
PM Awas Yojana: प्रधानमंत्री आवास योजना (ग्रामीण) और आवास प्लस योजना की रफ्तार रीवा और मऊगंज जिलों में बेहद सुस्त बनी हुई है। इस वजह से हजारों परिवारों का पक्के घर का सपना अब भी अधूरा है। योजना के पहले चरण के लक्ष्य पूरे नहीं हो सके हैं और अब तक 50 हजार से अधिक हितग्राही वेटिंग लिस्ट में हैं। योजना की धीमी प्रगति और निगरानी की कमजोर व्यवस्था ने इस महत्वाकांक्षी योजना को सवालों के घेरे में ला खड़ा किया है।
रीवा-मऊगंज जिले में बीते कई वर्षों से प्रधानमंत्री आवास योजना की रफ्तार बेहद धीमी है। गांवों में सैकड़ों मकान अधूरे पड़े हैं क्योंकि हितग्राहियों को समय पर राशि आवंटित नहीं की गई। बार-बार समीक्षा बैठकों और निर्देशों के बावजूद जमीनी स्तर पर कोई ठोस प्रगति नहीं हो सकी है। जिला पंचायत में लंबे समय तक सीईओ की पदस्थापना नहीं होना भी इसकी प्रमुख वजहों में एक माना जा रहा है।
अब जिला पंचायत में नए सीईओ की ज्वाइनिंग के बाद गति लाने पर जोर दिया जा रहा है। अधिकारियों को आगामी 17 अप्रैल को होने वाली जिला योजना समिति की बैठक के पहले ही प्रगति रिपोर्ट प्रस्तुत करनी है। इस बैठक में प्रधानमंत्री आवास योजना की विशेष समीक्षा की जाएगी। इससे जनपद स्तर के अधिकारी भी सक्रिय हो गए हैं, क्योंकि पिछली बैठक के बाद भी कोई खास प्रगति नहीं हो पाई थी।
प्रधानमंत्री आवास योजना की शुरुआत वर्ष 2016 में हुई थी और लक्ष्य मार्च 2022 तक सभी ग्रामीण परिवारों को पक्के मकान उपलब्ध कराना था। योजना के तहत 1.20 लाख रुपये की सहायता राशि दी जाती है, जो किस्तों में मिलती है। योजना के पहले चरण में रीवा जिले में 1 लाख 49 हजार 531 हितग्राहियों को चिह्नित किया गया था। परंतु निर्धारित समयसीमा के तीन साल बाद भी हजारों मकान अधूरे हैं।
अब योजना की प्रक्रिया पूरी तरह ऑनलाइन कर दी गई है और जीओ टैगिंग पर आधारित कर दी गई है। जब तक टैगिंग पूरी नहीं होती, तब तक अगली किस्त नहीं मिलती। इससे भी कई जगह निर्माण कार्य अटक गया है। इसके अलावा भुगतान प्रक्रिया में भी प्रशासनिक और वित्तीय जिम्मेदारियों की अदला-बदली से रुकावटें आई हैं, खासकर मऊगंज क्षेत्र में जहां दो अलग-अलग अधिकारियों के अधीन जिम्मेदारियां थीं।
जिला पंचायत रीवा के सीईओ मेहताब सिंह गुर्जर ने बताया कि पांच ब्लॉकों में नियमित सीईओ न होने के कारण योजना की गति प्रभावित हुई है। उन्होंने बताया कि अब यह मामला संज्ञान में आते ही सुधार के प्रयास शुरू कर दिए गए हैं और भुगतान प्रक्रिया को सुचारु किया जा रहा है।
योजना की सुस्त रफ्तार का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि जिले में 12 हजार से अधिक ऐसे हितग्राही हैं जिनके मकान अधूरे हैं और वे किस्तों की प्रतीक्षा में हैं। ब्लॉकवार स्थिति इस प्रकार है:
अधूरे मकान
कुल 49,605 हितग्राही कर रहे इंतजार
यदि वेटिंग लिस्ट की बात की जाए, तो जिले में 49,605 हितग्राही अब भी योजना के तहत आवास की प्रतीक्षा में हैं। यह आंकड़ा योजना की मौजूदा स्थिति को लेकर गंभीर चिंता पैदा करता है। जिले के नौ ब्लॉकों में हितग्राहियों की संख्या इस प्रकार है:
Published on:
10 Apr 2025 11:11 am
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