बात करें मध्य प्रदेश के रतलाम की तो यहां नगर निगम समेत जिले की 6 निकाय में आगामी 6 और 13 जुलाई को मतदान होना है। इस मतदान के पूर्व महापौर प्रत्याशी समेत निकाय के पार्षद प्रत्याशी पूरे दमखम के साथ प्रचार में जुटे हैं। अब जनसंपर्क के दौरान इनके सामने एक समस्या आ रही है। प्रत्याशी को हर व्यय का बिल रखना है, लेकिन शर्त ये है कि, हर बिल पक्का होना चाहिए, यानी दुकानदार के पास नगर निगम का लाइसेंस भी हो और बकायदा भुगतान होने पर इसकी इंट्री भी। ये समस्या सिर्फ रतलाम की ही नहीं है, बल्कि प्रदेशभर के प्रत्याशी इस बात से चिंचिच हैं कि, वो कैसे किसी चाय की दुकान पर समोसा खाने या चाय पीने के बाद दुकानदार से पक्का बिल कैसे लें।
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चाय-समोसा बाजार में 15 का, पर प्रत्याशी को खरीदना है 5 और 10 रुपए में
इसके अलावा चुनाव आयोग का एक और फैसला प्रत्याशियों के लिए चिंता का विषय बना हुआ है और वो ये कि, चुनाव आयोग ने समोसा – कचोरी की मान्य दर का बिल 10 रुपए प्रतिनग के हिसाब से ही मंजूर किया है, जबकि रतलाम के साथ साथ प्रदेश के लगभग सबी बड़े शहरों में अब समोसा-कचोरी की वास्तविक कीमत 15 रुपए है। इसी तरह चाय के खर्च की कीमत में 5 रुपए मंजूर किये गए हैं, जबकि बाजार की दुकानों पर चाय की कीमत 7 रुपए से लेकर 15 रुपए है।
यह हो रहा मैदान में
प्रत्याशी समोसा भी खा रहे है और साथ में चल रहे कार्यकर्ताओं को कचोरी से लेकर चाय – काफी भी दे रहे है। अब बारी जब भुगतान की आती है तो नेताजी के साथ चल रहे समर्थक व्यय का भुगतान तो कर रहे है, लेकिन साथ में बिल लेने का जब नंबर आता है, तब पक्के बिल की समस्या सामने आने पर कागज पर लिखा हुआ ही मान्य करके चल रहे है।
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इस दर में भी खासा अंतर
चुनाव के दौरान प्रत्याशी के जनंसपर्क में आतिशबाजी का महत्व है। ऐसे में चुनाव आयोग ने फुलझड़ी का पैकेट की दर 15 से 18 रुपए, अनार 160 रुपए से 220 रुपए, लड़ की कीमत 22 सौ से लेकर 3 हजार रुपए, रस्सी या सुतली बम 50 से 70 रुपए आदि तय की है, जबकि हकीकत में इन सब की बाजार कीमत इससे काफी अलग है।
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