
chandra grahan
सहारनपुर। पांच व छह जून काे हाेने वाले चंद्रग्रहण ( chandra grahan ) काे लेकर बहस छिड़ गई है। धर्माचायों के अनुसार पांच व छह जून काे काेई ग्रहण नहीं है। चंद्र बिंब पर मालिन्य मात्र छाया आने के कारण बनने वाली यह स्थिति ग्रहण की श्रेणी में नहीं आती है। इसलिए इसका काेई प्रभाव ( Chandra Grahan Impact ) भी नहीं हाेगा।
श्रीरामपंचायतन सिद्ध पीठ, मानस निकेतन, सहारनपुर के ज्योतिषाचार्य महंत राघवेंद्र स्वामी के अनुसार पांच व छह जून 2020 की मध्य रात्रि को घटित होने वाला चंद्र ग्रहण, ग्रहण न होकर चंद्र ग्रहण की उपच्छाया मात्र होगा। धर्म शास्त्रों के अनुसार चंद्र बिंब पर मालिन्य मात्र छाया आने के कारण बनने वाली यह स्थिति ग्रहण की श्रेणी में नहीं आती है।
महंत राघवेंद्र स्वामी ने बताया कि इसी कारण सहारनपुर के विप्र परिवार के ज्योतिषाचार्यों के सामूहिक निर्णय के अनुसार मठ- मंदिरों में सूतक काल का असर भी नही होगा। मंदिरों में पूजा एवं आरती की प्रक्रिया नित्य प्रति की भांति ही समय अनुसार होगी। अतः धर्मनिष्ठ व्यक्तियों को पूर्णिमा संबंधित साधारण व्रत, उपवास एवं दान आदि करने मात्र से ही श्रेष्ठ फल की प्राप्ति हो जाएगी
उपच्छाया ग्रहण वास्तव में ग्रहण नहीं होता, प्रत्येक चंद्रग्रहण के घटित होने से पूर्व चंद्रमा पृथ्वी की उपच्छाया में प्रवेश करता है, जिसे चंद्र मालिन्य एवं इंग्लिश में Penumbra भी कहते हैं। उसके बाद ही वह पृथ्वी की वास्तविक छाया में प्रवेश करता है। जिसे दूसरे शब्दों में भूभा ( Umbra ) कहते हैं एवं तभी उसे वास्तविक ग्रहण कहा जाता है।
5 जून 2020 को होने वाले चंद्र उपच्छाया ग्रहण का समय 5 जून की रात्रि को 11 बजकर 16 मिनट से 6 जून को प्रात: 2 बजकर 34 मिनट तक रहेगा।
भारत सहित यह उपच्छाया यूरोप के अधिकांश हिस्से, एशिया, ऑस्ट्रेलिया, दक्षिण अमेरिका, अफ्रीका एवं प्रशांत तथा हिंद महासागर आदि क्षेत्रों में दिखाई देगा।
Updated on:
04 Jun 2020 11:10 pm
Published on:
04 Jun 2020 10:30 pm
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