
जड़ावता गांव का दर्द (फोटो-पत्रिका)
सवाई माधोपुर। 24 अगस्त की रात अचानक आई बाढ़ ने घर, मंदिर, खेत और सपनों को बहा दिया। गांववासी कहते हैं कि अगर 24 दिन पहले प्रशासन उनकी चेतावनी पर ध्यान देता, तो यह बड़ी मुसीबत टल सकती थी। पत्रिका टीम ने गांव में रात बिताई, प्रभावितों से बात की और उनके दर्द को करीब से समझा।
यहां हर घर की कहानी दर्द भरी है, जहां सरकारी मदद के नाम पर सिर्फ 'पूड़ी और सब्जी' का सहारा है। जड़ावता गांव में बाढ़ ने 20 मकान उजाड़ दिए हैं और साढ़े तीन हजार लोग खौफ में हैं। आस-पास के गांवों को मिला दें तो यह आंकड़ा कई गुना बढ़ जाता है।
गांव के बुजुर्ग मौजीराम मीणा (80) की आंखों में उस रात का खौफ झलकता है। शाम 5 बजे जब उनसे बात की तो उन्होंने कांपती आवाज में बताया, 24 अगस्त की रात परिवार के साथ घर में सोया था। सुबह 4 बजे शोर सुनकर बाहर भागा। देखा तो बगल की दो किराने की दुकानें मलबे में बदल चुकी थीं। तुरंत परिवार को बाहर निकाला।
20 मिनट बाद पूरा घर बाढ़ में बह गया। हनुमानजी और भैरवजी का मंदिर, ट्यूबवेल, एक भैंस और 20 बोरी अनाज सब कुछ पानी में समा गया। जैसे-जैसे घर टूट रहा था, वैसे-वैसे पैरों तले जमीन खिसक रही थी। पूरी कमाई आंखों के सामने नेस्तनाबूद हो गई। गनीमत रही कि जन हानि नहीं हुई। इस कटाव में मौजीराम के 4 बीघा सहित कुल 20 बीघा जमीन बह गई।
गांववासी इस तबाही के लिए प्रशासन को जिम्मेदार ठहराते हैं। हरिमोहन मीणा बताते हैं, 24 दिन पहले बारिश में गांव में 50 फीट कटाव हुआ था। हमने सभी को चेताया, यहां तक कि एसडीएम और तहसीलदार खुद मौके पर आए, लेकिन उन्होंने कोई कदम नहीं उठाया। अगर उसी दिन सुरक्षा दीवार बनाने की कोशिश की जाती, तो यह दिन नहीं देखना पड़ता।
दो साल सऊदी अरब में नौकरी कर लौटे किरोड़ी ने सारी कमाई घर बनवाने में लगा दी। पत्रिका टीम उनके घर पहुंची, तो वे बात करते-करते रो पड़े। उन्होंने कहा, साहब, 4 दिन से बिना सोए परिवार के साथ घर बचाने की कोशिश कर रहा हूं। सऊदी में बच्चों को छोड़कर कमाने गया था, सोचा लौटकर अच्छी शिक्षा दूंगा और घर बनाऊंगा।
आनंदीलाल, जो पेशे से इंजीनियर हैं, बताते हैं कि 70 से 80 फीट तक गड्ढा बन गया है। जितना बड़ा गड्ढा है, उसमें 7 मंजिल की पूरी बिल्डिंग समा जाए। इसको सरकारी मदद और स्पेशल पैकेज के बिना भरना संभव नहीं है।
सवाईमाधोपुर के जिला कलक्टर कानाराम से फोन पर पूछा कि 50 फीट कटाव के बाद सुरक्षा दीवार क्यों नहीं बनी? जवाब: 'बाढ़ वाले दिन 8 घंटे खड़े होकर घर बचाने की कोशिश की। लेकिन गांववाले कौन सी दीवार की मांग रहे, जानकारी नहीं। नुकसान का आकलन हो रहा है। उसी आधार पर मुआवजा मिलेगा।'
पड़ोस के बाडलोस गांव के रहने वाले अजित गुर्जर ने बताया कि विपदा में पड़ोसी गांव इस गांव के साथ हैं। लोगों ने मिलकर पानी का रास्ता नहीं मोड़ा होता तो बड़ी अनहोनी हो जाती।
Published on:
29 Aug 2025 01:06 pm
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