
Devuthani Ekadashi 2025 : 2 नवंबर 2025 को मनाई जाएगी देवउठनी एकादशी (फोटो सोर्स: AI image@Gemini)
Devuthani Ekadashi 2025 Date : देवउठनी एकादशी (प्रबोधिनी एकादशी) शुक्ल पक्ष की एकादशी है, जो कि कार्तिक माह में आती है। वैसे तो एकादशी हर माह शुक्ल पक्ष और कृष्ण पक्ष में आती है परन्तु कार्तिक शुक्ल पक्ष में आने वाली इस एकादशी का हिन्दू धर्म में बहुत विशेष महत्व है। इसी दिन भगवान विष्णु अपनी चार माह की चिरनिद्रा से उठते हैं और हमारे धर्म में सभी शुभ कार्यो का प्रारंभ होता है।
ज्योतिषाचार्य एवं वास्तु विशेषज्ञ डॉ अल्पना मिश्रा ने बताया, इसी दिन तुलसी जी का विवाह हुआ था अतः बहुत से सनातन धर्म प्रेमियों के घरों में इस दिन तुलसी जी की पूजा अर्चना के साथ ही उनके विवाह का आयोजन भी किया जाता है।
तुलसी विवाह हिंदू धर्म का एक अत्यंत पवित्र और शुभ त्योहार है। यह देवउठनी एकादशी या प्रबोधिनी एकादशी के दिन या उसके अगले दिन मनाया जाता है। इस दिन भगवान विष्णु (शालिग्राम स्वरूप) का विवाह माता तुलसी (तुलसी पौधे के रूप में) से संपन्न कराया जाता है। यह पर्व मानव समाज में विवाह-संस्कार की शुरुआत का प्रतीक है और माना जाता है कि इसी दिन से शुभ कार्यों जैसे विवाह, गृह प्रवेश, मुंडन आदि की अनुमति पुनः प्रारंभ हो जाती है, क्योंकि चार माह की योगनिद्रा के बाद भगवान विष्णु इस दिन जाग्रत होते हैं।
धार्मिक ग्रंथों में वर्णित कथा के अनुसार, जालंधर नामक एक असुर अपनी पत्नी वृंदा के पतिव्रत बल के कारण अजेय हो गया था। देवताओं ने भगवान विष्णु से सहायता मांगी। विष्णुजी ने जालंधर का रूप धारण कर वृंदा की तपस्या भंग कर दी, जिससे उसका पतिव्रत नष्ट हो गया और जालंधर युद्ध में मारा गया।
जब वृंदा को इस छल का पता चला, तो उसने भगवान विष्णु को श्राप दिया — तुम भी पत्थर बनो! श्राप के प्रभाव से विष्णुजी शालिग्राम शिला में परिवर्तित हो गए। वृंदा ने अपने प्राण त्याग दिए और उसके शरीर से तुलसी का पौधा उत्पन्न हुआ।बाद में देवताओं की प्रार्थना पर, भगवान विष्णु ने वृंदा से वचन दिया कि – मैं सदा शालिग्राम रूप में रहूंगा और तुलसी से विवाह करूंगा। जो भी भक्त तुलसी और शालिग्राम का विवाह कराएगा, उसे मेरे समान पुण्य प्राप्त होगा। तब से हर वर्ष देवउठनी एकादशी के दिन शालिग्राम और तुलसी का विवाह उत्सवपूर्वक मनाया जाता है।
तिथि: रविवार, 2 नवंबर 2025
समय: देवउठनी एकादशी के पारणा के बाद
दिन: कार्तिक शुक्ल द्वादशी
एकादशी तिथि प्रारम्भ: 1 नवंबर 2025 को सुबह 9:11 बजे से।
एकादशी तिथि समाप्ति: 2 नवंबर 2025 को सुबह 7:31 बजे तक।
उपवास (व्रत) आमतौर पर 1 नवंबर को रखा जाता है क्योंकि तिथि उसी दिन प्रारम्भ हो रही है।
पारणा (व्रत खोलने) का मुहूर्त विभिन्न पंचांगों में अलग-अलग दिया गया है, उदाहरणस्वरूप: 2 नवंबर को दोपहर का समय।
Updated on:
31 Oct 2025 11:03 am
Published on:
30 Oct 2025 05:26 pm
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