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Shardiya Navaratri Day 2 : दूसरे दिन मां ब्रह्मचारिणी की पूजा क्यों है खास, इस समय की गई पूजा से मिल सकती है सफलता

Shardiya Navratri 2025 Day 2 is dedicated to Maa Brahmacharini : जानें मां ब्रह्मचारिणी की पूजा विधि, महत्व और शुभ मुहूर्त। इस दिन की गई पूजा से मिलती है सफलता, शांति और समृद्धि।

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भारत

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Manoj Vashisth

Sep 22, 2025

Shardiya Navaratri Day 2

Maa Brahmacharini Pujan Vidhi (फोटो सोर्स: AI image@Gemini)

Shardiya Navaratri Day 2 : नवरात्रि, यानी देवी दुर्गा के नौ रूपों की आराधना का महापर्व। इन नौ दिनों में हर दिन देवी के एक अलग रूप की पूजा की जाती है। नवरात्रि का दूसरा दिन, यानी मां ब्रह्मचारिणी का दिन। क्या आप जानते हैं कि मां ब्रह्मचारिणी कौन हैं और इनकी पूजा का क्या महत्व है?

कौन हैं मां ब्रह्मचारिणी?

मां दुर्गा का दूसरा स्वरूप हैं देवी ब्रह्मचारिणी। ब्रह्म का अर्थ है तपस्या और चारिणी का अर्थ है आचरण करने वाली। इस प्रकार, मां ब्रह्मचारिणी का अर्थ है तप का आचरण करने वाली देवी। यह देवी माता पार्वती का अविवाहित रूप हैं। जब उन्होंने भगवान शिव को पति के रूप में पाने के लिए कठोर तपस्या की थी, तब वे ब्रह्मचारिणी कहलाईं।

उनके दाहिने हाथ में जप की माला और बाएं हाथ में कमंडल है। वे नंगे पैर चलती हैं। उनकी इस तपस्या के कारण उनका स्वरूप बहुत शांत और सौम्य है। कहते हैं कि उनकी इस तपस्या से तीनो लोक काँप उठे थे।

पूजा का महत्व और लाभ

मां ब्रह्मचारिणी की पूजा करने से व्यक्ति के जीवन में तप, वैराग्य और त्याग का भाव आता है। यह देवी मंगल ग्रह को नियंत्रित करती हैं, इसलिए इनकी पूजा से मंगल दोष से भी मुक्ति मिलती है। जो भक्त सच्चे मन से इनकी आराधना करता है, वह जीवन के हर क्षेत्र में सफलता प्राप्त करता है। इस दिन की पूजा से व्यक्ति का आत्म-विश्वास बढ़ता है और वह अपने लक्ष्यों को आसानी से प्राप्त कर पाता है।

नवरात्रि का दूसरा दिन – शुभ मुहूर्त

शास्त्रीय पंचांग के हिसाब से, शारदीय नवरात्रि का दूसरा दिन 23 सितंबर को आएगा। इस दिन मां ब्रह्मचारिणी की पूजा की जाती है। पूजा करने का सही असर तभी आता है जब हम शुभ मुहूर्त में आराधना करें।

इस दिन के खास मुहूर्त:

ब्रह्म मुहूर्त: सुबह 4:30 से 5:15 बजे तक (सबसे पवित्र समय)

अभिजित मुहूर्त: दोपहर 11:50 से 12:40 बजे तक (दिन का शुभ समय)

विजय मुहूर्त: शाम 4:15 से 5:05 बजे तक (सफलता दिलाने वाला समय)

रात्रि पूजा मुहूर्त: रात 8:00 से 9:30 बजे तक (विशेष रात्री पूजा का समय)

कैसे करें मां ब्रह्मचारिणी की पूजा?

नवरात्रि के दूसरे दिन मां ब्रह्मचारिणी के साथ-साथ भगवान शिव की भी पूजा की जाती है। पूजा के लिए कुछ आवश्यक नियम हैं, जिन्हें जानकर आप अपनी पूजा को और भी फलदायी बना सकते हैं:

सुबह जल्दी उठें: ब्रह्म मुहूर्त (सुबह 4:36 से 5:24 बजे) या अभिजीत मुहूर्त (सुबह 11:48 से 12:36 बजे) में उठकर स्नान करें और स्वच्छ वस्त्र धारण करें।

फूल और प्रसाद: मां ब्रह्मचारिणी को सफेद रंग बहुत प्रिय है। इसलिए उन्हें चमेली के फूल, चावल और चंदन चढ़ाएं।

भोग: मां को दूध, दही, शहद और विशेष प्रकार की मिठाई का भोग लगाएं।

मंत्र जाप: पूजा के दौरान "ॐ देवी ब्रह्मचारिण्यै नमः" मंत्र का 108 बार जाप करें।

पूजा विधि: कलश की पूजा करें और फिर मां ब्रह्मचारिणी और भगवान शिव की मूर्ति को स्थापित करें।

अंतिम चरण: पूजा के बाद आरती करें और प्रसाद को जरूरतमंद लोगों में बांटें।

मां ब्रह्मचारिणी से जुड़े विशेष मंत्र

प्रार्थना:

दधाना कर पद्माभ्यामक्षमाला कमण्डलू।
देवी प्रसीदतु मयि ब्रह्मचारिण्यनुत्तमा॥

स्तुति:

या देवी सर्वभूतेषु माँ ब्रह्मचारिणी रूपेण संस्थिता।
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः॥

नवरात्रि का दूसरा दिन आत्म-अनुशासन और तपस्या का प्रतीक है। तो इस दिन मां ब्रह्मचारिणी की पूजा करें और उनके आशीर्वाद से अपने जीवन को सफल बनाएं।

क्या आप जानते हैं?

माता ब्रह्मचारिणी के तप का एक और रोचक किस्सा है। जब वे भगवान शिव को पति के रूप में पाने के लिए कठोर तपस्या कर रही थीं, तब उन्होंने कई हजार वर्षों तक बिना कुछ खाए-पिए तपस्या की। उनकी इस तपस्या से देव, ऋषि-मुनि और सभी देवी-देवता आश्चर्यचकित रह गए थे।