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रतलाम। एक तरफ रेलवे देश की विभिन्न योजनाओं को समय पर पूरा करने की बात कहता है दूसरी तरफ पश्चिम रेलवे के रतलाम रेल मंडल की योजनाओं के प्रति बोर्ड का रवैया उदासिन वाला है। रेल मंडल के नीमच से रतलाम तक 133 किमी के रेलवे ट्रैक के दोहरीकरण के लिए 918 करोड़ रुपए की डीपीआर को रेलवे बोर्ड से मंजूरी का इंतजार है। वर्ष 2018-2019 में मंजूर योजना के लिए अभी तक मंजूरी नहीं मिली है। योजना में देरी से इसकी लागत बढ़कर करीब 1200 करोड़ रुपए पहुंच गई है।
रेलवे ने मंडल में चित्तौडग़ढ़ से लेकर खंडवा सनावद तक के लिए दोहरीकरण व आमान परिवर्तन योजना की शुरुआत वर्ष 2008 में बनाई थी। 2010-2011 में इसके लिए पहली बार 600 करोड़ रुपए की मंजूरी तत्कालीन मनमोहन सिंह सरकार ने किए थे। इसके बाद काम तेजी से हुआ व चित्तौडग़ढ़ से लेकर महू तक आमान परिवर्तन सिंगल लाइन का होकर ट्रेन सरपट दौड़ रही है। लेकिन दोहरीकरण की डीपीआर मंजूर नहीं हो पाई है।
2023 है योजना को पूरा करने का लक्ष्य
इस योजना में एमपी में 6.5 किमी तो राजस्थान के हिस्से में 41.5 किमी की भूमि के अधिग्रहण में भी समय लगा। जब अधिग्रहण पूरा हो गया व मुआवजा वितरीत हो गया तो योजना की मंजूरी के लिए इसको रेलवे बोर्ड भेजा गया। रेलवे ने दो चरण में चल रही इस योजना में चित्तौडग़ढ़ से नीमच तक के हिस्से के निर्माण को वर्ष 2015-2016 में मंजूर दे दी थी। 390 करोड़ रुपए की इस योजना को 2020-2021 में पूरा करने के दावे किए गए है। इसमे भी शंभुपूरा से निंबाहेड़ा के 14.9 किमी के रास्ते को तो मार्च 2020 में ही पूरा कर लिया जाएगा।
हो रहा नुकसान
रेलवे बोर्ड से मंजूरी के अभाव में योजना समय पर शुरू नहीं हो पा रही है। एक तरफ रेलवे चित्तौडग़ढ़ से बचे हुए नीमच तक विद्युतिकरण कार्य को तेजी से पूरा कर रहा है जिससे बिजली के इंजन से ट्रेन चलाई जा सके। दूसरी तरफ ङ्क्षसगल लाइन होने से यात्रियों को मजबूरी में एक ही ट्रैक से यात्रा करना होगी। इससे नहीं चाहते हुए भी यात्रा में विराम लगेगा।
समय पर होगा पूरा
वरिष्ठ कार्यालय से मंजूरी शीघ्र हो जाएगी। योजना को 2023 में पूरा किए जाने का लक्ष्य रखा गया है। तय समय पर योजना को पूरा किया जाएगा।
- विनीत गुप्ता, मंडल रेल प्रबंधक, रतलाम
Published on:
27 Dec 2019 04:58 pm
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