
मध्यप्रदेश में बीज से लेकर खाद का संकट गहराया
रतलाम. रेंज के तीन जिले क्रमश: रतलाम, मंदसौर व नीमच में किसानों के सामने खाद से लेकर बीज तक का संकट गहरा रहा है। बाजार में लॉकडाउन के चलते मांग व पुर्ति का तालमेल गड़बड़ा गया है। इसके चलते ब्लैक मार्केट में किसानों को अधिक दाम देने के बाद इसकी पुर्ति हो रही है। बाजार में मिल रहे बीज व खाद की कीमत सरकारी कीमत से करीब दो से तीन गुना अधिक है। अब सारे मामले में सैलाना व आलोट विधायक ने सरकार को पत्र लिखा है।
रतलाम रेंज के तीनों जिलों में चार इंच से अधिक बारिश होने के बाद कृषकों ने सोयाबीन, मक्का आदि की बोवनी की। इस बोवनी के लिए जो जरूरी बीज की जरुरत पड़ी उसके लिए दर दर भटकना पड़ा। यहां तक की किसानों का कृषि विभाग ने ही चेतावनी जारी कर दी की गत वर्ष के बीज को लेकर बोवनी नहीं करें। इसके बाद अन्नदाताओं के सामने बड़ी चुनौती बाजार से महंगे बीज लेने की रही। जैसे तेसे बीज खरीद लिए तो अब खाद को लेकर परेशानी हो रही है।
खरीफ की हो गई बोवनी
मानसून के आगमन के साथ ही अन्नदाताअेां ने खरीफ की बोवनी की तैयारी शुरू कर दी है। इन तैयारियों में सबसे पहले सोयाबीन, उड़द, ज्वार, मक्का, मुंगफली आदि के बीज की जरुरत पड़ी। इन बीज की कमी रेंज के तीनों जिले में शुरू से है। इससे ही किसान परेशान होकर चक्कर काट रहे है। जिले में लक्ष्य के मुकाबले जरुरत की खाद मैट्रिक टन में कम प्राप्त हुई है। इसके चलते सैलाना से लेकर रतलाम के अंचल में जो उपज की बोवनी हुई अब उसके कीट लगना शुरू हो गए है।
इन खाद की है जरुरत
रतलाम, मंदसौर व नीमच में यूरिया, डीएपी, एसएसपी, एमओपी, अमोनियम सल्फेट, एमएपी सहित अन्य प्रकार की खाद की जरुरत है। इनका जो लक्ष्य कृषि विभाग ने वितरण के लिए मैट्रिक टन के लिए बनाया है। इसमे जिले में यूरिया, डीएपी के लिए किसान सेवा सहकारी संस्था में जा रहे है, लेकिन अब तक इसकी आपुर्ति शुरू नहीं हुई है।
हमने पत्र लिखा है
किसानों की समस्याओं विशेषकर बीज व खाद की कमी को लेकर सरकार को पत्र लिखा गया है। मैने व सैलाना विधायक ने इस मामले में कृषि मंत्री को पत्र लिखकर जिले के हालात के बारे में बताया है।
- मनोज चावंला, विधायक आलोट
कीटनाशक का छिड़काव किया जाए
कृषकों को पूर्व में ही सलाह दी गई है कि जो बोवनी की गई है उसको कीट से बचाने के लिए जरूरी दवाओं का छिड़काव किया जाए। कोई कमी है तो सीधे कार्यालय समय में आकर कृषक मिल सकते है।
- जीएस मोहनिया, उप संचालक, कृषि विभाग
Published on:
20 Jul 2020 09:56 am
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