
Mahashivratri Puja Vidhi Mantra: महाशिवरात्रि संपूर्ण पूजा विधि
Shodashopachar Puja Mahashivratri: ज्योतिषी डॉ. अनीष व्यास के अनुसार दिन और रात में 4-4 प्रहर होते हैं। विशेष महाशिवरात्रि पूजा रात्रि के समय एक बार या चार बार की जा सकती है। मान्यता है कि निशिता समय में भगवान शिव लिंग रूप में प्रकट हुए थे। इसलिए इस दिन रात्रि पूजा का विशेष महत्व है।
इसमें वैदिक मंत्रों के उच्चारण के साथ शिव जी के लिए सोलह अनुष्ठान करना चाहिए। हिंदू धर्म की मान्यताओं के अनुसार इन 16 अनुष्ठानों द्वारा महाशिवरात्रि पर देवी-देवताओं का पूजन समेत सभी चरण अपनाने चाहिए। आइये जानते हैं महाशिवरात्रि संपूर्ण पूजा विधि और मंत्र (Maha shivratri puja mantra)
डॉ. अनीष व्यास के अनुसार महाशिवरात्रि पूजा का आरंभ पार्थिव शिवलिंग बनाकर उसके समक्ष बैठकर भगवान शिव के ध्यान से करना चाहिए। भगवान शिव का ध्यान करते समय नीचे लिखे मंत्र पढ़ना चाहिए ..
ध्यायेन्नित्यं महेशं रजतगिरिनिभं चारुचन्द्रावतंसं
रत्नाकल्पोज्ज्वलाङ्गं परशुमृगवराभीतिहस्तं प्रसन्नम्।
पद्मासीनं समन्तात् स्तुतममरगणैर्व्याघ्रकृत्तिं वसानं
विश्वाद्यं विश्वबीजं निखिलभयहरं पञ्चवक्त्रं त्रिनेत्रम्॥
बन्धूकसन्निभं देवं त्रिनेत्रं चन्द्रशेखरम्।
त्रिशूलधारिणं वन्दे चारुहासं सुनिर्मलम्॥
कपालधारिणं देवं वरदाभयहस्तकम्।
उमया सहितं शम्भुं ध्यायेत् सोमेश्वरं सदा॥
ॐ सांगाय सायुधाय साम्बसदाशिवाय नमः ध्यानं समर्पयामि।
भगवान शिव का ध्यान करने के बाद अनुष्ठान के लिए भगवान शिव का आवाहन करना चाहिए। इसके लिए पार्थिव शिवलिंग के सामने आवाहन मुद्रा में दोनों हथेलियों को मिलाकर और अंगूठे को अंदर की ओर मोड़कर आवाहन मुद्रा बनाकर नीचे लिखे मंत्र पढ़ना चाहिए ..
आगच्छ भगवन्देव स्थाने चात्र स्थिरो भव।
यावत्पूजां करिष्यामि तावत्त्वं सन्निधौ भव॥
ॐ सांगाय सायुधाय साम्बसदाशिवाय नमः आवाहनं समर्पयामि।
भगवान का आवाहन करने के बाद नीचे लिखे मंत्र को पढ़ते हुए भगवान शिव के चरण धोने के लिए जल अर्पित करें।
महादेव महेशान महादेव परात्पर।
पाद्यं गृहाण मद्दतं पार्वतीसहितेश्वर॥
ॐ सांगाय सायुधाय साम्बसदाशिवाय नमः पाद्यं समर्पयामि।
पाद्य अर्पण के बाद भगवान शिव को मस्तक के अभिषेक के लिए जल अर्पित करना चाहिए। इस दौरान नीचे लिखे मंत्र को पढ़ें
त्र्यम्बकेश सदाचार जगदादिविधायक।
अर्घ्यं गृहाण देवेश साम्बसर्वार्थदायक॥
ॐ सांगाय सायुधाय साम्बसदाशिवाय नमः अर्घ्यं समर्पयामि।
भगवान शिव को अर्घ्य अर्पित करने के बाद भगवान शिव को आचमन के लिए जल अर्पित करें। इसके लिए नीचे शिव आचमनीय मंत्र पढ़ना चाहिए
त्रिपुरान्तक दीनार्तिनाश श्रीकण्ठशाश्वत।
गृहाणाचमनीयं च पवित्रोदककल्पितम्॥
ॐ सांगाय सायुधाय साम्बसदाशिवाय नमः आचमनीयं समर्पयामि।
आचमन के बाद भगवान शिव को गाय के दूध से स्नान कराएं, इस दौरान शिव गोदुग्धस्नान मंत्र पढ़ें।
मधुरं गोपयः पुण्यं पटपूतं पुरस्कृतम्।
स्नानार्थं देव देवेश गृहाण परमेश्वर!॥
ॐ सांगाय सायुधाय साम्बसदाशिवाय नमः गोदुग्धस्नानं समर्पयामि।
गाय के दूध से स्नान कराने के बाद भगवान शिव का दधि (दही) से अभिषेक करें और शिव दधिस्नान मंत्र पढ़ें।
दुर्लभं दिवि सुस्वादु दधि सर्वप्रियं परम्।
पुष्टिदं पार्वतीनाथ! स्नानाय प्रतिगृह्यताम्॥
ॐ सांगाय सायुधाय साम्बसदाशिवाय नमः दधिस्नानं समर्पयामि।
दही से स्नान कराने के बाद भगवान शिव को घी से अभिषेक करें और शिव घृत स्नान मंत्र पढ़ें …
घृतं गव्यं शुचि स्निग्धं सुसेव्यं पुष्टिमिच्छताम्।
गृहाण गिरिजानाथ स्नानाय चन्द्रशेखर॥
ॐ सांगाय सायुधाय साम्बसदाशिवाय नमः घृतस्नानं समर्पयामि।
घी से अभिषेक के बाद भगवान शिव को शहद अर्पित करना चाहिए। इस दौरान शिव मधु स्नान मंत्र पढ़ना चाहिए
मधुरं मृदु मोहघ्नं स्वरभङ्गविनाशनम्।
महादेवेदमुत्सृष्टं तव स्नानाय शंकर॥
ॐ सांगाय सायुधाय साम्बसदाशिवाय नमः मधुस्नानं समर्पयामि।
मधु से अभिषेक के बाद भगवान शिव का शर्करा (शक्कर) से अभिषेक करें और शिव शर्करा स्नान मंत्र प ढ़ना चाहिए।
तापशान्तिकरी शीता मधुरास्वादसंयुता।
स्नानार्थं देवदेवेश! शर्करेयं प्रदीयते॥
ॐ सांगाय सायुधाय साम्बसदाशिवाय नमः शर्करास्नानं समर्पयामि।
शक्कर से स्नान कराने के बाद शुद्धोदक स्नान समर्पित करना चाहिए यानी भगवान शिव का शुद्ध और स्वच्छ जल से अभिषेक करना चाहिए। गंगाजल से अभिषेक कर सकें तो बेहतर होगा। इस दौरान शिव शुद्धोदक स्नान मंत्र पढ़ना चाहिए
गङ्गा गोदावरी रेवा पयोष्णी यमुना तथा।
सरस्वत्यादितीर्थानि स्नानार्थं प्रतिगृह्यताम्॥
ॐ सांगाय सायुधाय साम्बसदाशिवाय नमः शुद्धोदकस्नानं समर्पयामि।
शिवजी के अभिषेक के बाद महाशिवरात्रि पूजा के अगले चरण में भगवान को वस्त्र भेंट करना चाहिए और शिव वस्त्र मंत्र पढ़ना चाहिए ..
सर्वभूषाधिके सौम्ये लोकलज्जानिवारणे।
मयोपपादिते देव! गृह्यतां वाससी शुभे॥
ॐ सांगाय सायुधाय साम्बसदाशिवाय नमः वस्त्रं समर्पयामि।
वस्त्र अर्पित करने के बाद जनेऊ अर्पित करना चाहिए, ये न उपलब्ध हो तो भगवान शिव को पवित्र सूत्र अर्पित करें और शिव यज्ञोपवीत मंत्र पढ़ें ..
नवभिस्तन्तुभिर्युक्तं त्रिगुणं देवतामयम्।
उपवीतं चोत्तरीयं गृहाण पार्वतीपते!॥
ॐ सांगाय सायुधाय साम्बसदाशिवाय नमः यज्ञोपवीतं समर्पयामि।
यज्ञोपवीत अर्पित करने के बाद महादेव को गंध अर्पित करना चाहिए। इस कड़ी में भगवान शिव को सूखा चन्दन अथवा चन्दन का लेप अर्पित करें। इस समय शिव गंध मंत्र पढ़ें
श्रीखण्डं चन्दनं दिव्यं गन्धाढ्यं सुमनोहरम्।
विलेपनं सुरश्रेष्ठ चन्दनं प्रतिगृह्यताम्॥
ॐ सांगाय सायुधाय साम्बसदाशिवाय नमः गन्धं समर्पयामि।
चावल सृष्टि का प्रथम अन्न माना जाता है, इसलिए पूजा में इसका बड़ा महत्व होता है। महाशिवरात्रि की षोडशोपचार शिव पूजा में गंध अर्पित करने के बाद शिवजी को अक्षत भी चढ़ाना चाहिए। इस दौरान शिव अक्षता मंत्र पढ़ना चाहिए
अक्षताश्च सुरश्रेष्ठ शुभ्रा धूताश्च निर्मलाः।
मया निवेदिता भक्त्या गृहाण परमेश्वर॥
ॐ सांगाय सायुधाय साम्बसदाशिवाय नमः अक्षतान् समर्पयामि।
अक्षत के बाद महाशिवरात्रि पर शिवजी को मंत्र के साथ फूल माला चढ़ानी चाहिए और शिव पुष्पाणि मंत्र पढ़ना चाहिए।
माल्यादीनि सुगन्धीनि मालत्यादीनि वै प्रभो।
मयाऽऽनीतानि पुष्पाणि गृहाण परमेश्वर॥
ॐ सांगाय सायुधाय साम्बसदाशिवाय नमः पुष्पाणि समर्पयामि।
बिना बेल पत्र अर्पित किए भगवान शिव की पूजा पूरी नहीं होती, इसलिए फूल चढ़ाने के बाद भोलेनाथ को बेल पत्र चढ़ाएं और शिव बिल्व पत्राणि मंत्र पढ़ें
बिल्वपत्रं सुवर्णेन त्रिशूलाकारमेव च।
मयाऽर्पितं महादेव! बिल्वपत्रं गृहाण मे॥
ॐ सांगाय सायुधाय साम्बसदाशिवाय नमः बिल्वपत्राणि समर्पयामि।
बेल पत्र चढ़ाने के बाद शिव धूप मंत्र चढ़ाते हुए भगवान शिव का शिव धूप मंत्र पढ़ना चाहिए।
वनस्पतिरसोद्भूतो गन्धाढ्यो गन्ध उत्तमः।
आघ्रेयः सर्वदेवानां धूपोऽयं प्रतिगृह्यताम्॥
ॐ सांगाय सायुधाय साम्बसदाशिवाय नमः धूपं घ्रापयामि।
धूप अर्पित करने के बाद दीप अर्पित करना होता है। इसके लिए भगवान शिव के निमित्त शुद्ध देशी घी का दीपक जलाएं।
साज्यं च वर्तिसंयुक्तं वह्निना योजितं मया।
दीपं गृहाण देवेश! त्रैलोक्यतिमिरापहम्॥
ॐ सांगाय सायुधाय साम्बसदाशिवाय नमः दीपं दर्शयामि।
दीप जलाने के बाद भगवान शिव को नैवेद्य अर्पित करना होता है। इसके लिए दीपदान के बाद हाथ धोएं और शिवजी को स्वच्छ हाथ से नैवेद्य अर्पित करें। नैवेद्य में विभिन्न प्रकार के फल अपनी सामर्थ्य के अनुसार मिठाई चढ़ाना चाहिए। इस दौरान शिव नैवेद्य मंत्र पढ़ना चाहिए।
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शर्कराघृतसंयुक्तं मधुरं स्वादु चोत्तमम्।
उपहारसमायुक्तं नैवेद्यं प्रतिगृह्यताम्॥
ॐ सांगाय सायुधाय साम्बसदाशिवाय नमः नैवेद्यं निवेदयामि।
भगवान शिव को नैवेद्य अर्पित करने के बाद आचमन कराएं और शिव आचमनीय मंत्र पढ़ें .
एलोशीर-लवङ्गादि-कर्पूर-परिवासितम्।
प्राशनार्थं कृतं तोयं गृहाण गिरिजापते!॥
ॐ सांगाय सायुधाय साम्बसदाशिवाय नमः आचमनीयं समर्पयामि।
शिवजी को आचमन कराने के बाद पान पेश करें और शिव तांबूल मंत्र पढ़ें
पूगीफलं महद्दिव्यं नागवल्लीदलैर्युतम्।
ऐलाचूर्णादिसंयुक्तं ताम्बूलं प्रतिगृह्यताम्॥
ॐ सांगाय सायुधाय साम्बसदाशिवाय नमः ताम्बूलं समर्पयामि।
तांबूल पेश करने के बाद भगवान शिव को दक्षिणा के रूप में धन अर्पित करें और शिव दक्षिणा मंत्र पढ़ें।
हिरण्यगर्भगर्भस्थं हेमबीजं विभावसोः।
अनन्तपुण्यफलदमतः शान्तिं प्रयच्छ मे॥
ॐ सांगाय सायुधाय साम्बसदाशिवाय नमः दक्षिणां समर्पयामि।
दक्षिणा अर्पित करने के बाद पूजा की थाली में कपूर जला कर, शिव मंत्र जपते हुए भगवान शिव की आरती करें।
कदलीगर्भसम्भूतं कर्पूरं च प्रदीपितम्।
आरार्तिक्यमहं कुर्वे पश्य मे वरदो भव॥
ॐ सांगाय सायुधाय साम्बसदाशिवाय नमः आरार्तिक्यं समर्पयामि।
आरती के बाद प्रदक्षिणा करें, हालांकि प्रदक्षिणा में भगवान शिव की आधी परिक्रमा ही करना चाहिए।
यानि कानि च पापानि जन्मान्तरकृतानि वै।
तानि सर्वाणि नश्यन्तु प्रदक्षिणां पदे पदे॥
ॐ सांगाय सायुधाय साम्बसदाशिवाय नमः प्रदक्षिणां समर्पयामि।
शिवजी की प्रदक्षिणा के बाद मंत्र पुष्पांजलि अर्पित करने का विधान है। इसलिए शिव मंत्र पुष्पांजलि पढ़ते हुए भगवान शिव को पुष्प अर्पित करें।
नानासुगन्धपुष्पैश्च यथा कालोद्भवैरपि।
पुष्पाञ्जलिर्मया दत्ता गृहाण महेश्वर॥
ॐ सांगाय सायुधाय साम्बसदाशिवाय नमः मन्त्रपुष्पाञ्जलिं समर्पयामि।
पुष्पांजलि के बाद किसी भी पूजा में देवता से क्षमा जरूर मांगनी चाहिए, क्योंकि छोटा हो या बड़ा अनुष्ठान में कुछ न कुछ त्रुटि रह ही जाती है। इसलिए आराध्य से इसके लिए क्षमा याचना जरूर कर लेनी चाहिए। महाशिवरात्रि अनुष्ठान में शिव पूजा की प्रक्रिया में भगवान शिव से क्षमा-याचना करें और ये मंत्र पढ़ें।
आवाहनं न जानामि न जानामि तवार्चनम्।
पूजां चैव न जानामि क्षमस्व मां महेश्वर॥
अन्यथा शरणं नास्ति त्वमेव शरणं मम।
तस्मात्कारुण्यभावेन रक्षस्व पार्वतीपते॥
गतं पापं गतं दुःखं गतं दारिद्र्यमेव च।
आगता सुखसम्पत्तिः पुण्याच्च तव दर्शनात्॥
मन्त्रहीनं क्रियाहीनं भक्तिहीनं सुरेश्वर!।
यत्पूजितं मया देव परिपूर्णं तदस्तु मे॥
यदक्षरपदं भ्रष्टं मात्राहीनं च यद्भवेत्।
तत्सर्वं क्षम्यतां देव प्रसीद नन्दिकन्धर॥
ॐ सांगाय सायुधाय साम्बसदाशिवाय नमः क्षमा-प्रार्थनां समर्पयामि।
नोटः इसके बाद आरती और भजन गाएं।
Mahashivratri Puja Vidhi: महाशिवरात्रि पर शिवजी की पूजा के लिए पार्थिव शिवलिंग बनाना चाहिए। इसके लिए शुद्ध मिट्टी और गंगाजल की जरूरत होती है। इसके अलावा स्वयं के बैठने के लिए आसन, शिवलिंग बनाने के लिए परात, पान, अक्षत, चंदन, धूप, दीप, अगरबत्ती, कपूर, फलफूल, माला मिठाई, कुशा, चंदन, कुछ द्रव्य, दीपक, बेलपत्र, जनेऊ, वस्त्र, दूध, दही, घी, शक्कर, शहद आदि का पहले ही इंतजाम कर लेना चाहिए।
महाशिवरात्रि फाल्गुन कृष्ण पक्ष चतुर्दशी तिथि को मनाई जाती है। यह तिथि इस साल 2025 में 26 फरवरी को है, इसलिए महाशिवरात्रि 2025 बुधवार 26 फरवरी को मनाई जाएगी।
Updated on:
26 Feb 2025 07:35 am
Published on:
25 Feb 2025 05:10 pm
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