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“मैं सुधार गृह से आया हूं, पर सुधरा नहीं हूं”; आजम खान ने सांसद मोहिबुल्ला नदवी पर कसा तंज, सियासत फिर गरमाई

Rampur News: समाजवादी पार्टी के नेता आजम खान ने सांसद मोहिबुल्ला नदवी के पुराने बयान पर तंज कसते हुए कहा- “मैं सुधार गृह से आया हूं, पर सुधरा नहीं हूं।” जेल से बाहर आने के बाद उन्होंने अपने 23 महीने के अनुभव साझा किए और जेल प्रशासन पर गंभीर आरोप लगाए।

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“मैं सुधार गृह से आया हूं, पर सुधरा नहीं हूं” Image Source - 'FB' @AbdullahAzamKhan

Azam khan remark mohibbullah nadvi in Rampur: समाजवादी पार्टी के दिग्गज नेता आजम खान ने सांसद मौलाना मोहिबुल्ला नदवी के बयान पर चुटकी लेते हुए कहा– “मैं सुधार गृह से आया हूं, पर सुधरा नहीं हूं।” यह तंज उन्होंने बुधवार को एक निजी चैनल को दिए इंटरव्यू के दौरान कसा। दरअसल, लोकसभा चुनाव जीतने के बाद सांसद नदवी ने बयान दिया था कि आजम खान जेल (सुधार गृह) से सुधर कर लौटेंगे। उस समय यह बयान सोशल मीडिया पर खूब वायरल हुआ था और सपा के खेमे में नाराजगी भी देखने को मिली थी।

पुराने बयान पर फिर भड़की सियासत

सांसद नदवी के बयान के बाद सपा नेताओं और समर्थकों ने तीखी प्रतिक्रिया दी थी। मुरादाबाद सांसद रुचिवीरा और आजम खान की पत्नी डॉ. तजीन फातिमा ने खुलकर नाराजगी जताई थी। वहीं सपा नेता वीरेंद्र गोयल ने तो गुस्से में अपने आवास पर बने सपा कैंप कार्यालय से अखिलेश यादव की तस्वीर तक हटा दी थी। अब 23 माह बाद जेल से बाहर आए आजम खान ने मीडिया के सामने उसी बयान को लेकर करारा वार किया है।

आजम खान ने जेल में बिताए 23 महीने

एक इंटरव्यू के दौरान आजम खान ने अपने जेल के दिनों का जिक्र करते हुए कहा कि कोठरी में तन्हाई इस कदर थी कि सिवाय सन्नाटे और मालिक की याद के अलावा कुछ नहीं था। उन्होंने कहा– “जेल में आंखें बंद करने पर एहसास ही नहीं होता था। सोचने-समझने की ताकत तक खत्म हो गई थी।” उन्होंने अपनी पीड़ा बयां करते हुए कहा कि बाहर की दुनिया की कोई खबर उन्हें नहीं मिलती थी।

जेल प्रशासन पर लगाए गंभीर आरोप

आजम खान ने जेल प्रशासन पर भी आरोप लगाए। उन्होंने कहा कि उन्हें अखबार नहीं दिया जाता था और न ही किसी से फोन पर बात करने की इजाजत थी। जबकि 302 जैसे गंभीर आरोपों में बंद कैदी और रेप के आरोपी तमाम सहूलियतों का आनंद लेते थे। आजम ने कहा कि “मुझे खबर ही नहीं मिलती थी कि देश-दुनिया में क्या हो रहा है, किस पर मुकदमा दर्ज हुआ या किसे जमानत मिली।”

सोचना उन्हीं का काम है, जिनका देश है

अपने दर्द भरे अनुभव साझा करते हुए आजम खान ने कहा– “मेरे सोचने से कुछ नहीं हो सकता था। सोचना तो उन लोगों का काम है, जिनका देश है और जो इस देश को चलाते हैं।” उनके इस बयान ने न सिर्फ जेल प्रशासन की कार्यशैली पर सवाल उठाए हैं, बल्कि मौजूदा सियासी हालात पर भी गहरी चोट की है।