
Vivah Panchami 2025 : देश के प्रमुख मंदिरों को भेजा गया राजा राम-सीता विवाह का निमंत्रण (फोटो सोर्स: AI image@Gemini)
Vivah Panchami 2025 : मध्यप्रदेश के ओरछा में विवाह पंचमी पर श्रीराम जानकी विवाह महोत्सव की तैयारियां शुरू हो गई हैं। 24 नवंबर से तीन दिवसीय महोत्सव के कार्ड छप गए हैं। प्रशासन महोत्सव में चारों धाम के साथ ही देश के प्रमुख मंदिरों, प्रदेश के सभी मंत्रियों को न्योता दे रहा है।
बुंदेलखंड की अयोध्या कहे जाने वाले ओरछा में श्रीराम-जानकी विवाह महोत्सव अपने आप में खास है। ठेठ बुंदेली रीति-रिवाज से होने वाले आयोजन में हजारों श्रद्धालु शामिल होते हैं। परंपरा 450 वर्ष से चली आ रही है। इस बार भी प्रशासन ने व्यापक तैयारियां शुरू कर दी हैं। भंडारे, मंदिर की सजावट व श्रीराम की वर यात्रा की तैयारियां भी लगभग पूरी हो गई हैं।
मंदिर व्यवस्थापक सह तहसीलदार सुनील वाल्मीकि के अनुसार एक हजार कार्ड छपवाए गए हैं। डिजिटल कार्ड भी बनवाया है। 24 नवंबर को मंडप की रस्म अदा करने के साथ ही पंगत होगी। 25 को बारात निकाली जाएगी। 26 की सुबह राम कलेवा के साथ आयोजन का समापन होगा। इससे पहले 23 को गणेश पूजन, भंडारे के लिए भट्टी पूजन किया जाएगा। ओरछा मंदिर के पुरोहित आचार्य वीरेंद्र बिदुआ के अनुसार विवाह पंचमी 25 नवंबर को होगा।
रिश्तों में मजबूती : ये त्योहार राम और सीता के आदर्श विवाह का प्रतीक है। इसे मनाने से रिश्तों में प्यार, सम्मान और समझ बढ़ती है। जोड़े खुद महसूस करते हैं कि उनका बंधन और गहरा हो गया है।
भक्ति और धार्मिकता : राम-सीता की तरह जीवन जीने की प्रेरणा मिलती है। भक्ति, सच्चाई और नैतिकता के रास्ते पर चलना थोड़ा आसान लगता है जब ऐसे आदर्श सामने हों।
आध्यात्मिक ऊर्जा : मंदिर जाना, कथा सुनना या भजन गाना इन सब से मन को शांति और एक अलग सकारात्मक ऊर्जा मिलती है। लगता है जैसे ईश्वर के करीब पहुंच गए हों।
संस्कृति से जुड़ाव: नई पीढ़ी के लिए ये मौका है अपनी जड़ों को समझने का, अपनी परंपराओं और रीति-रिवाजों को महसूस करने का। परिवार और समाज से जुड़ाव और गहरा होता है।
आशीर्वाद की कामना :अगर आप अकेले हैं, तो एक अच्छे जीवनसाथी की कामना कर सकते हैं। और परिवार में, सबकी भलाई, सुख-शांति और समृद्धि के लिए प्रार्थना कर सकते हैं।
| S. No. | Item (सामग्री) | Description (विवरण) |
| 1 | (मूर्तियाँ या चित्र) | (पूजा के लिए भगवान राम और देवी सीता की मूर्तियाँ या चित्र) |
| 2 | (फूल) | (सजावट और भेट के लिए गेंदा और कमल) |
| 3 | (पंचामृत) | (दूध, दही, शहद, चीनी और घी का मिश्रण) |
| 4 | (कलश) | (पानी और आम के पत्तों से भरा पवित्र बर्तन) |
| 5 | (मौली) | (अनुष्ठानों के दौरान बाँधा जाने वाला लाल पवित्र धागा) |
| 6 | (चंदन) | (प्रतिमाओं पर लगाने के लिए चंदन का पेस्ट) |
| 7 | (कुमकुम और हल्दी) | (तिलक और अनुष्ठानिक शुद्धता के लिए सिंदूर और हल्दी) |
| 8 | (अगरबत्ती और धूप) | (खुशबू और परिवेश को पवित्र करने के लिए) |
| 9 | (दीपक) | (घी से जलाए गए तेल के दीपक, जो दिव्य प्रकाश का प्रतीक हैं) |
| 10 | (फल और मिठाइयाँ) | (देवताओं को प्रसाद के रूप में चढ़ाई जाने वाली भेंट) |
| 11 | (पान के पत्ते और सुपारी) | (सम्मान का प्रतीक पारंपरिक भेंट) |
| 12 | (तुलसी के पत्ते) | (भगवान राम को चढ़ाए जाने वाले पवित्र पत्ते) |
| 13 | (चावल/अक्षत) | (भेंट के लिए उपयोग किए जाने वाले साबुत चावल के दाने) |
| 14 | (नारियल) | (भक्ति और पूर्णता का प्रतीक) |
| 15 | (पवित्र पुस्तक) | (पूजा के दौरान पाठ के लिए रामायण या रामचरितमानस) |
Updated on:
13 Nov 2025 11:58 am
Published on:
13 Nov 2025 11:56 am
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