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satna: जब वनवासी बच्चों के चेहरे पर दिखी मुस्कुराहट

नवाचार के तहत आदिवासी अंचल मझगवां के विभिन्न गांवों में कलेक्टर की पत्नी ने बांटे कपड़े

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मिसेज कलेक्टर ने आदिवासी बच्चों को बांटे गर्म कपड़े

satna: When a smile appeared on the faces of the forest dwellers

सतना. निपट गरीबी में जीने वाले वनवासियों के बच्चों को ठंड के मौसम के लिये गर्म कपड़े बांटने का मिसेज कलेक्टर नेहा चौधरी के नवाचार 'बाल वस्त्र दान' के तहत आज से बच्चों को वस्त्र देने का क्रम शुरू हो गया। मझगवां क्षेत्रा के आदिवासी बाहुल्य गांव पटनी, कानपुर, देवलहा के एक माह से 18 वर्ष तक के बच्चों को गर्म कपड़े वितरित किए गए। इस दौरान कलेक्टर अनुराग वर्मा सहित कल्याण समिति की अध्यक्ष राधा मिश्रा, सदस्य जान्हवी त्रिपाठी, चांदनी श्रीवास्तव भी मौजूद रहे। इस अभियान के तहत बच्चों को 18 हजार कपड़े बांटे जाने हैं।

गांव में रहा उल्लास का माहौल

पहाड़ी अंचल मझगवां के आदिवासी बाहुल्य गांव पटनी की सुबह अन्य दिनों की अपेक्षा बच्चों के लिये कुछ ज्यादा ही खुशनुमा थी। एक दिन पहले उन्हें बताया गया था कि गुरुवार को मिसेज कलेक्टर यहां कपड़े बांटने आ रही हैं। 10 बजे के लगभग स्कूल के मैदान में दरी बिछाई जा चुकी थी और यहां बच्चों की भीड़ जुटने लगी थी। इसके साथ ही कई माताएं अपने बच्चों को गोद में लेकर यहां पहुंचने लगी थी। सबकी निगाहें गाडि़यों के काफिले का इंतजार कर रही थीं क्योंकि उन्हें पता था है कि साहब लोग जब भी आते हैं तो वाहनों का काफिला भी आता है। इसी बीच जीतू नामक बच्चा चिल्ला उठा... 'होदव आय गे... आय गे... आय गे...' इसके बाद यहां बच्चे तालियां पीटने लगे और हर्षध्वनि सुनाई देने लगी। वाहनों का काफिला रुका तो एक वाहन से कलेक्टर अनुराग वर्मा और उनकी पत्नी नेहा चौधरी उतरे। पीछेे से अन्य लोग भी उतर कर आगे बढ़े। इससे पहले कि ये लोग मैदान में बनाए गए आयोजन स्थल तक पहुंच पाते, बच्चों ने घेर लिया। इनसे हंसते-बात करते सभी लोग आयोजन स्थल तक पहुंचे।

IMAGE CREDIT: patrika

पसंदगी के आधार पर मिले कपड़े

आयोजन स्थल में मिसेज कलेक्टर ने अपने सहयोगी बाल कल्याण समिति के पदाधिकारियों के साथ मिलकर अपने साथ लाए गर्म कपड़ों के बंडल खोले। इसके बाद बिना किसी औपचारिकता के बच्चों से इन बंडलों में रखे कपड़े पसंद करने कहा। फिर एक-एक करके बच्चों को गर्म कपड़े दिए जाने लगे। इस दौरान पीछे एक 15 वर्षीय बालक चुपचाप खड़ा नजर आया। नेहा चौधरी उस बच्चे के लिये एक गर्म जैकेट निकालीं और उसे देने पीछे पहुंच गई। बच्चे के चेहरे पर लेदर की जैकेट पाकर अलग ही खुशी देखने को मिली। कुछ ही देर में यहां बच्चों और उनके अभिभावकों के चेहरे पर खुशी देखते ही बन रही थी। इस दौरान सभी बच्चों को टॉफियां, बिस्किट और मिठाइयां भी दी गईं। कपड़े वितरित करने में कलेक्टर ने भी अपनी पत्नी का सहयोग किया।

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जब बोला बुद्धा - पहिल दार मिसेज कलेक्टर आईं हैं गांव मा

जब बच्चों को वस्त्र वितरित किए जा रहे थे तो इस दौरान यहां 75 वर्षीय बु्द्धा मवासी भी मौजूद था। नेहा चौधरी ने इन्हें भी वस्त्र दिए। तब बुद्धा ने उनके आगे हाथ जोड़े और कहा 'हुजूर, या गांव मा कलेक्टर एसपी त खूब आए हैं... बड़े-बड़े नेता अधिकारी आबत रहत हें। पै पहिल दार मिसेज कलेक्टर आईं हमय। वहव कपड़ा लइ के। खूब भला होय अपना केर।' तब तक वहां कलेक्टर भी पहुंच चुके थे। उन्होंने बुद्धा का हाथ संबल भरे अंजाद में थाम लिया। यह दृश्य भाव विह्वल करने वाला था।

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वनवासी महिलाओं ने भेंट किया तिल

वनवासी गांव पटनी आईं मिसेज कलेक्टर को वनवासी महिलाओं ने भी खाली हाथ नहीं भेजा। यहां तिल से बनाये जाने वाले क्षेत्रीय व्यंजन ‘लाटा’ के लिये उन्हें तिल भेंट किया और उसे बनाने की विधि भी बताई।