यह घटना शुक्रवार देर शाम की है। देवबंद दारूल उलूम में इकट्ठा हुए छात्रों ने नारेबाजी शुरु कर दी। इनका गुस्सा वायरल हाे रही माेहतमिम की धरना खत्म करने वाली अपील की वीडियो काे लेकर था। दरअसल गुरुवार काे जिलाधिकारी आलोक कुमार पांडेय और वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक दिनेश कुमार पी ने शांति समिति की बैठक की थी। इस मिटंग में देवबंद दारूल उलूम के मोहतमिम अबुल कासिम नोमानी बनारसी भी माैजूद थे। इसी मीटिंग के दाैरान माेहतमिम ने सरकार अगर पक्का वादा करे ताे धरना खत्म करने की राय दी थी। इसी वीडियो काे बाद में इस तरह से वायरल किया गया कि माेहतमिम ने धरना खत्म करने काे कहा है। इसी वायरल वीडियो पर तलबा गुस्से में आ गए और हंगामा कर दिया।
बाद में देवबद दारूल उलूम के माेहतमिम की ओर से शुक्रवार शाम काे एक बयान जारी किया गया। इस बयान में उन्हाेंने कहा कि, शुक्रवार को डाक बंगले पर अधिकारियों के साथ हुई शांति समिति की बैठक में उन्हाेंने ऐसा कुछ भी नहीं कहा था कि धरना खत्म किया जाए। अपने लेटरपैड पर जारी इस बयान में दारुल उलूम के मोहतमिम ने कहा कि केंद्र सरकार की ओर से ”फिलहाल एनआरसी लागू करने का कोई फैसला सरकार नहीं ले रही है” वाले बयान से हम ( देवबंद दारुल उलूम) संतुष्ट नहीं हैं। इसलिए किसी भी प्रदर्शन काे बंद करने की काेई अपील नहीं है। संविधान की रक्षा के लिए दायरे में रहकर प्रयास करते रहना चाहिए।
शुक्रवार की शाम यह बयान देवबंद दारुल उलूम के मोहतमिम अबुल कासिम नोमानी की ओर से जारी किया गया ताे तलबाओं का गुस्सा शांत हुआ। इस बयान में माेहतमिम ने यह भी कहा कि, सीएए और एनआरसी दोनों ही कौम के लिए बेहद महत्वपूर्ण और संवेदनशील मुद्दे हैं। जब तक सरकार की ओर से
CAA वापस नहीं लिया जाता और NRC लागू नहीं किए जाने का काेई ठोस आश्वासन नहीं दिया जाता तब तक संवैधानिक हक का इस्तेमाल करते हुए रहेंगे शांतिपूर्ण तरीके से अपना प्रयास जारी रखा जाए।
राष्ट्रपति और चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया को भेजा पत्र देवबंद दारुल उलूम के मोहतमिम की ओर से एक पत्र देश के राष्ट्रपति और चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया को भी भेजा गया है। जिसमें उन्होंने देशभर में नागरिकता संशोधन कानून के विरोध में चल रहे प्रदर्शन व आंदोलनों के बारे में कहा है कि यह सभी शांतिपूर्ण ढंग से चल रहे आंदोलन हैं। इनको समाप्त करने की अपील नहीं की जा सकती। जारी प्रेस नोट में मौलाना अबुल कासिम नोमानी ने साफ किया कि शांति समिति की बैठक में जो भी बातें कही गई थी वह सिर्फ एक राय थी मशवरा था। उस दौरान किसी से भी देवबंद दारुल उलूम की ओर से यह नहीं कहा गया था कि धरने को समाप्त किया जाए।