नई दिल्ली। कुछ चुने हुए सूक्ष्म बाजारों में अचल संपत्ति में भले ही तेजी लौटती दिख रही है, लेकिन देश भर में 3.3 लाख करोड़ रुपये की कुल 4.65 लाख आवासीय परियोजनाएं लटकी पड़ी हैं। अचल संपत्ति डेटा और विश्लेषण कंपनी प्रॉपइक्विटी ने सोमवार को एक रपट में बताया कि आवासीय परियोजनाएं मुख्य रूप से वित्तीय बाधाओं, निष्पादन चुनौतियों, मांग से ज्यादा आपूर्ति, पर्यावरणीय मंजूरी नहीं मिलने और बिक्री गिरने के कारण लटकी हुई हैं।
एनसीआर में 70 फीसदी परियोजनाएं लटकी
दिलचस्प यह है कि राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र (एनसीआर) में 70 फीसदी से ज्यादा लटकी हुई परियोजनाएं पूरी तरह से बिक चुकी हैं, लेकिन समय सीमा बीत जाने के बावजूद पूरी नहीं हुई हैं। ऐसे में खरीदार परेशान हैं और डेवलपरों से परियोजनाओं को जल्द पूरा करने की मांग कर रहे हैं। एनसीआर क्षेत्र (गुड़गांव, नोएडा, ग्रेटर नोएडा, गाजियाबाद, फरीदाबाद) में करीब 1.80 लाख फ्लैट जिनकी कीमत 1.22 लाख करोड़ रुपये हैं, अभी लटके पड़े हैं। मुंबई महानगरीय क्षेत्र (एमएमआर) में 1.05 लाख फ्लैट्स जिनकी कीमत कुल 1.12 लाख करोड़ रुपये हैं, अभी तक पूरे नहीं हुए हैं। एमएमआर में मुंबई, नवी मुंबई और ठाणे क्षेत्र शामिल हैं, जहां 60 फीसदी परियोजनाएं लटकी पड़ी हैं।
फिर भी हैं उम्मीद
प्रॉपइक्विटी के संस्थापक और प्रबंध निदेशक समीर जसुजा ने कहा, “हालांकि कई परियोजनाएं लटकी हुई हैं, लेकिन हम प्रतिष्ठित डेवलपरों द्वारा सही प्रदर्शन करने की उम्मीद करते हैं। ऐसे में बाजार में समेकन की उम्मीद है। छोटे डेवलपर बड़े डेवलपरों को अपनी परियोजाएं बेचकर बाजार से निकल जाएंगे और अधिक सक्षम डेवलपर निर्माण पूरा करेंगे।”
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