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राजस्थान के इस जिले को मिला तोहफा, महिमा कुमारी मेवाड़ ने की थी केन्द्रीय मंत्री से मांग

खबर पोस्टल डिविजन मुख्यालय की है और ये राजसमंद जिला मुख्यालय पर खुलने जा रहा है। इसकी स्वीकृति केन्द्रीय संचार मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया ने जारी कर दी है।

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फोटो: पत्रिका

मेवाड़ की सांस्कृतिक धरोहर और औद्योगिक केंद्र के रूप में पहचान बना चुका राजसमंद जिला अब अपनी सबसे अहम प्रशासनिक जरूरत को पूरा करने जा रहा है। खबर पोस्टल डिविजन मुख्यालय की है और ये राजसमंद जिला मुख्यालय पर खुलने जा रहा है। इसकी स्वीकृति केन्द्रीय संचार मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया ने जारी कर दी है।

डाक विभाग की समस्याओं को ध्यान में रखते हुए राजसमंद की महिमा कुमारी मेवाड़ की ओर से किए गए प्रयास आखिर रंग लाए। 1 अप्रैल 1992 को अस्तित्व में आए इस जिले को बने 33 वर्ष पूरे हो चुके हैं, लेकिन अब तक यह स्वतंत्र डाक मंडल का दर्जा प्राप्त नहीं कर पाया था। लेकिन केन्द्र सरकार के आदेश जारी करने के बाद अब इस दिशा में काम शीघ्र शुरू होगा।

जनसंख्या और क्षेत्रफल के लिहाज से बड़ा जिला

राजसमंद की अनुमानित जनसंख्या 20 लाख से अधिक हो चुकी है (2011 की जनगणना में 11.5 लाख), जबकि जिले का कुल क्षेत्रफल 4,551 वर्ग किलोमीटर है। इतने बड़े क्षेत्र में डाक सेवाओं का संचालन केवल उदयपुर मंडल पर निर्भर रहकर करना, प्रशासनिक दृष्टि से न केवल जटिल है बल्कि जनता के लिए भी भारी परेशानी का सबब बन चुका है। जिले में वर्तमान समय में 255 डाकघर कार्यरत हैं और 500 से अधिक कर्मचारी अपनी सेवाएं दे रहे हैं। लेकिन इन सबका संचालन और निरीक्षण उदयपुर मंडल से होता है। यही कारण है कि किसी भी शिकायत के निवारण या कार्य संबंधी आवश्यकता पड़ने पर आमजन को 75 किलोमीटर दूर उदयपुर तक का सफर करना पड़ता है, जबकि सीमांत डाकघरों से यह दूरी 220 किलोमीटर तक हो जाती है।

आर्थिक गतिविधियों का केंद्र

राजसमंद जिले की पहचान केवल एक धार्मिक और ऐतिहासिक धरोहर के रूप में ही नहीं है, बल्कि यह खनन, उद्योग और पर्यटन के मामले में भी निरंतर प्रगति कर रहा है। यहां से संगमरमर और अन्य खनिजों का बड़ा निर्यात होता है, जिसके लिए प्रभावी और तेज़ डाक सेवाओं की ज़रूरत पहले से कहीं अधिक बढ़ गई है। व्यापारियों और निर्यातकों को अपनी गतिविधियों को विस्तार देने के लिए एक सशक्त डाक नेटवर्क की दरकार है।

इसलिए है पोस्टल डिविजन मुख्यालय की अनिवार्यता

मौजूदा उदयपुर मंडल पर पहले से ही तीन जिलों (उदयपुर, राजसमंद और सलूम्बर) का भार है।

बढ़ते कार्य और दूरी के कारण निरीक्षण, मॉनिटरिंग और नियोजन प्रभावित हो रहे हैं।

सेवाओं में विलंब, शिकायतें और जवाबदेही की कमी लगातार उभर रही है।

ग्रामीण और सीमांत क्षेत्रों तक योजनाओं (आधार, जन-धन योजना, पासपोर्ट सेवा आदि) की पहुंच बाधित है।

मुख्यालय की स्थापना से ये मिलेगा लाभ

-स्थानीय समस्याओं का त्वरित समाधान होगा।
-कर्मचारियों की जवाबदेही और दक्षता बढ़ेगी।

-आमजन को समय पर, सरल और प्रभावी डाक सेवाएं मिलेंगी।

-विभाग की छवि और सेवा क्षमता दोनों मजबूत होंगी।

तैयार है अधोसंरचना

सबसे बड़ी बात यह है कि राजसमंद जिला मुख्यालय पर पहले से ही डाक विभाग की बड़ी इमारत उपलब्ध है। ऐसे में भवन निर्माण पर अतिरिक्त खर्च की आवश्यकता नहीं होगी। इससे बिना अधिक वित्तीय भार डाले मंडल की स्थापना आसानी से संभव है।

आस्था और पर्यटन से जुड़ा पहलू

राजसमंद नाथद्वारा के श्रीनाथजी मंदिर और कांकरोली के द्वारिकाधीश मंदिर जैसे विश्वविख्यात धार्मिक स्थलों का केंद्र है। हर साल लाखों भक्त यहां आते हैं। यदि यहां पृथक मंडल स्थापित होता है तो डाक विभाग की ‘प्रसादनम् योजना’ के तहत भक्तों को मंदिर का प्रसाद सीधे घर बैठे उपलब्ध कराने की सेवा भी प्रभावी ढंग से चल सकती है।

लंबे समय से उठ रही थी मांग

गत दो वर्षों से इस विषय पर विभागीय स्तर पर प्रक्रिया जारी है और इससे पहले भी कई बार पृथक मंडल की मांग उठ चुकी है। लेकिन अब परिस्थितियां स्पष्ट संकेत दे रही हैं कि राजसमंद जैसे विस्तृत, संसाधनयुक्त, आस्था और पर्यटन केंद्र जिले के लिए यह विकल्प नहीं बल्कि आवश्यकता है।