
friday the day of goddess lakshmi
हिंदू धर्म के साथ ही सनातन Vedic Jyotish में भी सप्ताह के वारों को देवताओं से जुड़ा हुआ माना गया है। ऐसे में जहां सोमवार के कारक देव महादेव माने गए हैं। वहीं मंगल के हनुमान, जबकि बुध की श्री गणेश, गुरु के श्री हरि विष्णु, शुक्र की माता लक्ष्मी, शनिवार के शनिदेव और रविवार के सूर्य देव माने गए हैं। वहीं इन दिनों में इनके सिवाय अन्य देवी देवताओं के पूजन का भी विधान है।
जैसे मंगलवार को हनुमान जी के अलावा शक्ति की Goddess Durga तो वहीं गुरुवार को श्री हरि विष्णु के अलावा विद्या की देवी माता सरस्वती, शुक्र को माता लक्ष्मी के अलावा माता संतोषी जबकि शनिवार को शनिदेव के अलावा माता काली व हनुमान जी की भी पूजा का विधान है।
ऐसे में आज हम आपको शुक्रवार का दिन होने के कारण इस दिन की कारक देवी धन धान्य की देवी माता लक्ष्मी के पूजा विधान से जुड़ी कुछ खास बातें बता रहे हैं। जिनके संबंध में मान्यता है कि ऐसा करने से माता लक्ष्मी अपने भक्त पर प्रसन्न होकर उसे मनचाहा आशीर्वाद तक देती हैं।
इस संबंध में पंडित एसके शुक्ला का कहना है कि सप्ताह में देवी लक्ष्मी की विशेष पूजा और व्रत शुक्रवार को रखने का विधान है। देवी माता लक्ष्मी Sanatan Dharma में धन, सम्पदा और समृद्धि की देवी मानी गईं हैं।
ऐसे में माना जाता है कि शुक्रवार के दिन देवी लक्ष्मी की विशेष पूजा करने से मनचाहा फल मिलता है। वहीं ये भी बताया जाता है सुख और ऐश्वर्य की Devi Laxmi सदैव कर्म और कर्तव्य से जुड़े व्यक्ति पर हमेशा मेहरबान रहती है।
देवी लक्ष्मी कमल पर बैठती हैं और हाथ में भी कमल ही धारण करती हैं। शास्त्रों में इनका निवास भी कमलवन बताया गया है। इन्हें धन की देवी माना जाता है और शुक्रवार का दिन लक्ष्मी जी के भजन पूजन के लिए विशेष माना जाता है।
Must read-मई में लगेगा 2021 का पहला चंद्र ग्रहण...
देवी लक्ष्मी को शुक्रवार के दिन ऐसे करें प्रसन्न...
दरअसल Jyotish में भी शुक्रवार के दिन लक्ष्मी देवी की विशेष पूजा और व्रत रखने का विधान है। देवी लक्ष्मी धन, सम्पदा और समृद्धि की देवी मानी जाती हैं। वहीं कुछ शास्त्रों के अनुसार शुक्रवार को दिन भर व्रत रखने के बाद शाम को देवी लक्ष्मी की पूजा करने से घर कि दरिद्रता दूर होती है।
ये व्रत 7, 11 या 21 शुक्रवार या अपनी इच्छा के अनुसार आप कितने भी कर सकते हैं। लक्ष्मी की पूजा-अर्चना करते हुए उन्हें लाल फूल अवश्य चढ़ाना चाहिए, इसके अलावा उन्हें सफेद चंदन तिलक और चावल की खीर से भोग लगाना चाहिए। ध्यान रहे इस दिन सात्विक भोजन करें व्रत खोलते समय खीर जरूर खाएं।
वहीं कुछ जानकारों के अनुसार यह दिन Maa Durga का भी माना जाता है, अत: दुर्गा सप्तशति का पाठ भी इस दिन सारी मनोकामनाएं पूरी करता है।
क्या कहता है ज्योतिष
ज्योतिष के अनुसार कुण्डली में शुक्र ग्रह की शुभ स्थिति जीवन को सुखमय और प्रेममय बनाती है, तो अशुभ स्थिति चारित्रिक दोष और पीड़ा दायक होती है। शुक्र के अशुभ होने पर व्यक्ति में चारित्रिक दोष उत्पन्न होने लगते हैं और वह व्यक्ति बुरी आदतों का शिकार होने लगता है।
कुंडली में शुक्र -
ज्योतिष के अनुसार शुक्र वृषभ और तुला राशियों का स्वामी है। यह मीन राशि में उच्च का और कन्या राशि में नीच का माना जाता है। वहीं तुला 20 अंश तक इसकी मूल त्रिकोण राशि भी है।
शुक्र अपने स्थान से सातवें स्थान को पूर्ण दृष्टि से देखता है और इसकी दृष्टि को शुभकारक कहा गया है। जन्म कुंडली में शुक्र विवाह का कारक भी माना गया है। वहीं से इसे भाग्य का कारक होने के चलते नवम भाव का भी प्रमुख ग्रह माना गया है।
जिनकी कुंडली में शुक्र की अशुभता से बचने के लिए ये करें उपाय...
1. शुक्रवार के दिन सफेद वस्त्र धारण पहनें।
2. शुक्र को परफ्युम या इत्र का प्रयोग बलवान बनाता है।
3. सफेद वस्त्र और सफेद मिठाई का शुक्रवार के दिन किसी नेत्रहीन व्यक्ति को दान करना चाहिए।
4. गाय के दूध की खीर दस वर्ष से कम उम्र की कन्याओं को खिलाएं।
5. आटे की गोलियां (दाना) मछलियों को डालें।
6. "ॐ द्रां द्रीं द्रौं सः शुक्राय नमः" मंत्र के 108 उच्चारण कर ग्रह प्रतिष्ठा करके धूप,दीप, श्वेत पुष्प, अक्षत आदि से पूजन करें।
7. श्रीसूक्त का पाठ करें,चांदी का कड़ा पहनें।
शुक्र को शुभ करने के यह भी हैं उपाय...
1. मान्यता के अनुसार सामर्थ्य के अनुसार रुई और दही को मंदिर में दान करना शुक्र की अशुभता दूर करता है। इसके अलावा गाय को हरा चारा खिलाना और सच्चे मन व श्रद्धा भाव के साथ गाय की सेवा शुक्र को शुभ करने के लिए करनी चाहिए।
2. स्त्री और अपनी पत्नी का कभी भी अपमान या निरादर नहीं करना चाहिए, उन्हें सदैव आदर और सम्मान देने का प्रयास करना चाहिए। चांदी से बनी ठोस गोली सदैव अपने पास रखने से शुक्र की शुभता में इजाफा होगा।
3. शुक्र की शुभता के लिए शुक्रवार का व्रत करना चाहिए और नियमित रुप से मंदिर में जाकर माथा टेकना चाहिए।
4. मन और हृदय पर काबू रखना चाहिए और भटकाव की ओर जाने से रोकना चाहिए। मन और इन्द्रियों को नियंत्रित रखने पर शुक्र विशेष बल देता है। शुक्र की अशुभता में कमी गाय को हरा चारा खिलाने से आती है। शुक्र को बल गाय का पीला घी मंदिर में दान करने से भी मिलता है।
Published on:
06 May 2021 11:19 pm
बड़ी खबरें
View Allधर्म
धर्म/ज्योतिष
ट्रेंडिंग
