वैज्ञानिकों के अनुसार यह छेद करीब 10 लाख वर्ग किलोमीटर तक फैला है। यह काफी बड़ा छेद (Hole) है। आर्कटिक के ऊपर बने इस नए छेद का कारण वातावरण में हो रहे बदलाव हैं। क्योंकि इस समय उत्तरी ध्रुव पर मौसम पिछले वर्षों के मुकाबले ज्यादा ठंडा है जो कि अप्रत्याशित घटना है। मालूम हो कि सर्दी के मौसम में दोनों ही ध्रुवों पर ओजोन कम हो जाती है।
इस छेद के बनने के पीछे कम तापमान, सूर्य की रोशनी, बहुत बड़े हवा के भंवर और क्लोरोफ्लोरो कार्बन पदार्थ शामिल होते हैं। आमतौर पर उत्तरी ध्रुव पर अंटार्कटिका जैसी कड़ाके की ठंड नहीं पड़ती, लेकिन इस साल बहुत ज्यादा ठंड पड़ी। जिसकी वजह से वहां स्ट्रटोस्फियर पर एक पोलर वोर्टेक्स बन गया। वैज्ञानिकों ने कॉपरनिकस सेंटियल-5P सैटेलाइट से ली गई तस्वीरों में देखा कि आर्कटिक क्षेत्र के ऊपर ओजोन की मात्रा में बहुत ज्यादा गिरावट हुई है। इससे वहां ओजोन परत में काफी बड़ा छेद हो गया है।