद रेलवे स्टेशन पर सैलानियों की भीड़ उमड़ पड़ी। जैसे ही ट्रेन फुलाद स्टेशन पर पहुँची, सैकड़ों पर्यटक दौड़ते हुए ट्रेन में चढ़ गए। देखते ही देखते डिब्बे खचाखच भर गए। हालत यह रही कि पांव रखने तक की जगह नहीं बची।

ट्रेन से मनमोहक नजारा

गोरमघाट पहुंचते ही पर्यटकों ने झरनों के नीचे नहाकर बारिश का मजा लिया। खड्डों में छलांग लगाई और हरियाली में सेल्फी लीं। कैमरे में खूबसूरत नज़ारे क़ैद किए। कुछ लोग जोगमंडी मंदिर भी पहुंचे और दर्शन कर वापस लौटे। वापसी में भी भीड़ ने ट्रेन को भर दिया। स्टेशन पर जैसे ही रेल रुकी, सैकड़ों लोग दौड़ पड़े और जैसे-तैसे डिब्बों में जगह बनाई। कुछ यात्रियों को वापसी में गोरमघाट से सड़क मार्ग पकड़ना पड़ा। वे काछबली होकर निजी साधनों से लौटे।

हिल स्टेशन से कम नहीं मेवाड़ के पहाड़

इधर, कई पर्यटक कामलीघाट स्टेशन से भी रेल पकड़ने पहुंचे, लेकिन वहाँ से बहुत कम लोग ट्रेन में चढ़ सके। कई परिवार सीधे सड़क मार्ग से गोरमघाट, भीलबेरी, गौरीधाम और सातपालिया की तरफ निकले। झरनों में नहाकर मौसम का लुत्फ उठाया। गोरमघाट की हरियाली और झरनों ने इस बार फिर साबित कर दिया कि बरसात में मेवाड़ के पहाड़ किसी हिल स्टेशन से कम नहीं हैं।


अब रेल के साथ-साथ सड़क मार्ग से भी सैलानी बड़ी संख्या में गोरमघाट पहुंच रहे हैं। कुछ बाइक से, तो कुछ परिवार कारों में सफर कर रहे हैं।बारिश और हरियाली का यह जादू अगस्त-सितंबर में भी सैलानियों को यहाँ खींचता रहेगा। गोरमघाट की वादियों में सुकून और रोमांच का यही मिलाजुला मौसम इसकी पहचान है।