
Sikho Kamao Scheme MP Government
Sikho Kamao Scheme: मध्य प्रदेश में हर युवा को रोजगार दिलाने की महत्त्वाकांक्षी ‘मुख्यमंत्री सीखो-कमाओ’ (एमएमएसकेवाई) योजना दम तोड़ रही है। हर साल एक लाख युवाओं को रोजगारोन्मुखी प्रशिक्षण और 8 से 10 हजार रुपए मासिक स्टाइपेंड प्रदान करना था। इस वर्ष 32 जिलों में एक भी प्रशिक्षण नहीं कराए जा सके हैं। इस बात का खुलासा, 16 मई को प्रदेश स्तरीय समीक्षा बैठक में हुआ। एमएमएसकेवाई पोर्टल पर अब तक 45,425 रिक्तियां प्रकाशित की गई थीं, जबकि ईपीएफओ पोर्टल पर 7,17,575 उम्मीदवार उपलब्ध थे। इसके बावजूद मार्च तक सिर्फ 1,633 बेरोजगारों को ही प्रशिक्षण के लिए बुलाया गया। इनमें से अप्रेल तक सिर्फ 275 को ही रोजगार मिल पाया, जो कि कुल संख्या का महज 0.3फीसदी है।
प्रदेश में प्रशिक्षण और रोजगार दिलाने की स्कीम का प्रदर्शन पूरे प्रदेश में ही निराशाजनक रहा। इस योजना के प्रदर्शन में प्रथम स्थान पर रायसेन जिला है। वहां भी लक्ष्य के अनुरूप केवल 2 फीसद युवाओं को स्कीम का लाभ मिला। इसके बाद शिवपुरी, इंदौर, सागर और हरदा जिले भी कोई खास प्रदर्शन नहीं कर सके।
Sikho Kamao Scheme MP Government: केंद्र सरकार की नेशनल अप्रेंटिसशिप प्रमोशन स्कीम (एनएपीएस) भी फलीभूत नहीं हो सकी। 29 जिलों में एक भी प्रशिक्षणार्थी को संस्थानों ने अप्रेंटिस का अवसर नहीं दिया। इसमें 81,078 संभावित वैकेंसी के मुकाबले केवल 20,485 को प्रशिक्षण और मात्र 1,147 को ही रोजगार मिला। योजना के क्रियान्वयन में संस्थागत ढांचे की कमजोरी, स्टाइपेंड में देरी और प्रशिक्षण की गुणवत्ता पर सवाल उठ रहे हैं। युवाओं की बढ़ती बेरोजगारी के बीच यह योजना उम्मीदों पर खरी नहीं उतर पाई है।
प्रदेश के 32 जिलों में किसी भी बेरोजगार को प्रशिक्षण नहीं मिल सका। इनमें मंदसौर, टीकमगढ़, नीमच, दमोह, शाजापुर, शहडोल, रतलाम, रीवा, खरगोन, उज्जैन, आगर-मालवा, अलीराजपुर, अनूपपुर, बड़वानी, भिंड, बुरहानपुर, डिंडोरी, गुना, झाबुआ, खंडवा, मैहर, मंडला, मउगंज, निवाड़ी, पांढुर्ना, पन्ना, राजगढ़, सीहोर, श्योपुर, सीधी, उमरिया और विदिशा जिले शामिल हैं। रीवा संभाग में भी हाल चिंताजनक है। 0.5 फीसदी उपलब्धि के साथ सतना और सिंगरौली में केवल 9-9 बेरोजगारों को नियोजन मिला।
राजधानी सहित इंदौर, ग्वालियर और जबलपुर का भी प्रदर्शन बेहद खराब रहा। इंदौर में १.१ फीसद योजना प्रभावी की जा सकी तो शेष स्थानों पर एक प्रतिशत से भी कम युवाओं को योजना से जोड़ा जा सका।
संस्थानों में प्रशिक्षण के दौरान कई कई महीनों तक स्टाइपेंड नहीं आता है। इसके अलावा प्रशिक्षण की खानापूर्ति होती है। इस वजह से युवा इस ओर आकर्षित नहीं हो रहे हैं।
राजेश त्रिपाठी, निवासी सोहावल
हमने डीसीए कर रखा है। पोर्टल पर पंजीयन भी कराया था, लेकिन किसी भी कंपनी से कोई बुलावा नहीं आया। अब तो पोर्टल देखना ही बंद कर दिए हैं।
विजेता सिंह, निवासी नागौद
Published on:
24 May 2025 09:58 am
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