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जावरा और आलोट विधानसभा क्षेत्र: नदी के मुहाने पर लोग प्यासे, पलायन का भी भारी दर्द

mp election 2023- रोजगार के लिए पलायन मजबूरी भी और सहारा भी…

रतलामMay 18, 2023 / 04:19 pm

Shailendra Sharma

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सिकन्दर पारीक
रतलाम. जावरा और आलोट विधानसभा क्षेत्र के दौरे में जावरा को जिला बनाने के लिए उठी आवाज के खिलाफ स्वर सुनकर अत्यधिक हैरानी हुई। जावरा बस स्टैण्ड पर बैठे लक्ष्मीनारायण, अय्यूब खान और अशोक सिंह सोलंकी से जावरा को जिला बनाने की मांग के बारे में पूछा, तो उल्टा सवाल पूछ बैठे कि जावरा को जिला बनाने से फायदा क्या होगा? बोले, जब रतलाम 35 किलोमीटर दूर है तो जावरा को क्यों जिला बनाना चाहते हैं? आम आदमी रोजगार नहीं मिलने से परेशान है। उद्योग धंधे बंद हो गए। पानी की भंयकर किल्लत है। उद्योग लग भी गए थे पानी कहां से लाएंगे।

मंत्री साहब ने कहा था 400 रुपए बढ़कर आएंगे, इंतजार
जावरा से बाइक से सीधा आलोट विधानसभा क्षेत्र के भूतेड़ा गांव पहुंचा। यात्री प्रतीक्षालय में बैठे कन्हैयालाल से चर्चा छेड़ी। वे बोले, यह जिला पंचायत की अध्यक्ष का गांव है, लेकिन यहां अ धिकांश को आवास नहीं मिले हैं। सफाई व सड़कों की हालत भी खराब है। पास ही बैठी पान कंवर, सुगना व पार्वती ने कहा कि पेंशन की रा शि नहीं बढ़ी। मंत्री साहब आए तो 400 रुपए बढ़कर आने को कहा था, मंत्री साहब कौन? यह उन्हें नहीं पता। आगे बढ़ा तो उखेडि़या में कमल ने कहा कि समस्याओं का पूछो मत। पानी के नाम पर भ्रष्टाचार ही हुआ है। पांच छह माह हो गए हैं अभी तक कह रहे हैं काम चल रहा है।

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पलायन मजबूरी भी सहारा भी
यहां से बड़ावदा कस्बे में आ गया। मुख्य बाजार में छगन, लीला देवी और पुखराज ने कहा, टूटी सड़कों, पानी की समस्या, स्वास्थ्य सेवाओं ने परेशान कर दिया है। यहां से आगे बढ़े तो ठीकरिया गांव में वालाराम ने कहा कि पलायन ही सहारा है और यही मजबूरी भी है। ठीकरिया से वीरपुरा, खजूरिया, बर्डिया गोयल, हाट पिपलिया होते हुए ताल पहुंचा। यहां सब्जी मार्केट गांधी चौक में सरदारमल मेहता के सोने-चांदी की दुकान पर किसान से लेकर आमजन बैठे हुए थे। वकता, पूना, गुलाबराम बोले- रोजगार ही नहीं है तो करें क्या। पहले जो शुगर मिल थी, वह बंद हो गई। मेहता ने कहा कि चंबल नदी के मुहाने पर है, लेकिन पीने के पानी की समस्या है। सब्जी लेकर जा रही महिला बोली कि तीन रुपए में 10 लीटर का ड्रम भरवा रहे हैं।

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किसी और चीज का दाम कम नहीं, तो फसल क्यों सस्ती?
यहां से खजूरिया गांव पहुंचा, जहां मैदान में खूब लोग जमा थे। पूछा तो बताया कि भागवत कथा होगी, चर्चा के दौरान विक्रमसिंह राजपूत ने कहा कि किसान तो मरा जा रहा है, आप बताओ कि जब किराणा का भाव एक बार बढ़ने के बाद कम नहीं हुआ, तेल की कीमतें कम नहीं हुई तो किसान को उसकी उपज का मूल्य कम क्यों दिया जा रहा है? अलसी, सोयाबीन, लहसुन हर फसल का मूल्य आधा मिल रहा है।

 

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