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मुसलमानों के लिए निकाय चुनाव से ठीक पहले देवबंद से आया बड़ा बयान

locationसहारनपुरPublished: Nov 04, 2017 06:24:16 pm

शरीयत के मुताबिक वोट की खरीद-फरोख्त करने को बताया गया बड़ा गुनाह, बयान की हो रही है तारीफ

Maulana Abdullateef

सहारनपुर. आमतौर पर मुसलमानों के लिए देवबंद से आने वाले बयान पर देश में विवाद की स्थिति बन जाती है। इन बयानों पर टीवी चैनलों पर खूब बहस और चर्चा होती है, लेकिन उत्तर प्रदेश में होने वाले निकाय चुनाव से ठीक पहले एक ऐसा बयान आया है, जिसकी चारों तरफ तारीफ हो रही है। दरअसल, यहां के एक मौलाना ने वोट की खरीद-फ्रोख्त को गेर इस्लामिक बताने के साथ ही बड़ा गुनाह भी बताया है। साथ ही वोट का सौदा करने वालों को गुलाम मानसिकता का शिकार बताया है। उन्होंने कहा कि वोट यानी मतदान एक शहादत य़ानी गवाही है। न तो अपनी अपनी आजादी का किराया लिया जा सकता है और न ही शहादत कभी बेची ही जा सकती है। यह बात देवबंद के एक मदरसे के प्रबंधक मौलाना अब्दुल लतीफ कासमी ने कही है। उन्होंने प्रजातंत्र को सबसे बड़ा शासन-तंत्र बताते हुए स्वतंत्र रूप से मतदान करने की अपील की। इसके साथ ही उन्हेंने कहा कि इस्लाम आजादी पसंद करता है और अपनी राय बिना किसी दबाव और खरीद-फरोख्त के देना यही आजादी है। अपनी राय की आजादी जरूरी है और सभी को मतदान करना चाहिए।

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प्रजातंत्र का मजाक है वोटों की खरीद-फरोख्त
मौलाना अब्दुल लतीफ कासमी ने कहा है कि केवल वोट बेचना ही इस्लाम में जुर्म नहीं है, बल्कि वोट खरीदना भी बेहद बड़ा जुर्म है। यह जम्हूरियत यानी प्रजातंत्र का खुला मजाक है।

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चुनाव से ठीक पहले आया ये बयान
निकाय चुनाव करीब आते ही जहां नगर की गली कुचों में हर जगह लोग चुनाव की बातें करते नज़र आते हैं। इस दौरान सभी पार्टी के लोग अपने-अपने प्रत्याशियों के जीत के दावे करते हैं। इसी दौरान नगर के मदरसे दारुल उलूम निशवाह के मोहतमिम मौलाना अब्दुल लतीफ कासमी ने वोट को शहादत और आजाद विचारों की गवाही बताय है। उन्होंने कहा कि मतदान एक तरह से इज़हा-ए-राय है। उन्होंने कहा कि शहादत यानी गवाही और राय को बेचना शरीयत में जायज़ नहीं है। इस्लाम गुलामी को पसंद नहीं करता है। इस्लाम आज़ादी चाहता है। आज़ादी का मतलब यह होता है कि सभी की राय आज़ाद हो और जिसके चाहे हक में वो अपनी राय यानी वोट दें। गुलाम उसे कहा जाता है, जिसे अपनी राय देने का हक न हो, जो वोट देने का हक न रखता हो, वही गुलाम है।

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इसलिए सभी मुस्लिम मतदाताओं के लिए यह जानना जरूरी है कि अपनी वोट को बेचना शरीयत के हिसाब से दुरुस्त नहीं है। उन्होंने यह भी बताया कि अगर कोई ऐसा करता है तो वह गुनाहगार है और शरियत की नज़रों में बहुत बड़ा मुज़रिम है। वह शख्स बहुत बुरा है, जो अपना वोट बेचता है और जो खरीदता है। वह सीधे तौर पर प्रजातंत्र का मजाक उड़ाता है। प्र? तंत्र ्र ही भारत देश की अपनी अस्ल पहचान है। पूरी दुनिया के अंदर प्रजातंत्र की वजह से ही हमारे देश का लोहा माना जाता है। अगर हमारे भारत में वोट खरीदे जाने लगें तो हमारी जमहूरियत कमज़ोर पड़ जाएगी और इससे सभी देशवासियों का नुकसान पहुंचेगा।

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