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अखिलेश यादव की पार्टी के नेता आजम खान की जमानत अर्जी मंजूर; लेकिन क्यों जेल से अब भी नहीं हो पाएंगे रिहा!

Uttar Pradesh Politics: अखिलेश यादव की समाजवादी पार्टी के नेता आजम खान की जमानत अर्जी मंजूर हो चुकी है, लेकिन जानिए क्यों जेल से अब भी वह रिहा नहीं हो पाएंगे।

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आजम खान को नहीं हो पाएंगे जेल से रिहा। फोटो सोर्स- पत्रिका

Uttar Pradesh Politics: इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने बुधवार को समाजवादी पार्टी के नेता आजम खान को रामपुर की डूंगरपुर कॉलोनी से निवासियों को जबरन बेदखल करने के एक मामले में जमानत दे दी है।

आजम खान की जमानत अर्जी मंजूर

वरिष्ठ सपा नेता आजम खान ने रामपुर की एक MP/MLA कोर्ट द्वारा सुनाई गई 10 साल की जेल की सजा को चुनौती देते हुए उच्च न्यायालय का रुख किया था। जिसके बाद न्यायमूर्ति समीर जैन ने खान की जमानत मंजूर कर दी। उच्च न्यायालय ने इससे पहले आजम खान और ठेकेदार बरकत अली को भी मामले में दोषी ठहराया गया था और 7 साल की जेल की सजा सुनाई गई थी। दोनों की अपीलों पर अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था।

MP/MLA कोर्ट ने पिछले साल 30 मई को खान को दोषी ठहराया था। जिसके बाद उन्होंने राहत के लिए उच्च न्यायालय का रुख किया था।

क्या था मामला?

मामला अगस्त 2019 में अबरार नाम के एक व्यक्ति द्वारा रामपुर के गंज थाने में दर्ज कराई गई शिकायत से शुरू हुआ था। उसने आजम खान, पूर्व पुलिस क्षेत्राधिकारी आले हसन खान और बरकत अली पर दिसंबर 2016 में एक तोड़फोड़ के दौरान उस पर हमला करने और जान से मारने की धमकी देने का आरोप लगाया था। इसके अलावा, डूंगरपुर कॉलोनी के निवासियों ने कथित बेदखली से संबंधित 12 अलग-अलग मामले दर्ज कराए थे।

क्या आजम खान जेल से बाहर आएंगे?

हालांकि आजम खान की जमानत अर्जी मंजूर हो गई है, लेकिन आजम खान अभी जेल से बाहर नहीं आ पाएंगे। इसकी वजह यह है कि उनके खिलाफ एक अन्य मामले में जमानत अर्जी लंबित है। रामपुर के बहुचर्चित डूंगरपुर मामले से संबंधित आपराधिक अपील की सुनवाई अभी भी उच्च न्यायालय में चल रही है।

आजम खान कौन हैं?

बता दें कि आजम खान एक भारतीय राजनीतिज्ञ और समाजवादी पार्टी के वरिष्ठ नेता हैं। वे उत्तर प्रदेश के रामपुर से कई बार विधायक रह चुके हैं। उन्होंने राज्य सरकार में कई मंत्री पद भी संभाले हैं। अपने तीखे भाषणों और विवादों के लिए जाने जाने वाले खान उत्तर प्रदेश की राजनीति में एक प्रमुख मुस्लिम नेता माने जाते हैं। उन्हें कई कानूनी मामलों का भी सामना करना पड़ा है, जिनमें भूमि अतिक्रमण और अभद्र भाषा से संबंधित आपराधिक मामले शामिल हैं।