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satna: कलेक्टर को कार्य पूर्णता के आरईएस विभाग दे रहा फर्जी आंकड़े

अमृत सरोवर के कागजी आंकड़ों पर टीएल बैठक में हो रही समीक्षा

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satna: कलेक्टर को कार्य पूर्णता के आरईएस विभाग दे रहा फर्जी आंकड़े

RES department is giving fake figures of work completion to collector

सतना. प्रदेश और भारत सरकार की अति महत्वाकांक्षी योजना अमृत सरोवर के काम जिले में कागजों में ज्यादा चल रहे हैं। जबकि इनकी जमीनी हकीकत इसके ठीक विपरीत है। यह हम नहीं बल्कि खुद आरईएस के आंकड़े बयां कर रहे हैं जो कलेक्टर को समीक्षा के लिये समय सीमा बैठक में दिए जाते हैं। अगर गंभीरता से इनके आंकड़ों की समीक्षा हो जाए तो ये अपने ही आंकड़ों में फंस जाएंगे। मिली जानकारी के अनुसार गत सोमवार को समय सीमा बैठक में ईई आरईएस ने जिले में अमृत सरोवर के स्वीकृत 106 कामों में से 37 को पूर्ण होना बताया था। अधिकारी भी इससे संतुष्ट हो गए। लेकिन इनके गोसवारा को अगर गंभीरता से देखे तो स्वीकृत राशि और व्यय राशि के अन्तर से ही सारी कहानी स्पष्ट हो जाएगी।

इस तरह पकड़ में आया खेल

ईई आरईएस द्वारा अमृत सरोवर के कामों की प्रगति की जो जानकारी कलेक्टर को प्रस्तुत की गई थी उसमें जनपद पंचायत मझगवां की ग्राम पंचायत बरौंधा में कलदहा नाले में नवीन तालाब निर्माण की स्वीकृति की जानकारी दी गई है। इसकी स्वीकृति लागत राशि 38.24 लाख बताई गई है। इसे पूर्ण कार्य के कॉलम में रखा गया है। लेकिन व्यय राशि का कालम देखें तो सिर्फ 20.82 लाख रुपये का व्यय दिखाया गया है। अर्थात 18 लाख के लगभग का काम शेष है। यहीं से स्पष्ट है कि यह काम पूरा नहीं हुआ है। इसी तरह से रामपु बाघेलान के बैरिहा में 14.68 लाख की लागत के अमृत सरोवर का काम पूरा होना दिखाया गया है। और इसे पूर्ण होना लिखा गया है। जबकि व्यय राशि महज 4.7 लाख बताई गई है। अर्थात यहां भी काम पूरा नहीं है। स्पष्ट है कि या तो इनके आंकड़े गलत हैं या फिर काम की प्रगति गलत बताई जा रही है। दोनों ही स्थितियां गंभीर हैं क्योंकि ये जानकारी जिले के सबसे बड़े अधिकारी कलेक्टर को दी जा रही है। सवाल यह भी है कि इन गलत आंकड़ों पर नियमित तौर पर समीक्षा हो रही है।

मनरेगा पोर्टल में भी प्रगति पूरी नहीं

इन तालाबों के निर्माण का बड़ा हिस्सा मनरेगा मद से होना है। लेकिन मनरेगा की आधिकारिक वेब साइट में दर्ज आनलाइन आंकड़ों को अलग देखें तो यहां किसी भी पूर्ण कार्य में व्यय पूरा नहीं है।

सीसी क्यों नहीं

सबसे बड़ा सवाल यह खड़ा हो रहा है कि अगर काम पूरा हो गया है तो इन कामों की सीसी क्यों जारी नहीं हुई है। अगर सीसी (कार्य पूर्णता प्रमाण पत्र) जारी नहीं है तो काम पूर्ण कैसे दिखाए जा रहे हैं। इस मामले में ईई आरईएस अश्वनी जायसवाल से संपर्क की कोशिश की गई लेकिन वे इससे बचते नजर आए।