scriptधरती पर गिरेगा NASA का 56 साल पुराना सैटेलाइट, रविवार की रात वायुमंडल में दिखेगा ये बदलाव | 56 Years Old NASA Satellite OGO-1 Will Fall On Earth,Know More Of It | Patrika News

धरती पर गिरेगा NASA का 56 साल पुराना सैटेलाइट, रविवार की रात वायुमंडल में दिखेगा ये बदलाव

locationनई दिल्लीPublished: Aug 29, 2020 06:25:55 pm

Submitted by:

Soma Roy

Falling Satellite OGO-1 : गिरने वाले सैटेलाइट का नाम OGO-1 है, इसका वजह 487 किलोग्राम है
इसे नासा ने सितंबर 1964 में लांच किया था, इसका काम पृथ्वी के मैग्नेटिक वातावरण आदि का अध्ययन करना था

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Falling Satellite OGO-1

नई दिल्ली। अंतरिक्ष (Galaxy) की गुत्थी को सुलझाने के लिए अक्सर अलग-अलग देशों के वैज्ञानिक सैटेलाइट्स भेजते रहते हैं। जिससे वहां की हलचल के बारे में पता चल सके। मगर कुछ समय बाद ये सैटेलाइट नष्ट हो जाते हैं या काम करना बंद कर देते हैं। इसके बावजूद ये वहां घूमते रहते हैं। जबकि कुछ सीधे धरती पर आकर गिरते हैं। ऐसी ही एक दुर्लभ घटना कल यानि रविवार को होने वाली है। वैज्ञानिकों के अनुसार नासा का 56 साल पुराना सैटेलाइट (Satellite) कल धरती पर गिरेगा। इसके वायुमंडल में प्रवेश करने से कुछ बदलाव दिखेंगे। इस सैटेलाइट का नाम ऑर्बिटिंग जियोफिजिक्स ऑबजर्वेटरी 1 (OGO-1) है।
OGO-1 को नासा ने सितंबर 1964 में लांच किया था। इसका काम पृथ्वी के मैग्नेटिक वातावरण और पृथ्वी की सूर्य के साथ अंतर्क्रिया का अध्ययन करना था। सैटेलाइट ने 1969 तक आंकड़े जमा किए थे और उसके बाद साल 1971 में इसे औपचारिक तौर पर बंद कर दिया था। इसके बाद से यह पृथ्वी का चक्कर लगा रहा था। सैटेलाइट का वजन करीब 487 किलोग्राम है। इस समय यह पृथ्वी की निचली कक्षा (Lower orbit of earth) में हैं। अनुमान लगाया जा रहा है कि इसका एक हिस्सा पृथ्वी के अंदर प्रवेश करेगा। नासा के अनुसार यह रविवार रात 2 बजकर 40 मिनट पर पृथ्वी के वायुमंडल में प्रवेश करेगा। यह अंतरिक्ष यान वायुमंडल में ही टूट जाएगा। इसके दक्षिण प्रशांत महासागर में ताहिति और कूक द्वीपों के बीच गिरने कीस संभावना है। इसके गिरने के दौरान वायुमंडल में हल्के बदलाव देखे जा सकते हैं, जैसेमौसम में उतार-चढ़ाव आदि। हालांकि इससे पृथ्वी को कोई खतरा नहीं है।
इस सैटेलाइट के गिरने की जानकारी एरीजोना यूनिवर्सिटी के कैटलीना स्काय सर्वे (CSS) और हवाई यूनिवर्सिटी के एस्टोरॉइड टेरेस्ट्रियल इंपैक्ट लास्ट अलर्ट सिस्टम (ATLAS) ने अलग-अलग अध्ययन के जरिए दी है। वैज्ञानिकों ने इस बार बारीकी से अध्ययन किया तो पाया कि ये कोई क्षुद्रग्रह या उल्कापिंड नहीं बल्कि नासा का OGO-1 सैटेलाइट है। इसकी पुष्टि दक्षिण कैलिफोर्निया में नासा की जेट प्रपल्शन लैबोरेटरी के सेंटर फॉर नियर अर्थ ऑबजेक्च (NEO) स्टडीज और यूरोपियन स्पेस एजेंसी के NEO कोऑर्डिनेशन सेंटर ने भी की है।
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