
Satna: 71 people did illegal occupation in the waterlogged area of the dam, demanding PM aawas
सतना. जल संसाधन विभाग ने 1970 में अमरपाटन तहसील अंतर्गत शासकीय जमीन पर महुड़र बांध का निर्माण किया था। लेकिन बांध की मेड़ और डूब क्षेत्र (जल भराव क्षेत्र) की शासकीय भूमि में अतिक्रमण होने के कारण बांध में तय क्षमता के अनुसार जल भराव नहीं हो पा रहा है। जिससे क्षेत्र की सिंचाई व्यवस्था प्रभावित हो रही है। इतना ही नहीं इस संबंध में जल संसाधन विभाग ने कई बार जिला प्रशासन को इन अतिक्रमण को हटाने पत्राचार भी किया लेकिन इस दिशा में कोई गंभीरता नहीं दिखाई गई। अब इन अवैध कब्जाधारको ने अपने अतिक्रमित स्थल पर ही प्रधानमंत्री आवास की मांग कर रहे हैं। इसको लेकर जल संसाधन विभाग की पेसानी पर बल पड़ गए हैं। विभाग के ईई आरएस नट ने इस संबंध में जनपद सीईओ को स्पष्ट बता दिया है कि यह जमीन जल संसाधन विभाग की है और इस पर किसी भी व्यक्ति को आवास बनाने की अनुमति नहीं दी जा सकती है।
71 लोगों ने किया कब्जा
मिली जानकारी के अनुसार 71 लोगों ने डैम की जमीन पर मकान बना लिया है। इस कारण ने बांध में जल भराव नहीं हो पा रहा है और रूपांकित क्षेत्र में सिंचाई की सुविधा मुहैया नहीं हो पा रही है। स्वयं विभाग ने इन्हें अपनी जमीन से अवैध कब्जा खाली करने को कहा लेकिन किसी ने अपना अवैध कब्जा नहीं हटाया।
जिला प्रशासन ने नहीं दिया ध्यान
बताया गया है कि जल संसाधन विभाग ने 2017 से लगातार एसडीएम और कलेक्टर को पत्र लिख कर जल भराव क्षेत्र सहित डैम की मेड़ से अतिक्रमण खाली कराने पत्राचार कर रहा है। लेकिन न तो अमरपाटन एसडीएम न ही रामपुर बाघेलान एसडीएम ने अतिक्रमण हटाने में कोई रुचि ली। कलेक्टर स्तर से भी किसी तरह की पहल अतिक्रमण हटाने को लेकर नहीं की गई। नतीजा यह हो रहा है कि यह सिंचाई के लिये बनाया गया लाखों रुपये लागत का यह बांध अनुपयोगी साबित हो रहा है।
अब पीएम आवास की मांग
हद तो यह हो गई है कि बांध की मेड़ पर काबिज 34 अतिक्रमणकारियों ने अब यहीं पर पीएम आवास की मांग शुरू कर दी है। हालांकि मामले की संवेदनशीलता को लेकर जनपद सीईओ ने जल संसाधन विभाग के ईई से मार्गदर्शन मांगा था। जिस पर ईई ने स्पष्ट कर दिया है कि यह जमीन जल संसाधन विभाग की है और अतिक्रमणकारी किसी भी व्यक्ति को आवास बनाने की अनुमति नहीं दी जा सकती है।
फिर किया पत्राचार
इसके साथ ही ईई जलसंसाधन विभाग ने एक बार फिर कलेक्टर को पत्र लिखकर अतिक्रमण की गई बांध की भूमि को रिक्त कराने की मांग की है। जिससे बांध में पूरा जल भराव किया जा सके और रूपांकित सिंचिंत क्षेत्र में किसानों को सिंचाई के लिये पानी दिया जा सके।
Published on:
17 Oct 2022 09:58 am
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