scriptPadma Ekadashi 2022: पदमा एकादशी कल, जान लें श्रीविष्णु पूजन का शुभ मुहूर्त और व्रत कथा | padma ekadashi vrat katha: parivartani ekadashi 2022 shubh muhurat and vrat katha | Patrika News

Padma Ekadashi 2022: पदमा एकादशी कल, जान लें श्रीविष्णु पूजन का शुभ मुहूर्त और व्रत कथा

locationनई दिल्लीPublished: Sep 05, 2022 11:25:30 am

Submitted by:

Tanya Paliwal

Padma Ekadashi Vrat Katha: इस साल पदमा एकादशी का व्रत 6 सितंबर 2022 को रखा जाएगा। इसे परिवर्तनी और जलझूलनी एकादशी भी कहते हैं। इस दिन भगवान विष्णु की पूजा के बाद व्रत कथा पढ़ना जरूरी माना गया है।

padma ekadashi 2022 date, padma ekadashi vrat katha, पद्मा एकादशी की कथा, padma ekadashi kab hai, jal jhulni ekadashi kab hai, parivartini ekadashi vrat katha, padma ekadashi 2022 shubh muhurat, डोल ग्यारस 2022, डोल ग्यारस की कथा,

Padma Ekadashi 2022: पदमा एकादशी कल, जान लें श्रीविष्णु पूजन का शुभ मुहूर्त और व्रत कथा

Padma Ekadashi 2022: हिन्दू धर्म में एकादशी व्रत को भगवान विष्णु को समर्पित माना गया है। वहीं भाद्रपद माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि को पदमा एकादशी व्रत रखा जाता है। मान्यता है कि चातुर्मास में पड़ने वाली इस एकादशी के दिन भगवान विष्णु अपनी शैया पर करवट बदलते हैं और इसी कारण इसे परिवर्तिनी एकादशी भी कहते हैं। पदमा एकादशी के दिन भगवान विष्णु के वामन रूप की पूजा का विधान है। इस साल 2022 में 6 सितंबर, मंगलवार को पदमा एकादशी व्रत पड़ रहा है। ज्योतिष अनुसार इस साल परिवर्तनी एकादशी के दिन रवि योग और आयुष्मान योग का निर्माण हो रहा है। धार्मिक मान्यता है कि पदमा एकादशी के व्रत और पूजन से वाजपेय यज्ञ के समान पुण्य फल प्राप्त होता है। तो आइए जानते हैं पदमा एकादशी व्रत के पूजन का शुभ मुहूर्त और व्रत कथा…

पदमा एकादशी 2022 शुभ मुहूर्त
हिंदू पंचांग के अनुसार भाद्रपद महीने के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि का प्रारंभ 06 सितंबर 2022, मंगलवार को सुबह 05:54 बजे होगा और इसकी समाप्ति 07 सितंबर 2022, बुधवार को सुबह 03:04 बजे होगी। वहीं पदमा एकादशी व्रत का पारण 7 सितंबर को सुबह 08:19 से सुबह 08:33 बजे किया जाएगा।

पदमा एकादशी व्रत कथा
पौराणिक कथा के अनुसार, त्रेतायुग में एक बलि नाम का असुर था। वह भगवान विष्णु का परम भक्त था। दैत्य बलि विविध प्रकार के वेद सूक्तों से विष्णु जी का पूजन किया करता था। साथ ही प्रतिदिन उसके द्वारा ब्राह्मणों का पूजन तथा यज्ञ का आयोजन किया जाता था। हालांकि उस दैत्य ने इंद्रदेव से द्वेष के कारण इंद्रलोक सहित सभी देवताओं को जीत लिया था। उससे त्रस्त होकर सभी बृहस्पतिदेव और इन्द्र आदि सभी देवता एक साथ भगवान के पास पहुंचे और उनके सामने सिर झुकाकर स्तुति करने लगे। इसके बाद विष्णु जी ने वामन रूप धारण कर लिया।

तत्पश्चात वामन रूपधारी ब्रह्मचारी विष्णु भगवान, राजा बलि से तीन पग भूमि की याचना करते हुए बोले कि, ‘हे राजन्! ये तीन पग भूमि मेरे लिए तीन लोक के बराबर है और यह तुम्हें मुझे अवश्य ही देनी होगी।’ राजा बलि ने वामन रूपधारी की इस याचना को बहुत तुच्छ समझकर तीन पग भूमि देने का संकल्प कर लिया। इसके बाद विष्णु जी ने अपने त्रिविक्रम रूप को बड़ा करके सत्यलोक में मुख और उसके ऊपर मस्तक, भूलोक में अपना पैर, भुवर्लोक में जांघ, जनलोक में हृदय, स्वर्गलोक में कमर, मह:लोक में अपना पेट और यमलोक में कंठ को स्थापित कर दिया।

वहीं उस दौरान सभी देवताओं, गणों, योग, नक्षत्र आदि सबने विविध प्रकार से वेद सूक्तों से विष्णु भगवान से प्रार्थना की। तब श्रीविष्णु ने राजा बलि का हाथ पकड़कर कहा कि, ‘हे राजन्! एक पग से ये धरती, दूसरे से स्वर्गलोक तो पूरे हो गए परंतु अब मैं अपना तीसरा पग कहां रखूं?’ इस बात पर बलि ने अपना सिर झुका लिया तो विष्णु जी ने अपना पैर उसके मस्तक पर रख दिया जिससे बलि पाताल लोग में गमन कर गया। लेकिन वामन रूपधारी भगवान विष्णु ने बलि की नम्रता को देखकर कहा कि, ‘हे बलि! मैं हमेशा ही तुम्हारे निकट रहूंगा। इस बाद भाद्रपद शुक्ल एकादशी के दिन बलि के आश्रम पर विष्णु भगवान की मूर्ति स्थापित हुई।

वहीं इसी एकादशी पर भगवान विष्णु शयन करते हुए क्षीरसागर में शेषनाग पर करवट बदलते हैं, इसलिए तीनों लोकों के स्वामी भगवान विष्णु का पदमा एकादशी के दिन पूजन शुभ होता है। इसके अलावा ज्योतिष अनुसार परिवर्तनी एकादशी के दिन दही, तांबा और की वस्तु, चावल का दान करना फलदायी माना गया है। जो भक्त विधिपूर्वक इस एकादशी का व्रत करता है और पदमा एकादशी की कथा सुनता या पढ़ता है उसके जीवन के सभी कष्ट समाप्त हो जाते हैं।

यह भी पढ़ें: गरुड़ पुराण: जीवन में खुशहाली बनाए रखने के लिए रोजाना अवश्य करें ये 5 काम

loksabha entry point

ट्रेंडिंग वीडियो