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आ गई थी मौत की आहट, खाली करते ही भरभराकर गिर गया मकान

स्टूडेंट के खाली करते ही तीन मंजिला मकान गिरा

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रतलाम. जाको राखे सांइया मार सके न कोई, यह कहावत शहर में एक बार फिर चरितार्थ हो गई. रतलाम में एक 4 मंजिला मकान भरभराकर गिर गया, लेकिन बड़ी राहत की बात यह रही मकान खाली होने से जानमाल का कोई नुकसान नहीं हुआ. खास बात यह है कि इस मकान में 10 स्टूडेंट किराये से रहते थे जिन्होंने केवल 1 दिन पहले ही मकान खाली किया था.

इन स्टूडेंट ने मानो मौत की आहट सुन ली थी. यही कारण है कि वे समय रहते यहां से निकल गए और बच गए. स्टूडेंट अन्य मकान में रहने चले गए थे और देर शाम को बचा हुआ सामान भी लेकर चले गए थे. यदि ये 10 किरायेदार 1 दिन भी मकान खाली करने में लेट हो जाते तो बड़ा नुकसान हो सकता था.

रतलाम के थावरिया बाजार में संत मीरा स्कूल के सामने एक निर्माणाधीन मकान में काम चल रहा था। रविवार की देर शाम इसके पास ही खड़ा तीन मंजिला मकान अचानक भरभराकर गिर गया। मकान गिरने के समय उसमें कोई नहीं था और पास में काम कर रहे मजदूर भी अपना काम खत्म कर चुके थे.

IMAGE CREDIT: patrika

खास बात यह रही कि जिस समय मकान भरभराकर गिरा उस समय सड़क पर यातायात भी नहीं था वरना बड़ा हादसा हो जाता। मकान का लगभग ८०-९० फीसदी मलबा सड़क पर ही आ गिरा था. सामने ही निवास करने वाले और वार्ड के पार्षद रहे मंगल लोढ़ा ने बताया रविवार की सुबह ही यह तीन मंजिला मकान खाली हुआ था और गिरने के समय इसमें कोई नहीं था.

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उन्होंने बताया कि यह मकान दिलीप पाटीदार का है और इसमें स्टूडेंट किराए से रहते थे. पास में दीपक चौरसिया के मकान का निर्णाण शुरू होने के समय उन्हें मकान खाली करने के लिए कह दिया गया था. मकान की नींव कमजोर होने से हादसे की आशंका थी. इन स्टूडेंट ने एक दिन पहले ही मकान खाली किया था.

दुर्घटनाग्रस्त मकान में किराये से रहने वाली स्टूडेंट मनसा ने बताया कि वे सभी झाबुआ के निवासी हैं और पढ़ाई के लिए यहां किराये से रह रहे थे. मंगल लोढ़ा ने हमें 1 दिन पहले ही मकान की खतरनाक हालत के बारे में बताते हुए दुर्घटना की आशंका के कारण मकान खाली करने को कहा था. हमने मकान खाली किया और शाम को बाकी सामान भी ले आए. यदि जरा भी देरी होती तो हम सभी दुर्घटना का शिकार हो सकते थे.