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दरअसल, भाजपा में चल रही गुटबाज़ी के चलते यहां पूर्व दिग्गज भाजपा सभासदों को टिकट नहीं दिलवा पाए। यही कारण है कि भाजपा के अंदर ही विराेध के स्वर फूटने लगे हैं। पार्षदों के चयन के लिए यहां जाे कमेटी गठित की गई थी, उसमें कैबिनेट मंत्री और सहारनपुर के प्रभारी मंत्री सूर्य प्रताप शाही मुख्य रूप से शामिल थे। इनके अलावा प्रदेश के संगठन मंत्री सुरेश बंसल व महेंद्र धनोरिया के अलावा सांसद राघव लखन पाल शर्मा आैर पूर्व विधायक लाज कृष्ण गांधी के अलावा पूर्व विधायक राजीव गुम्बर आैर भाजपा महानगर अध्यक्ष अमित गगनेजा को स्क्रीनिंग कमेटी में रखा गया था। पूर्व महानगर अध्यक्ष हेमंत अरोड़ा को भी अलग से अपने सुझाव देने के लिए गया था। बताया जा रहा है कि 10 से अधिक नाम सांसद राघव लखन पाल शर्मा की आेर से दिए गए थे। इस तरह कुल मिलाकर क्षेत्रीय अध्यक्ष भूपेंद्र ने अंतिम सूची तैयार कराई। इस तरह जाे तैयार सूची बनाई गई है, उससे भाजपाईयाें में बेचैनी है। इतना ही नहीं, सिर्फ बेचैनी ही नहीं है, बगावत भी दिखने लगी है।
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अब भाजपाइयाें का सवाल यह है कि जब अधिकांश नामाें की घाेषणा स्क्रीनिकंग कमेटी के बाहर के लाेगाें की की गई है ताे फिर इस स्क्रीनिंग कमेटी की जरूरत ही क्या थी। इसी बात काे लेकर भाजपाइयाें में गुस्सा है। काेर्ट राेड स्थित एक हाेटल में रविवार काे वह भाजपाई इकट्ठा हुए, जिन्हें टिकट मिलने की उम्मीद थी, लेकिन उन्हें टिकट नहीं मिल सका। इन्हाेंने यहां भाजपा के क्षेत्रीय नेतृत्व पर खुले आराेप लगाए आैर साफ कहा कि पार्टी काे अपनी यह लिस्ट बदलनी हाेगी। पुनः विचार करना हाेगा। यदि एेसा नहीं किया ताे इसका प्रभाव मेयर के चुनाव पर पड़ेगा। इस माैके पर नीरज कुमार माहेश्वरी, मनाेज ठाकुर, नंदर किशाेर शर्मा, विजय, संजय कपूर, मनीष सचदेवा, राजीव सैनी, सतीश त्यागी, दीपक रहेजा, चंद्र कालड़ा, अजय वशिष्ठ, अजय शर्मा, सुरेंद्र कालड़ा, अमित गुप्ता, राजेश जैन समेत अन्य माैजूद रहे।